आज के जमाने में हर देश तकनीक का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है जिस देश की तकनीक सबसे ज्यादा विकसित है वह देश उतना ही विकसित देश माना जाता है। अब उत्तराखंड में भी ड्रोन की तकनीक को और ज्यादा विकसित करने के लिए सरकार कदम उठा रही है इसी का परिणाम है कि अब उत्तराखंड में छः ड्रोन रिपेयर एंड मेंटेनेंस कोर्स करने के केंद्र विकसित किये जा रहे हैं। इसमें इन क्षेत्र के बच्चों को इस तकनीक के बारे में स्किल्ड किया जायेगा।
उत्तराखंड के छह औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) में ड्रोन रिपेयर एंड मेंटेनेंस कोर्स शुरू होंगे। इसके तहत प्रशिक्षुओं को ड्रोन के संचालन की बारीक जानकारी के साथ हर पार्ट का मरम्मत करना सिखाया जाएगा। ड्रोन के बढ़ते चलन के कारण इनके संचालन से लेकर रिपेयर और मेंटनेंस तक में स्किल्ड लोगों की मांग बढ़ रही है, जिसे देखते हुए तकनीकी शिक्षा विभाग ने ड्रोन टेक्नीशियन तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है। इससे युवा कोर्स पूरा करने के बाद अपना कारोबार खोल सकेंगे और ड्रोन संचालकों को यहीं पर सभी सुविधाएं मिल जाएंगी।
अधिकारियों के मुताबिक, इसी सत्र से इस शार्ट टर्म कोर्स (सर्टिफिकेट कोर्स) शुरू किया जाएगा। इसकी अवधि 250 घंटे रहेगी, जिसे दो माह से लेकर छह माह तक की अवधि में पूरा करना होगा। पाठ्यक्रम तैयार कर लिया गया है। जल्द सीटों का निर्धारण कर आईटीआई संस्थान में पढ़ रहे विद्यार्थियों को इसमें प्रवेश दिया जाएगा।
यह कोर्स आईटीआई हल्द्वानी नैनीताल, आईटीआई अल्मोड़ा, आईटीआई चंबा टिहरी गढ़वाल, आईटीआई बड़कोट उत्तरकाशी, महिला आईटीआई देहरादून और आईटीआई हरिद्वार में खोले जायेंगे।
सरकार को भी ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल करने से काफी मदद मिलती है। इस तकनीक के कारण हम भीड़भाड़ वाले इलाकों में उपद्रवी लोगों पर नजर रख सकते हैं। इसके अलावा एक स्थान से दूसरे स्थान में दवाई या अन्य सामान पहुंचाने में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
बढ़ता चलन बनी जरूरत
ड्रोन का इस्तेमाल प्रशासन निरीक्षण में और पुलिस विभाग यातायात नियमों को तोड़ने वालों के खिलाफ चालान की कार्रवाई के लिए कर रही है। कृषि क्षेत्र में भी इसे उपयोग में लाया जा रहा है। इस कोर्स को करने के बाद युवाओं को एयर फोर्स में भी नौकरी के अवसर मिल रहे हैं। ड्रोन का चलन शादी समारोह में काफी बढ़ गया है।
कुछ समय पहले राष्ट्रीय ड्रोन नीति के अन्तर्गत उत्तराखंड राज्य में ड्रोन रिसर्च सेंटर की स्थापना की जा चुकी है। प्रदेश के प्रत्येक जनपद में ड्रोन प्रशिक्षण स्कूल की स्थापना का कार्य गतिमान चल रहा है। राज्य द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल आपदा प्रबन्धन में “नभनेत्र“ प्लेटफार्म के माध्यम से किया जा रहा है। प्राईवेट इन्वेस्टर द्वारा रूड़की में देश की सबसे बड़ी ड्रोन फैक्ट्री स्थापित की जा चुकी है। यह बात एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कही थी।
उन्होंने कहा था कि प्रदेश के लिए बहुत ही ऐतिहासिक दिन है जब देश की सबसे बड़ी और प्रदेश की पहली आधुनिक ड्रोन तकनीक फैक्ट्री की शुरुआत हुई है। इस ड्रोन फैक्ट्री में प्रति माह 150 से अधिक सर्वेक्षण ड्रोन और भारतीय सेना के लिए 50 से ज्यादा एडवांस ड्रोन बनाने की क्षमता है। फैक्ट्री में ड्रोन के सुरक्षित और कुशल उपयोग के साथ-साथ भू-स्थानिक डेटा उत्पादन में पायलटों को प्रशिक्षित करने के लिए एक स्वतंत्र प्रशिक्षण अकादमी भी होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार संसाधनहीन प्रतिभाओं को मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्किल इंडिया के तहत प्रोत्साहित कर रही है। उत्तराखंड भौगोलिक परिस्थितियों के लिहाज से बेहद जटिल राज्य है, यहां ड्रोन तकनीक बेहद कारगर सिद्ध हो सकती है।
उन्होंने कहा कि ड्रोन का राज्य में और कितना बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है इसके लिए सभी विशेषज्ञ अपने सुझाव सरकार तक पहुंचा सकते हैं। राज्य सरकार राज्य हित से जुड़े महत्वपूर्ण विषयों पर अवश्य संज्ञान लेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में ड्रोन एप्लीकेशन रिसर्च सेंटर डार्क स्थापित किया गया है। हमारी सरकार का लक्ष्य है अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचना है। हम संकल्प रहित विकल्प के सिद्धांत के साथ काम कर रहे हैं।
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