पंतनगर विश्वविद्यालय एवं रूस की सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी के मध्य करार

पंतनगर विश्वविद्यालय एवं रूस की सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी के मध्य करार

गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं रूस की सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी के मध्य पशुचिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में तकनीकी शोध एवं शिक्षा के आदान-प्रदान हेतु 20 सितंबर 2024 को एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।

विश्वविद्यालय से कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान की अध्यक्षता में चार सदस्यीय वैज्ञानिकों का प्रतिनिधिमंडल सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचा। इस प्रतिनिधिमंडल में कुलपति के साथ अन्तर्राष्ट्रीय मामलों के निदेशक डा. शिवा प्रसाद, अधिष्ठाता स्नातकोत्तर महाविद्यालय डॉ. के.पी. रावेरकर एवं विभागाध्यक्ष, पशुचिकित्सा एवं पशुपालन प्रसार शिक्षा विभाग डॉ. एस.सी. त्रिपाठी शामिल है। सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी की ओर से रेक्टर डॉ. प्लेम्याशोव क्रिसिलवी, वाइस रेक्टर डॉ. निकिटिन, अंतर्राष्ट्रीय मामलों के निदेशक डॉ. ल्युतिक एवं सेंट पीटर्सबर्ग में भारत के कोंसुल एंड हेड ऑफ चांसरी निर्मेष कुमार सहित विश्वविद्यालय के वरिष्ठ वैज्ञानिक सम्मिलित हुए।

सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी के रेक्टर ने पंतनगर विश्वविद्यालय के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए अपने विश्वविद्यालय की शोध उपलब्धियों की जानकारी दी एवं आशा व्यक्त की कि इस एमओयू से शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिणाम सामने आएंगे। पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय की प्रगति एवं हरित क्रांति के क्षेत्र में इसके योगदान से अवगत करवाया तथा विश्वविद्यालय की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए विशेष रूप से पशुचिकित्सा विज्ञान के विभिन्न महत्वपूर्ण शोध पहलुओं जैसे एनिमल क्लोनिंग, ओवम-पिक-अप तकनीक, जीन कैरेक्टरेराइजेशन, वैक्सीन उत्पादन आदि आपसी सहयोग के मुख्य क्षेत्रों पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि इस एमओयू के माध्यम से दोनों देशों के वैज्ञानिक एवं शोध छात्र विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त रूप से कार्य कर दोनों देशों के प्रगति में अपना महत्वपूर्ण योगदान देंगे। सेंट पीटर्सबर्ग में भारत के कोंसुल एंड हेड ऑफ चांसरी निर्मेष कुमार ने हस्ताक्षर किए एवं एमओयू को सफलता पूर्वक संचालित करने में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया। कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान के नेत्तृव में पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा रूस के एक प्रतिष्ठित संस्थान से करार किया जाना एक प्रतिष्ठा की बात है जिससे कि विश्वविद्यालय को शोध एवं शिक्षण के क्षेत्र में प्रगति मिलेगी।

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