सीएम प्रमोद सावंत ने गोवा की सांस्कृतिक पहचान को लेकर कहा कि पूरे भारत में ब्रिटिश का राज था, लेकिन गोवा में 450 साल तक पुर्तगालियों ने राज किया। गोवा में सबसे अधिक कन्वर्जन हुआ है और यहीं पर सबसे अधिक मंदिर भी तोड़े गए हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर पाञ्चजन्य की ओर से ‘सागर मंथन सुशासन संवाद 2024’ का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम मंगलवार 24 दिसंबर को दक्षिणी गोवा स्थित नोवाटेल डोना सिल्विया में हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत जी शामिल हुए।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। उसके बाद पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर ने सभा को संबोधित किया और सीएम से सीधी बात की शुरुआत की। इस दौरान सीएम प्रमोद सावंत ने गोवा की सांस्कृतिक पहचान को लेकर कहा कि पूरे भारत में ब्रिटिश का राज था, लेकिन गोवा में 450 साल तक पुर्तगालियों ने राज किया। गोवा में सबसे अधिक कन्वर्जन हुआ है और यहीं पर सबसे अधिक मंदिर भी तोड़े गए हैं। इसके बावजूद राज्य की सांस्कृतिक विरासत को बचाए रखने का काम किसी ने किया है तो यहां के लोगों ने किया है। सन, सी और सैंड से आगे निकलकर आध्यात्मिक टूरिज्म और टेम्पल टूरिज्म को आगे बढ़ाया है।
गोवा के विकास को लेकर सीएम प्रमोद सावंत ने कहा कि बीते 10 साल के कार्यकाल में जो इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलेप हमने किए हैं, वह 50 साल में भी नहीं हुए। सतत विकास के मामले में हम देश में 4 नंबर पर हैं। पीएम फ्लैगशिप प्रोग्राम हर घर नल से जल, हर ग्राम सड़क, 100 फीसदी इलेक्ट्रिसिटी समेत 13 फ्लैगशिप कार्यक्रमों में 80 फीसदी से अधिक कार्यक्रमों को हम 100 फीसदी प्राप्त कर चुके हैं। सीएम सावंत ने विकसित गोवा को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री मोदी 2047 विकसित भारत की बात कर रहे हैं, लेकिन 2047 से 10 साल पहले 2037 तक ही गोवा 100 प्रतिशत विकसित राज्यों में से एक होगा। इसके अलावा भी सीएम ने सुशासन और विकास के कई मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए।
वहीं, कांर्यक्रम के ‘प्रकृति भी प्रगति भी’ नामक सत्र में पर्यावरणविद् एवं अखिल भारतीय पर्यावरण गतिविधि के प्रमुख गोपाल आर्य ने अपने विचार साझा किए, जहां उन्होंने कहा कि भारत वह देश है, जहां प्रकृति को मां का दर्जा दिया गया है। पहाड़ों, नदियों और वृक्षों की पूजा करना हमारी संस्कृति का हिस्सा रहा है। लेकिन, आज जब हम प्रकृति और पर्यावरण की बात करते हैं, तो यह सोचना जरूरी है कि हम कहां गलत हो रहे हैं। गोपाल आर्य ने दिल्ली का उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 से 500 के बीच है। दिल्ली में सांस लेना मुश्किल हो गया है। साथ ही उन्होंने दिल्ली के कचरे के पहाड़ों, दूषित पेयजल का जिक्र करते हुए कहा कि लोग बेहतर जीवन की तलाश में शहर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।
ऐसे ही ‘नया विश्व और भारत उदय’ सत्र में राजनीतिज्ञ लेखक, विचारक और प्रख्यात थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष राम माधव ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि भारत ने आज विश्व में अपनी विशेष पहचान बना ली है। पिछले 10 वर्षों के शासन में सरकार ने इसमें बहुत बड़ा योगदान दिया है। चीन के साथ भारत के संबंध को लेकर कहा कि चीन हमारा पड़ोसी देश है। हम अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। वैसे दुनिया में कभी भी भारत ने युद्ध नहीं चाहा। युद्ध भारत पर थोपा गया था, हमेशा संघर्ष थोपा गया था। अन्यथा भारत बहुत शांतिपूर्ण देश है। इसके अलावा भी उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति समेत कई अहम मुद्दों पर प्रकाश डाला।
