कोरोना जैसी आपदा से उबरने को क्या करे उत्तराखंड, विशेषज्ञों ने बताया हर पहलू

कोरोना जैसी आपदा से उबरने को क्या करे उत्तराखंड, विशेषज्ञों ने बताया हर पहलू

कोरोना लॉकडाउन के कारण अलग-अलग राज्यों से आने वाले लोगों को लेकर सरकार को जल्द टास्कफोर्स बनाने की जरूरत है, जिससे हम उन्हें रोजगार दे सकें…। कोरोना जैसी आपदा से उबरने के लिए ऐसे ही विचार रखे गए ई-रैबार के लाइव सेशन में…।

हिल-मेल की मुहिम ‘ई-रैबार’ में 1 मई 2020 को विषय था, उत्तराखंड में आपदाएं, रिस्पांस और सेना की भूमिका। लॉकडाउन को देखते हुए कोरोना जैसी आपदा के लिए तैयारी और भी प्रासंगिक हो जाती है। लाइव शो में राकेश शर्मा, पूर्व मुख्य सचिव उत्तराखंड, नेहरू पर्वतारोहण संस्थान (निम) के प्रिंसिपल कर्नल अमित बिष्ट और अनूप नौटियाल, सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया कि उत्तराखंड को कोरोना जैसी आपदा से बाहर आने के लिए क्या करना चाहिए।

यह आपदा अलग तरह की है…

पूर्व मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने कहा कि वैसे तो उत्तराखंड में हर साल प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं। प्रदेश में आपदाएं आने से सड़कें नष्ट हो जाती हैं, लोगों के घर टूट जाते हैं और ऐसे में मुश्किलें बढ़ जाती हैं। इसके लिए खुद को तैयार रखना पड़ता है। खाद्यान्न पहुंचाने, दवाएं, संचार सेवाएं शुरू करनी पड़ती हैं, लोग फंस जाते हैं उन्हें निकालना होता है।

लेकिन यह अपनी तरह की पहली आपदा है, जिसका हम सामना कर रहे हैं। इसके लिए रणनीति अलग बनानी होगी। इससे हमारा इन्फ्रास्ट्रक्चर नष्ट नहीं हुआ बल्कि मानव संसाधन प्रभावित हुआ है। सेब व अन्य फलों की खेती की मार्केटिंग का मसला है। चारों धाम, कैलाश मानसरोवर यात्रा, ट्रैकिंग रूट्स पर लोग आते हैं लेकिन इस साल वे नहीं हैं। ऐसे में राज्य सरकार के सामने यह बड़े संकट का समय है। लोगों की यात्रा का सीजन है पर लॉकडाउन है।

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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को यहां केंद्र से आर्थिक मदद मांगनी चाहिए। राज्य की अर्थव्यवस्था की एक बड़ी धुरी चारधाम यात्रा और पर्यटन का सीजन कोरोना और लॉकडाउन के चलते वॉशआउट हो चुका है। राज्य के लिए अगले छह महीने में आर्थिक मोर्च पर बड़ी मुश्किल आने वाली है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि राज्य सरकार केंद्र के समक्ष अपना केस मजबूती से रखे और एक बड़े राहत पैकेज की मांग करे। यह उसे जल्दी करना होगा। लॉकडाउन खुलने के बाद और भी लोग वापस आएंगे। ऐसे में सभी के लिए संसाधन जुटाना सरकार के लिए मुश्किल है। उसका खजाना खाली है। केंद्र ही उसकी मदद कर सकता है। यहां सरकार को केंद्रीय मदद के लिए काफी जोर लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोरोना का असर कम से कम छह महीने तक राज्य की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित करेगा।

हर चुनौती के लिए तैयार है भारतीय सेना

NIM के प्रिंसिपल कर्नल अमित बिष्ट ने कहा कि जब भी हमारे देश में इस तरह की आपदाएं आती हैं तो तीनों सेनाएं डटकर अपनी सेवाएं देती हैं। ये आपदा अलग तरह की है। इटली जैसे देशों में जहां सेना को लगाना पड़ा, हम नहीं चाहते कि भारत में ऐसी परिस्थिति आए लेकिन सेना हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार है। राज्य सरकार को चाहिए पूर्व फौजियों को अपने साथ काम में लेना चाहिए। वे आपदाओं से निपटने के लिए स्किल्ड हैं। हालांकि कोरोना अपनी तरह की अलग आपदा है लेकिन एक पूर्व फौजी को ब्रीफिंग देकर इस काम में लगाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पर्यटन सीजन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ट्रैकिंग, रॉफ्टिंग या दूसरे स्पोर्ट्स एडवेंचर से जुड़े सेक्टरों पर कोरोना और लॉकडाउन की मार पड़ी है। इसलिए राज्य सरकार को विंटर स्पोर्ट्स के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर देनी चाहिए। ताकि गर्मियों के सीजन में हुए नुकसान की भरपाई विंटर स्पोर्ट्स के जरिये कुछ हद तक की जा सके।

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मुश्किलों के साथ अवसर भी लाया कोविड-19

अनूप नौटियाल ने कहा कि हर मुश्किलें अपने साथ नई संभावनाएं भी लाती हैं। उन्होंने कोरोना संकट को लेकर उदाहरण देकर समझाया कि डॉक्टरों की नियुक्ति रुकी हुई थी लेकिन तेज रफ्तार से अभी नियुक्तियां हुई हैं। दून अस्पताल और सुशीला तिवारी अस्पताल में आईसीयू और वेंटिलेंटर जैसी आधुनिक सुविधाओं की कमी थी लेकिन ये बढ़ाई गई हैं। हाल ही में देहरादून में बड़े ट्रक में ओपीडी सर्विसेज शुरू हो गई है। टेली-मेडिसिन का चलन बढ़ा है। देश में जीडीपी का मात्र डेढ़ प्रतिशत खर्च करते रहे हैं अब आने वाले समय में यह बढ़ सकता है।

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