साइकिल से ‘स्वस्थ एवं रोगमुक्त भारत’ हेतु अलख जगाता उत्तराखंड का प्रवासी

साइकिल से ‘स्वस्थ एवं रोगमुक्त भारत’ हेतु अलख जगाता उत्तराखंड का प्रवासी

‘माउंटेन पीपुल फाउंडेशन’ के बैनर तले स्वास्थ्य के क्षेत्र में 2015 से प्रति वर्ष डॉ उमेश चंद्र पंत एवं संस्था अध्यक्षा सरोज पंत गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर साइकिल अभियान का आयोजन जनजागरण हेतु आयोजित करते रहे हैं। इस वर्ष 75वे गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर उक्त गठित संस्था के बैनर तले ‘स्वस्थ एवं रोगमुक्त भारत’ के लिए गठित संस्था से जुड़े बच्चों, उनके अभिभावकों के साथ-साथ अन्य स्थानीय लोगों द्वारा बड़ी संख्या में बढ़चढ़ कर जोश एवं उत्साह के साथ साइकिल यात्रा का भव्य आयोजन कर उसमें भाग लिया था, अन्य क्षेत्र के लोगों को जागरुक किया था।

सी एम पपनैं

उत्तराखंड पर्वतीय अंचल के दुर्गम क्षेत्र पिंलग जिला चमोली में 1977 में जन्मे डॉ उमेश चंद्र पंत परस्थितिवश बाल्यकाल से ही अपने बिगड़ते स्वास्थ व अंचल के ग्रामीण क्षेत्र में इलाज व रोजगार की समुचित व्यवस्था न होने के कारण अपने अंचल से पलायन कर दिल्ली एनसीआर में अपना डेरा जमाने को मजबूर हुए थे। इस पीड़ित व अभावग्रस्त शख्स द्वारा खुद के प्रयासों व प्रयोगों से अपने स्वास्थ को बेहतर बनाने का कारनामा कर व उक्त प्रयोगों से अर्जित ज्ञान व लाभ को जनमानस के उत्तम स्वास्थ हेतु जो राह दिखाने व जागरुक करने का कार्य निरंतर साइकल यात्रा के माध्यम से निःस्वार्थ भाव किया जा रहा है, निः संकोच एक सराहनीय व परोपकारी कदम कहा जा सकता है।

21वीं सदी के इस दौर में खासकर कोविड-19 भयावह महामारी प्रकोप के बाद से आम जनमानस स्वास्थ्य के प्रति अधिक सतर्क और जागरूक रह कर जीवन जीना चाहता है। अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए विभिन्न प्रकार के क्रियाकलाप करता देखा जा सकता है। स्वास्थ्य को कैसे ठीक-ठाक रखा जा सकता है? रोग प्रतिरोधक क्षमता कैसे बढ़ाई जा सकती है? इस उधेड़ बुन में प्रत्येक जन को चिंताग्रस्त भी देखा जा सकता है।

मानव स्वास्थ से जुड़ी उक्त चिंता को विराम देने का प्रेरणादाई उदाहरण प्रस्तुत किया है उत्तराखंड मूल के निवासी डॉ उमेश चंद्र पंत द्वारा जो वर्तमान में वसुंधरा, गाजियाबाद स्थिति मोहन मिकिन्स सोसाइटी में निवासरत हैं। परोपकार के तहत लाखों लोगों को स्वास्थ के प्रति 2015 से निरंतर जागरुक कर राह दिखा रहे हैं। परोपकार से जुड़ी उनकी इस निस्वार्थ भावना व मुहीम को एक अनुकरणीय व प्रेरणादाई कार्य स्वरूप देखा व परखा जा सकता है।

डॉ उमेश चंद्र पंत द्वारा समय-समय पर स्वास्थ से जुड़े कैंप और लोगों को जागरूक करने वाले मेलों के तहत महिला सशक्तिकरण, हर्बल उत्पादों एव पहाड़ी औषधियों के बावत लोगों को जागरूक करने, निःशुल्क चैरिटेबल औषधालय, वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष ओपीडी इत्यादि इत्यादि जैसे कार्य किए जाते रहे हैं।