इस दौरान प्रसार भारती के अध्यक्ष नवनीत सहगल ने सुशासन और प्रशासन के मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा कि लोगों की समस्या का हल निकालना ही सुशासन है। अटल जी लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए चिंतित रहते थे। जब भी बात आती है शासन और सुशासन की तो स्वाभाविक तौर पर सरकार की नीतियों की बात होती है। उन्होंने कहा कि जब मैं कलेक्टर या एसडीएम था तो हम लोग गांवों में जाया करते थे, जहां कई महिलाओं को समय पर पेंशन नहीं मिलती थी। लेकिन, अब सरकार ने सिस्टम को ही बदल दिया है। जनधन के 53 करोड़ खाते खुलने से सीधे लोगों के खाते में पैसे पहुंच जाते हैं। इसके अलावा भी नवनीत सहगल ने अन्य कई मुद्दों पर अपनी बात रखी।
‘सुशासन की शक्ति’ सत्र में गुजरात से विधायक रिवाबा जडेजा ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि सुशासन की कल्पना शक्ति के बिना नहीं की जा सकती है। वेदों में भी शक्ति के बगैर हम आराध्य को नहीं मानते हैं, जैसे गौरी-शंकर, राधा-कृष्ण, लक्ष्मी नारायण। हम जिन देवताओं की उपासना करते हैं। वे स्वयं को शक्ति के साथ जोड़कर देखते हैं। हम भी उसे उसी तरह से देखते हुए विकास की बात करेंगे, महिला सशक्तिकरण की बात करेंगे। सुशासन के 6 स्तंभ हैं न्याय, समानता, प्राकृतिक संतुलन, समृद्धि, शांति और सौहार्द और सामाजिक कल्याण।
इसी तरह ‘सहकार असरकार’ सत्र में अमूल के मैनेजिंग डायरेक्टर जयेन मेहता ने अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा कि 200 लीटर से दूध के साथ शुरू हुई अमूल की यात्रा आज 310 लाख लीटर दूध डेली इकट्ठा करती है। सालाना 10 बिलियन डॉलर का कारोबार करने वाली संस्था के मालिक 36 लाख किसान हैं। उन्होंने कहा कि सहकार के मॉडल ने मिलकर भारत को विश्व का नंबर वन दुग्ध उत्पादक देश बनाया है। आज हमारे देश में सबसे बड़ा एग्रीकल्चर प्रोडक्ट गेंहू, चावल नहीं, बल्कि दूध है।
‘सुशासन का धर्म’ नामक सत्र में भारतीय सिनेमा और टेलीविजन के प्रतिष्ठित निर्माता-निर्देशक चंद्रप्रकाश द्विवेदी से ‘सुशासन का धर्म’ विषय पर चर्चा हुई, जहां उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में नाटक और कला का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को शिक्षित और जागरूक करना भी था। उन्होंने कहा कि प्रजापति ब्रह्मा ने नाट्यशास्त्र की रचना इसलिए की, ताकि समाज में मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञान का प्रसार हो, लेकिन आज फिल्मों का धर्म केवल मनोरंजन तक सीमित हो गया है। उन्होंने इसे पुनः समाज को शिक्षित करने और सकारात्मक संदेश देने की ओर उन्मुख करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम का संचालन पाञ्चजन्य की सलाहकार संपादक तृप्ति श्रीवास्तव ने किया और आभार वरिष्ठ पत्रकार अनुराग पुनैठा ने व्यक्त किया। इस दौरान पाञ्चजन्य से प्रबंध निदेशक अरुण गोयल, अमित सक्सेना, मंगल सिंह नेगी, शशिमोहन रावत, अश्विनी मिश्रा, रोहित पंवार, योगेंद्र यादव और मनीष चौहान उपस्थित रहे।
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