घंटाघर फिर अधिकारियों की लापरवाही का शिकार, बंद पड़ी घड़ियां

घंटाघर फिर अधिकारियों की लापरवाही का शिकार, बंद पड़ी घड़ियां

प्रदेश की राजधानी दून के दिल कहे जाने वाला घंटाघर अधिकारियों की लापरवाही का शिकार हो रखा है। पूरे देश में मशहूर दून का घंटाघर अपने आप में ऐतिहासिक है। वर्ष 1951 में तत्कालीन उत्तर प्रदेश की प्रथम राज्यपाल सरोजनी नायडू के करकमलों द्वारा इसका उद्घाटन हुआ था।

देहरादून। दून के दिल की धडकने जाने वाली घंटाघर की घंडियां पिछले कई दिनों से बंद है लेकिन शासन प्रशासन यहां तक की इसके रख रखाव की जिम्मेदारी लेने वाले विभाग के अधिकारियों ने इस तरफ से अपनी आंखें मूंदी हुई है।

जिसके बाद यह अपने आपमें ऐतिहासिक इस लिए भी है कि इस घंटाघर में छह घडियां व छह ही कोने हैं। लेकिन वर्तमान में इसकी र्दुदशा का जिम्मेदार जिला प्रशासन व इसका रख रखाव की जिम्मेदारी लेने वाले एमडीडीए हैं। जबकि प्रत्येक अधिकारी दिन में एक बार तो यहां से गुजरता ही होगा लेकिन इसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता।

एक तरफ वर्तमान समय में अधिकारी घंटाघर के सौंदर्यकरण पर तो ध्यान दे रहे हैं लेकिन इसकी बंद घडियों की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। यह अपने आपमें एक सोचनीय विषय है कि देश में अपने आपमें अपनी पहचान रखने वाले दून के दिल की धडकनों को कब जिंदा किया जायेगा यह देखने की बात होगी।

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