उत्तरकाशी में वन विभाग ने करीब 25 लाख की प्रतिबंधित काजल लकड़ी पकड़ी, तीन के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज

उत्तरकाशी में वन विभाग ने करीब 25 लाख की प्रतिबंधित काजल लकड़ी पकड़ी, तीन के खिलाफ़ मुकदमा दर्ज

डीएफओ उत्तरकाशी डीपी बलूनी ने जानकारी देते हुए बताया कि एसडीओ कन्हैया लाल और रेंज अधिकारी मुकेश रतूड़ी के नेतृत्व में वन विभाग की टीम ने सुबह करीब पांच बजे गंगोरी बैरियर पर चेकिंग के दौरान एक वाहन को रोका। चेकिंग में वाहन से काजल लकड़ी के 200 कटोरे मिले। जिसे विभाग ने कब्जे में ले लिया।

लोकेंद्र सिंह बिष्ट, उत्तरकाशी

उत्तरकाशी वन प्रभाग के अंतर्गत वन विभाग की टीम ने बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित काजल की लकड़ी पकड़ी है। विभागीय टीम ने आज सुबह गंगोत्री राजमार्ग पर गंगोरी बैरियर पर चेकिंग के दौरान एक वाहन से काजल लकड़ी के 200 गुटखे, कटोरे बरामद कर कब्जे में ले लिया।

साथ ही तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार वन अधिनियम के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया है। बरामद प्रतिबंधित लकड़ी की कीमत करीब 20 से 25 लाख रूपए आंकी जा रही है।

डीएफओ उत्तरकाशी डीपी बलूनी ने जानकारी देते हुए बताया कि एसडीओ कन्हैया लाल और रेंज अधिकारी मुकेश रतूड़ी के नेतृत्व में वन विभाग की टीम ने सुबह करीब पांच बजे गंगोरी बैरियर पर चेकिंग के दौरान एक वाहन को रोका। चेकिंग में वाहन से काजल लकड़ी के 200 कटोरे मिले। जिसे विभाग ने कब्जे में ले लिया।

इसके साथ ही प्रतिबंधित लकड़ी ले जा रहे ऋषि लाल पुत्र सुरेंद्र लाल, सोहन लाल पुत्र स्व प्यारे लाल निवासी गुमानीवाला ऋषिकेश तथा उज्जन सिंह पुत्र ललित निवासी धारापुरी ओडा नेपाल को गिरफ्तार कर तीनों के खिलाफ वन अधिनियम में मुकदमा पंजीकृत किया है।

इधर, एसडीओ कन्हैया लाल ने बताया कि अभियुक्त भटवाड़ी ब्लॉक के सौरा, सारी के जंगलों के प्रतिबंधित काजल लकड़ी लेकर जा रहे थे।

इधर विगत वर्ष 28 दिसंबर 2022 को भी माफियों से उत्तरकाशी के डुंडा में डुंडा पुलिस ने इनोवा कार में लाखों की कांजल की लकड़ी पकड़ी गई थी।

उत्तराखंड की बानगी देखिए की जिस लकड़ी को हम गैर उपयोगी समझते हैं, उसे जंगलों में सड़ने गलने के लिए छोड़ देते हैं। सही मायने में हमे उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों के जंगलों में मिलने वाली, पाई जाने वाली, उगने वाली जड़ी बूटियों के बारे में, यहां के पेड़ पौधों के बारे में जानकारी हीं नहीं है कि इनकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करोड़ों में है। इनकी उपयोगिता क्या इसकी भी जानकारी ही नहीं है। इन सबके बारे में कोई जानकारी है तो वो है नेपालियों के पास।

विगत वर्ष भी डुंडा में दो नेपाली को कांजल की चार लाख बाजार मूल्य की लकड़ी 4 बोरो में बोलेरो के साथ पुलिस ने चेकिंग के दौरान गिरिफ्तार किए थे।

मैंने भी पहली बार कांजल की लकड़ी के बारे में सुना व देखा। इस कांजल के पेड़ पर बनी गांठ की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मूल्य करोड़ों में है। इस कांजल की गांठ की बनी कटोरी कटोरों वा दूसरे बर्तन की कीमत आसमान छूती हैं।

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