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उत्तराखंड की आंचलिक फिल्में रोजगार का साधन बनेंगी। लंबा समय तय कर सपनों ने अब प्राण फूके हैं। लेकिन अभी मुकाम तक नहीं पहुंचे हैं। नए युवा नई तकनीक व नई सोच पैदा करे। हमारे लोकनाट्य की बहुत विशेषताएं हैं, भविष्य नाटकों व फिल्मों का अच्छा बन सकता है। उत्तराखंड की आंचलिक पृष्ठभूमि पर नाटक और कहानियां बहुत लिखी जा रही हैं परंतु प्रमोट नहीं हो पा रही हैं।
READ MOREमुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सर्वे चौक, देहरादून स्थित आई.आर.डी.टी. सभागार में उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी द्वारा लिखित पुस्तक ‘खाकी में स्थितप्रज्ञ’ का विमोचन किया। अनिल रतूड़ी ने यह पुस्तक एक आईपीएस अधिकारी के रूप में अपने संस्मरण एवं अनुभव के आधार पर लिखी है।
READ MOREसैनिक स्कूल घोड़ाखाल एक बार फिर देश भर के 33 सैनिक स्कूलों के बीच प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) लिखित परीक्षा में शीर्ष प्रदर्शन करने वाला स्कूल बनकर उभरा है।
READ MOREटिहरी गढ़वाल में होने वाली ऐतिहासिक रामलीला 1952 से पुरानी टिहरी के आजाद मैदान में 2002 तक टिहरी के डूबने तक होती रही और टिहरी के जलमग्र होने के बाद देहरादून में इसको 21 वर्षो बाद भव्य रूप से 2023 में पुनर्जीवित किया गया।
READ MOREगोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय एवं रूस की सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी के मध्य पशुचिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में तकनीकी शोध एवं शिक्षा के आदान-प्रदान हेतु 20 सितंबर 2024 को एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
READ MOREप्रोफ़ेसर हरेन्द्र सिंह असवाल की दो पुस्तकों का आज दिल्ली में लोकार्पण किया गया। एक पुस्तक ‘खेड़ाखाल’ कविता संग्रह हैं और दूसरी ‘हाशिए के लोग’ में, हिन्दू समाज के उन कलाकारों का स्मरण किया गया जिन्होंने हिन्दू संस्कृति को हज़ारों वर्षों तक अनपढ़ होते हुए भी निरन्तर ज़िन्दा रखा। लेकिन बदले में वर्ण व्यवस्था ने उन्हें हमेशा हाशिए पर रखा।
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24 नवम्बर को आईटीओ स्थित प्यारे लाल भवन सभागार में नि:स्वार्थ सेवाभाव, सद्भाव, सहयोग तथा संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की मानवीय जन सेवाओ के बल निरंतर ख्याति के शिखर पर अग्रसर सामाजिक संस्था ‘उत्तरांचल भ्रात्रि सेवा संस्थान’ द्वारा सातवां स्थापना दिवस समारोह बड़े धूमधाम से खचाखच भरे सभागार में मनाया गया।
READ MOREकेदारघाटी में हुए उपचुनाव में भले ही बीजेपी यह सीट जीतने में कामयाब रही हो लेकिन केदारघाटी की जनता भाजपा एवं सरकार से खासी नाराज थी। केदारनाथ यात्रा को डायवर्ट करना, स्थानीय युवाओं को अतिक्रमण के नाम पर बेरोजगार करना केदारघाटी में मुख्य मुद्दा रहा। हालांकि, कांग्रेस ने इसे हर चुनावी सभा में जोर शोर से रखा। लेकिन वे इसे वोट में तब्दील नहीं कर पाए।
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