आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पूर्व सूबेदार मनोज सेमवाल को चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ प्रशंसा पत्र से किया सम्मानित

आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पूर्व सूबेदार मनोज सेमवाल को चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ प्रशंसा पत्र से किया सम्मानित

देहरादून में तुंगनाथ घाटी के दिलमी गांव निवासी सेवानिवृत्त सूबेदार मनोज सेमवाल को आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ प्रशंसा पत्र से सम्मानित किया है।

देहरादून में आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने केदारनाथ में 2023 के यात्रा के दौरान घोड़े खच्चरों की लीद को उठाने, इक्कठा करने और इस लीद को खाद बनाने के लिए किये गए कार्यों के लिए पूर्व सैनिक सूबेदार मनोज सेमवाल को चीफ ऑफ़ आर्मी स्टाफ प्रशंसा पत्र से सम्मानित किया। यह कार्यक्रम देहरादून के 14 इन्फेएंट्री डिवीज़न क्लिमेंट टाउन में हुआ। यह पहली बार है जब किसी सेवानिवृत सैनिक को इस तरह का पुरस्कार मिला है।

देहरादून में तुंगनाथ घाटी के दिलमी गांव निवासी सेवानिवृत्त सूबेदार मनोज सेमवाल को आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सम्मानित किया। उन्होंने गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग से घोड़ा-खच्चरों की लीद उठान, उससे खाद बनाने और केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्य में अहम भूमिका निभाई थी।

सूबेदार मनोज सेमवाल मार्च 2014 से 2019 तक नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में रहते हुए रामबाड़ा से धाम तक नया रास्ता निर्माण, सरस्वती नदी के किनारे 500 मीटर लंबे आस्था पथ का निर्माण कराया। वर्ष 2023 में उन्होंने सीतापुर से गौरीकुंड के बीच वर्षों से जमा घोड़ा-खच्चरों की लीद का उठान कराया और कृषि विज्ञान केंद्र जाखधार-बणसू के वैज्ञानिक डॉ. संजय सचान के मार्गदर्शन में खाद बनवाई।

मनोज सेमवाल ने बताया कि केदारनाथ यात्रा के दौरान गौरीकुंड से केदारनाथ तक यात्रियों के आने जाने और सामान को लाने ले जाने के लिए घोड़े खच्चरों का प्रयोग होता है। इससे यहां के लोगों की आमदनी तो होती है लेकिन जब ये घोडे़ खच्चर इधर उधर जाते हैं तो इन रास्तों में गई जगहों पर उनकी लीद बड़ी समस्या बन जाती है और कई बार तो इस लीद को इधर उधर फेंक दिया जाता है। जब बारिश होती है तो वह बारिश के पानी में बहकर नदी में जा मिलता है इससे नदी का पानी प्रदूषित हो जाता है। लेकिन अब घोड़े-खच्चरों की लीद को रोजगार का जरिया बनाया और लीद से ईंट, गमला, कोयले सहित अन्य उत्पादन का कार्य शुरू किया।

मनोज सेमवाल ने बताया कि एक महीने के अंदर 1,200 टन लीद एकत्र हो जाती है। इसके लिए उन्होंने वेस्ट मैनेजमेंट टीम गठित की है, जिससे 40 श्रमिक जुड़े हुए हैं। मनोज सेमवाल यह कार्य कृषि विज्ञान केंद्र, जाखधार (रुद्रप्रयाग) के निर्देशन में कर रहे हैं। रूद्रप्रयाग के डीएम मयूर दीक्षित ने कहा है कि वेस्ट मैनेजमेंट टीम सेवानिवृत सूबेदार मनोज सेमवाल के नेतृत्व में केदारनाथ यात्रा में लगे घोड़ा-खच्चर की लीद एकत्रित करने में जुटी है। इस कार्य में प्रशासन की ओर से टीम को पूरा सहयोग किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सुलभ इंटरनेशनल की ओर से भी टीम को आर्थिक सहयोग किया जायेगा।

नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से जुड़े रहे सूबेदार मनोज सेमवाल का कहना है कि यात्राकाल में केदारनाथ पैदल मार्ग सहित सोनप्रयाग व गौरीकुंड स्थित घोड़ा पड़ाव में लगभग आठ से दस हजार घोड़ा-खच्चर रहते हैं और एक घोड़ा-खच्चर एक दिन आठ से दस में किलो लीद करता है।

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