एक देश एक चुनाव’ मुद्दे पर गठित संयुक्त संसदीय समिति से मिला भाजपा का प्रतिनिधि मंडल

एक देश एक चुनाव’ मुद्दे पर गठित संयुक्त संसदीय समिति से मिला भाजपा का प्रतिनिधि मंडल

वर्ष 2024 के लोक सभा चुनाव में ही 1 लाख करोड़ रुपए व्यय हुए। यदि चुनाव एक साथ कराए जाएंगे तो व्यय में 12000 करोड़ रुपये की बचत होती और जी डी पी में 1.5 प्रतिशत की  वृद्धि होती।  बार-बार चुनाव कराने से सुरक्षा बल, सरकारी अधिकारी, स्कूल भवन, वाहन, इत्यादि की बार-बार आवश्यकता होती है। एक साथ चुनाव से इन संसाधनों की बचत होगी।

एक देश एक चुनाव’ मुद्दे पर गठित संयुक्त संसदीय समिति से मिला भाजपा का प्रतिनिधि मंडल
देहरादून। भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने आज ‘एक देश एक चुनाव’ मुद्दे पर गठित संयुक्त संसदीय समिति के सम्मुख पार्टी का पक्ष प्रस्तुत किया है। जिसमें विकसित भारत निर्माण के लिए इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए उत्तराखंड भाजपा की तरफ से पूर्ण समर्थन किया गया। वहीं कोविद समिति की इस रिपोर्ट को देश की भावना बताते हुए, देशहित में जरूरी बताया।
दो दिवसीय प्रवास के तहत देहरादून पहुंची जेपीसी सदस्यों से आज मुलाकात करने वाले प्रतिनिधिमंडल में विधायक सहसपुर सहदेव पुंडीर, दायित्वधारी एवं वरिष्ठ भाजपा नेता डॉक्टर देवेंद्र भसीन, रमेश गाड़िया, प्रदेश मंत्री आदित्य चौहान शामिल हुए। इस मुलाकात में उन्होंने संसदीय समिति सदस्यों के सम्मुख मौखिक एवं लिखित रूप से स्पष्ट किया कि भाजपा उत्तराखण्ड इस विचार तथा इस दिशा में अपनाई जा रही प्रकिया का पूर्ण समर्थन करती है। जिसमें कहा गया कि आज भारत बदल रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक नई ऊंचाई को स्पर्श कर रहा है। प्रधानमंत्री  एक भारत श्रेष्ठ भारत के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। इसी क्रम में उन्होंने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ के सिद्धांत को पुनः प्रतिपादित कर देश को नई दिशा दी है।
पार्टी का पक्ष रखते हुए कहा गए कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। परिस्थितिजन्य कारणों से केंद्र,राज्य और स्थानीय निकाय स्तर पर अलग-अलग समय पर चुनाव कराए जाते हैं । इस व्यवस्था के कारण राजनीतिक अस्थिरता, विकास कार्यों में बाधा और अत्यधिक व्यय जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।  ऐसे में ष्एक देश, एक चुनावष् का विचार इन समस्याओं का समाधान भी है और देश को नये समय के साथ नया आयाम देने वाला है। इसमें लोक सभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय के चुनाव चरणबद्ध तरीके से कराने की व्यवस्था है। यह व्यवस्था प्रशासनिक सुधार, लोकतंत्र की मजबूती और संसाधनों की बचत की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में स्वतंत्रता के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में संपन्न लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए गए थे। किंतु 1968-69 में कुछ राज्य सरकारें समय से पहले गिर गईं, जिससे यह क्रम टूट गया। इसके बाद असमय सरकारों के भंग होने के कारण चुनावों की समय-सीमा अलग-अलग होती गई और आज की स्थिति यह है कि लगभग हर वर्ष देश के किसी न किसी हिस्से में चुनाव होते रहते हैं और देश हमेशा चुनावी मोड पर रहता है। चुनाव आयोग हो या राजनीतिक दल, प्रशासनिक मशीनरी, सुरक्षा बल व अन्य विभिन्न एजेंसियां देश में कहीं न कहीं चुनाव में व्यस्त दिखाई देती हैं। भाजपा उत्तराखण्ड का मानना है कि यह स्थिति जन हित में नहीं है इसलिए ष्एक राष्ट्र एक चुनावष् देश के लिए आवश्यक है।
भाजपा का इस बात पर विश्वास है कि एक राष्ट्र एक चुनाव से कई चुनावी, प्रशासनिक, आर्थिक, राजनीतिक सुधार और लाभ जुड़े हैं। एक साथ चुनाव कराने से चुनावों पर वर्तमान में जो व्यय हो रहा है उसमें भारी कटौती आएगी। वर्ष 2024 के लोक सभा चुनाव में ही 1 लाख करोड़ रुपए व्यय हुए। यदि चुनाव एक साथ कराए जाएंगे तो व्यय में 12000 करोड़ रुपये की बचत होती और जी डी पी में 1.5 प्रतिशत की  वृद्धि होती।  बार-बार चुनाव कराने से सुरक्षा बल, सरकारी अधिकारी, स्कूल भवन, वाहन, इत्यादि की बार-बार आवश्यकता होती है। एक साथ चुनाव से इन संसाधनों की बचत होगी।

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