सपना तो सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना है लेकिन उससे पहले मातृभूमि पर कोरोना का संकट आया तो अपना फर्ज निभाने के लिए इस महामारी के खिलाफ लड़ी जा रही जंग में कूद पड़े हैं। जी हां, ये यूथ फाउंडेशन के कोरोना वॉरियर्स हैं…। मिशन सिर्फ एक है…संकटकाल में लोगों की मदद।
किसी भी तरह की आपदा हो…दैवीय या कोरोना जैसी महामारी….यूथ फाउंडेशन हमेशा अपनी सेवाएं देने के लिए तत्पर रहा है। देश में कोरोना संकट के बीच यूथ फाउंडेशन कोरोना वॉरियर्स की जिम्मेदारी निभाने के लिए आगे आया है। सेना में भर्ती होने का सपना देखने वाले यूथ फाउंडेशन के युवा इन दिनों देहरादून के कई हिस्सों में पुलिस कर्मियों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। इन सभी युवाओं को सेना में भर्ती के लिए तैयार किया गया है। इनमें से कई युवक और युवतियां एनसीसी के कैडेट्स भी रहे हैं। देश की सेवा से पहले जब देवभूमि की सेवा का मौका मिला तो पीछ क्यों रहते। ये सभी कोरोना महामारी के दौरान लोगों की सहायता कर रहे हैं।
देहरादून के अलग-अलग थानों की पुलिस के साथ यूथ फाउंडेशन के सदस्य सहायक की भूमिका में हैं। उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं, ताकि इस संकटकाल से मिलजुलकर उबरा जा सके।
जगह-जगह पुलिस के साथ लोगों की मदद कर रहे हैं यूथ फाउंडेशन के योद्धा।
सेना में जाने की चाहत रखने वाले युवा 23 अप्रैल से कोरोना रेड जोन देहरादून के विकासनगर पुलिस थाने, सहसपुर, प्रेमनगर, गढ़ीकैंट राजपुर, रायपुर, हर्रावाला से लेकर डोईवाला से रानी पोखरी पुलिस थाने तक कोरोना वॉरियर्स के रूप में कार्य कर रहे हैं। ये सभी यूथ फाउंडेशन के प्रशिक्षक भारतीय सेना से रिटायर कैप्टन ताजबर सिंह रावत, कोऑर्डिनेटर अंजू चंदेल, सतीश शर्मा की निगरानी में अपने काम को अंजाम दे रहे हैं। फिलहाल यूथ फाउंडेशन के 20 से 30 युवा इस काम में जुटे हैं। हालांकि यदि पुलिस प्रशासन अनुमित देता है तो यूथ फाउंडेशन के सभी प्रशिक्षित युवा राज्य के सभी जिलों में अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हैं। यूथ फाउंडेशन ने सभी जिलों के पुलिस प्रमुखों से इसके लिए अनुरोध भी किया है।
हर काम में दक्ष हैं फाउंडेशन के सदस्य।
यूथ फाउंडेशन मीडिया टीम के अखिल जोशी ने बताया कि कर्नल (रिटायर्ड) अजय कोठियाल का कहना है कि देश की सरहदों पर फौजी और देश के अंदर पुलिसबल अपना अहम योगदान करते आए हैं। इस वक्त देश एक महामारी से लड़ रहा है। कोरोना से लड़ने के लिए पुलिस के अधिकारी, जवान दिनरात डटे हुए हैं। ऐसे में अगर हम सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए पुलिस के साथ मिलकर कोई काम कर सकते हैं, तो हमें एक जागरूक नागरिक होने के नाते जरूर करना चाहिए। ऐसे कई कोरोना वॉरियर्स हैं, जो पिछले एक महीने से दिनरात लोगों को इस महामारी की चपेट में आने के बचाने के लिए काम कर रहे हैं। अगर हम पुलिस और प्रशासन की इस जिम्मेदारी में थोड़ा सा सहयोग दे सकते हैं, तो निश्चित तौर पर करना चाहिए। यह कोरोना के खिलाफ पूरे देश की सामूहिक लड़ाई और हमारी राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी है।
बारिश हो या धूप, पूरे जज्बे के साथ तैनात हैं ये नौजवान।
कर्नल कोठियाल की प्रेरणा से चल रहे यूथ फाउंडेशन ने बहुत कम समय में युवाओं के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई है। फाउंडेशन उत्तराखंड में आठ जगहों पर प्रशिक्षण कैंप चलाता है। रुद्रप्रयाग के अगस्तमुनि, पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर के चौरांस और कोटद्वार, देहरादून के बालावाला और रुद्रपुर, चमोली के कर्णप्रयाग, उत्तरकाशी और नैनीताल के पीरूमदारा में यूथ फाउंडेशन के कैंप संचालित होते हैं।
अलग-अलग तरीके से पुलिस की कर रहे हैं मदद।
आसपास के लोग कर रहे फाउंडेशन के इन बहादुर योद्धाओं की तारीफ।
यहां ट्रेनिंग लेने वाले युवाओं को उसी माहौल में तैयार किया जाता है, जिस माहौल में भारतीय सेना का जवान तैयार होता है। सुबह 6 बजे से ट्रेनिंग का सिलसिला शुरू होता है, जो देर शाम तक चलता है। चिन-अप, रस्सी पर चढ़ना-उतरना और लॉन्ग जंप हर तरह के मुश्किल से मुश्किल प्रशिक्षण से सभी को गुजरना होता है। सेना के पूर्व प्रशिक्षकों के साथ ही नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की महिला प्रशिक्षक यूथ फाउंडेशन के कैंप में लड़कियों को ट्रेनिंग देती हैं।
सड़क और चौराहों पर तैनात हैं यूथ फाउंडेशन के सदस्य।
सेना में महिलाओं के लिए मिलिट्री पुलिस में भर्ती होने का रास्ता साफ होने के बाद यूथ फाउंडेशन ने उत्तराखंड से ज्यादा से ज्यादा लड़कियों से मिलिट्री पुलिस का हिस्सा बनाने का बीड़ा भी उठाया है। फाउंडेशन द्वारा तैनात लड़कियां भी कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हैं।
सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहे ये युवा।
अब तक उत्तराखंड के साढ़े नौ हजार से ज्यादा स्थानीय युवा यूथ फाउंडेशन के कैंपों में प्रशिक्षण लेकर गढ़वाल, कुमाऊं रेजीमेंट, अन्य सैन्य बलों और अर्धसैन्य बलों का हिस्सा बना चुके हैं।
कोरोना संकट के इस दौर में वे इसे अपना फर्ज मानकर ड्यूटी दे रहे हैं।
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