घर लौटे उत्तराखंडियों के रोजगार में जुटे सीएम रावत, पलायन आयोग के साथ बड़ी बैठक, पेयजल और सड़क संपर्क पर भी जोर

घर लौटे उत्तराखंडियों के रोजगार में जुटे सीएम रावत, पलायन आयोग के साथ बड़ी बैठक, पेयजल और सड़क संपर्क पर भी जोर

उत्तराखंड से बड़ी संख्या में लोग दूसरे राज्यों में पलायन कर गए थे लेकिन कोरोना काल में बड़ी संख्या में लोग अपने घरों की ओर लौटे हैं। ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए पलायन आयोग की भूमिका बढ़ गई है। उस पर इन लोगों को रोजगार, बैंकों एवं अन्य जगहों से पूरी मदद के साथ-साथ उन्हें क्षमता के हिसाब से रोजगार मुहैया कराने की बड़ी जिम्मेदारी है।

कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने, संक्रमितों का इलाज करने के साथ ही उत्तराखंड सरकार रिवर्स माइग्रेशन के बाद की परिस्थितियों पर भी काम कर रही है। देश के अलग-अलग हिस्सों से प्रदेश में करीब 2 लाख लोग लौटे हैं। अब उनके लिए रोजगार, आदि की व्यवस्था सरकार को करनी है। इसी क्रम में आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के साथ एक और बैठक की। प्रवासी उत्तराखंडियों के लौटने के बाद उनके रोजगार को लेकर समीक्षा की।

बैठक में आयोग ने टिहरी जिले से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की। सीएम ने कोविड-19 की परिस्थितियों में उत्तराखंड लौटे प्रवासियों के आर्थिक पुनर्वास के लिए योजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। आपको बता दें कि सरकार के स्तर पर अलग-अलग जिलों में सर्वे चल रहे हैं, जिसमें वापस लौटे लोगों की जानकारी ली जा रही है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर प्रदेशवासियों को रोजगार के अवसर प्रदान करना हमारी शीर्ष प्राथमिकताओं में हैं। यह भी आकलन किया जाय कि जो उत्तराखंड लौटकर आए हैं, उनमें से कितने लोग प्रदेश में रहकर ही रोजगार करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के लिए महिलाओं को बैंक से लोन लेने में कोई परेशानी न हो, इसके लिए भूमि खाताधारक के साथ उनकी पत्नी का नाम भी शामिल किया जाय।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत प्रदेशवासियों को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराए जाएंगे। इसकी भी पूरी स्टडी की जाए कि किन क्षेत्रों में कार्य करने के लिए लोग अधिक रूचि दिखा रहे हैं। लोगों की आमदनी में कैसे वृद्धि की जा सकती है, किन क्षेत्रों में रोजगार की अधिक संभावना है। इसकी पूरी स्टडी की जाए। जो गांव अभी तक सड़क की सुविधाओं से नहीं जुड़ पाए हैं और जिन गांवों में पेयजल की समस्या है, उनको भी चिन्हित किया जाए। हमें स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही उसकी, पैकेजिंग एवं मार्केटिंग की दिशा में भी विशेष प्रयास करने होंगे। ग्रामीण क्षेत्र की योजनाओं एवं जन कल्याणकारी योजनाओं की दिशा में और तेजी से कार्य करने की जरूरत है। चाल-खाल के निर्माण की दिशा में राज्य में तेजी से कार्य हो रहे हैं। जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में हमें प्रयास करने होंगे।

ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डा. एस.एस.नेगी के मुताबिक, अब तक तीन रिपोर्टें राज्य सरकार को दी गई हैं, जिसमें पलायन को कम करने के लिए विभिन्न सिफारिशें हैं। आयोग द्वारा जिला अल्मोड़ा के ग्राम पंचायतों में पलायन के विभिन्न पहलुओं पर अंतरिम रिपोर्ट जून 2019 प्रस्तुत की गई। सितम्बर 2019 में ग्राम्य विकास के क्षेत्र में योजनाओं एवं कार्यक्रमों का विश्लेषण एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए आयोग द्वारा सिफारिशें राज्य सरकार को प्रस्तुत की गई। जनपद पिथौरागढ़ के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को सुदृढ़ बनाने एवं पलायन को कम करने से संबंधित रिपोर्ट आयोग द्वारा अक्टूबर 2019 में सरकार के समक्ष प्रस्तुत की गई।

ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग द्वारा मंगलवार को टिहरी गढ़वाल के ग्रामीण क्षेत्रों पर आधारित रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। आयोग द्वारा विभिन्न क्षेत्रों का भ्रमण कर बैठकें आयोजित की गई एवं स्थानीय नागरिकों से संवाद किया गया। जनपद टिहरी की रिपोर्ट में विकास खंडवार सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों का विश्लेषण एवं रूझान, पलायन की स्थिति, वर्तमान ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक विकास कार्यक्रमों के बारे में विश्लेषण तथा सिफारिशें की गई हैं।

पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी ने हिल-मेल को बताया कि जल्द ही चमोली, रूद्रप्रयाग एवं बागेश्वर के ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन और सबंधित आर्थिक एवं सामाजिक मुद्दों के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण कर सामाजिक-आर्थिक विकास को सुदृढ़ बनाने एवं पलायन को कम करने पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी। कोविड-19 के प्रकोप के बाद उत्तराखंड राज्य में पर्वतीय जनपदों में घर लौटे प्रवासियों के आर्थिक पुनर्वास हेतु सिफारिशें राज्य सरकार को प्रस्तुत करना आयोग की प्राथमिकता है।

उन्होंने बताया कि इस समय लोग मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं, उनको वित्तीय मदद और दूसरे संबंधित मुद्दों पर भी पलायन आयोग जल्द ही अपनी सिफारिशें सरकार को भेजेगा। देश भर में कोरोना के डर के कारण गांव लौटे लोगों में ज्यादातर की इच्छा अब यहीं रुकने की है। सरकार इसी बात को ध्यान में रखकर आगे काम कर रही है।

प्रवासी उत्तराखंडियों के घर लौटने के बाद उनके रोजगार को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना शुरू की है। इसकी वेबसाइट msy.uk.gov.in पर ऑनलाइन आवेदन भी शुरू हो गया है। अगर आपको भी इस योजना का लाभ लेना तो हम आपको आसान तरीके से बताने जा रहे हैं कि क्या-क्या करना है।

1- मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में ऑनलाइन आवेदन करने के लिए आपको सबसे पहले अपनी लॉग-इन आईडी बनानी होगी। इसके बाद आप अपना नाम, पता, शैक्षिक योग्यता, मोबाइल नंबर, पैन नंबर आदि जानकारी भरिए।

2- आगे आपको प्रस्तावित इकाई, उत्पाद/सेवा, निवेश, वित्तपोषित बैंक आदि का विवरण देना होगा।

3- आवेदन आपको किस भाषा में करना है, यह आपके ऊपर है। हिंदी या अंग्रेजी भाषा का विकल्प चुना जा सकता है।

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