पंतनगर विश्वविद्यालय एवं भारतीय सेना उत्तर भारत मुख्यालय के मध्य समझौता

पंतनगर विश्वविद्यालय एवं भारतीय सेना उत्तर भारत मुख्यालय के मध्य समझौता

भारतीय सेना में मिलट्स (श्री अन्न) एवं उससे बने उत्पादों के प्रयोग को बढ़ावा दिए जाने के उद्देष्य से कुलपति कार्यालय सभाकक्ष में एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया। समझौता ज्ञापन पर विश्वविद्यालय की ओर से कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान एवं भारतीय सेना की ओर से ले.ज. डी.जी. मिश्रा द्वारा हस्ताक्षर किए गए।

इस समझौते का मुख्य उद्देश्य भारतीय सेना द्वारा पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा मिलट्स एवं उसके उत्पादनों के संबंध में किए गए शोध कार्यों एवं अनुभवों का लाभ लिया जाना है। मुख्य रूप से मिलट्स (ज्वार, बाजरा, रागी आदि) पर आधारित नमकीन एवं मीठे सुपाच्य खाद्य पदार्थों का अधिकतम प्रयोग किया जाना है। साथ ही सेना के मैस कर्मियों को मिलट्स उत्पादों के व्यंजन बनाए जाने हेतु प्रशिक्षत किया जाना भी इस समझौता ज्ञापन का प्रमुख भाग है।

निदेशक शोध डॉ. ए.एस. नैन द्वारा सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए यह अवगत कराया गया कि कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान द्वारा विश्वविद्यालय में मिलेट्स से संबंधित शोध को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा मंडुआ लस्सी, मंडुआ आईसक्रीम, मंडुआ बर्फी, पेड़ा मंडुआ चाकलेट, मकिंस, मंडुआ बिस्कुट, नमकीन इत्यादि उत्पाद तैयार किए हैं एवं भारतीय सेना की आवश्यकतानुसार विश्वविद्यालय मिलेट्स पर केन्द्रित शोध करने के लिए तैयार है।

कर्नल जतिन ढिल्लों द्वारा अवगत कराया गया कि भारतीय सेना के ऊंचाई पर कार्यरत सैनिकों में मिलेट्स से संबंधित उत्पादों के स्वाद, सुपाच्यता एवं पोषकता पर विशेष बल दिया जाना है, जिससे सैनिकों के मध्य मिलेट उत्पादों के उपभोग को बढ़ावा दिया जा सके।

ले.ज. डी.जी. मिश्रा द्वारा विश्वविद्यालय द्वारा किए गए शोध एवं विकास के कार्यों का विशेष रूप से उल्लेख किया गया एवं आशा की गयी कि जिस तरह विश्वविद्यालय ने हरित क्रांति के रूप में देश को खाद्यान्न में आत्मनिर्भर बनाया उसी तरह मिलेट्स उत्पादों पर शोध कर मिलेट्स की स्वीकार्यता को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाएगा।

कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि मिलेट्स की स्वीकार्यता एवं पाचकता आंत के सूक्ष्म जीवाणुओं के ऊपर निर्भर करती है। पंतनगर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक भारतीय वैज्ञानिकों के आंत जीवाणुओं का अध्ययन कर ऐसा उत्पाद तैयार करेंगे जिसमें स्वाद एवं पोष्टिकता के साथ-साथ सुपाच्यता भी होगी। उन्होंने भारतीय सेना के साथ किए गए इस समझौते पर हर्ष व्यक्त करते हुए यह कहा कि यह विश्वविद्यालय के लिए गर्व का विषय है कि विश्वविद्यालय भारतीय सेना के साथ मिल कर शोध कार्य करेगा एवं देश की सेवा करने का मौका विश्वविद्यालय को मिलेगा।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी अधिष्ठाता, निदेशक, संयुक्त निदेशक शोध तथा भारतीय सेना की ओर से ब्रिगेडियर वी.के. रौतेला, ब्रिगेडियर विक्रमजीत सिंह, कर्नल जतिन डिल्लोन उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ए.एस. नैन, निदेशक शोध द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद प्रस्ताव डॉ. पी.के. सिंह, संयुक्त निदेशक शोध द्वारा दिया गया।

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