बाल्यकाल से ही स्वयं डॉ उमेश चंद्र पंत का स्वास्थ ठीक नहीं रहता था। कमजोर शरीर के कारण बार-बार बीमार रहने का क्रम स्थाई रूप धारण करने लगा था। सामाजिक व आर्थिक पारिवारिक विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा था। 16 वर्ष की उम्र में पिता के देहावसान के बाद भोजन व कपड़े इत्यादि के लिए तक संघर्ष करना पड़ा था। स्कूली पढ़ाई का खर्च जुटाने के लिए लिफाफे बनाने के साथ-साथ किताबे, अखबार, टाफी, बिस्किट, चाय इत्यादि बेचने के लिए दुकानों में काम किया था।

निरन्तर स्वास्थ खराब रहने, अंचल के गांवों में किसी भी प्रकार की सुख-सुविधा व रोजगार न होने व अभावग्रस्त जीवन को बेहतर बनाने व जन समाज के लिए कुछ अच्छा कर गुजरने की चाहत में डॉ उमेश चंद्र पंत अंचल से पलायन करने को मजबूर हुए थे। मां और पत्नी के द्वारा दिए गए हौसले व भरपूर सहयोग से वर्ष 2015 में दिल्ली एनसीआर में ‘माउंटेन पीपुल फाउंडेशन’ नामक संस्था का गठन ‘पहला सुख निरोगी काया’ मंत्र व उद्देश्य को समाज में आगे बढ़ाने हेतु किया गया था। उक्त मंत्र व उद्देश्य इस उत्तराखंडी परोपकारी के जीवन का अद्भुत और अनोखा प्रयोग बन जन को स्वास्थ के क्षेत्र में निरंतर जागरुक करता नजर आ रहा है।

गठित संस्था का उद्देश्य उक्त मंत्र को देश के कोने-कोने तक पहुंचाना मुख्य मकसद है। परोपकार के तहत रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए स्वयं के निजी अनुभवों व प्रयासों से प्रिवेन्टिभ एवं जागरूकता अभियान घर-घर, गांव-गांव तक पहुंचाने का काम गठित परोपकारी संस्था द्वारा प्रतिबद्ध होकर किया जाता रहा है। बच्चों, बुजुर्गो, महिलाओं के लिए अतिविशेष व महत्त्वपूर्ण स्वास्थ कार्यक्रम गठित संस्था के बैनर पर बनाए व आयोजित किए जाते रहे हैं।

उत्तम स्वास्थ व रोग प्रतिरोधक क्षमता को सदैव बनाए रखने के लिए डॉ उमेश चंद्र पंत द्वारा स्वयं के ऊपर कई प्रयोग किए गए। किए गए प्रयोगों पर स्वास्थ लाभ में वृद्धि होने पर उक्त पद्धति को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य आरम्भ किया। उनके द्वारा गठित संस्था होम्योपैथिक पद्धति के अंतर्गत स्वास्थ के क्षेत्र में समाज में एक अहम भूमिका निभाती नजर आ रही है। देश की पहली होम्योपैथिक कोविड-19 मुहिम गठित संस्था ‘रुक्मणी देवी होमियोपैथिक सेंटर’ द्वारा निरंतर चलायमान है। साथ ही डेंगू, स्वाइन फ्ल्यू, चिकनगुनिया, सिजनल फ्ल्यू, इंफुलेंजा में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जा रहा कार्य स्वास्थ के क्षेत्र में एक विशेष पहल के रूप में देखा जा सकता है।

अब तक गठित यह संस्था डॉ उमेश चंद्र पंत के सानिध्य में 256 स्वास्थ्य जागरूकता शिविर आयोजित कर चुकी है। लगभग तीन लाख से अधिक लोगों को अपने होम्योपैथिक सेंटर द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए निशुल्क प्रिवेंटिव होमियोपैथी दवा वितरित कर चुकी है।

डॉ उमेश चंद्र पंत द्वारा वर्ष 2015 में ‘साइकिल चलाए, स्वस्थ रहें’ नामक मुहिम अपने दो बच्चों शक्ति पंत तथा उमंग पंत के साथ शुरू की गई थी। अब तक एक लाख से अधिक किलोमीटर तक वे साइकिल चलाने का कारनामा कर चुके हैं। प्रतिदिन औसतन तीस किलोमीटर की दूरी डॉक्टर पंत तय करते हैं। अपनी प्रतिदिन की दिनचर्या में साइकिल का प्रयोग करना उनकी आदतों में शुमार रहा है। उक्त क्रिया कलाप डॉक्टर पंत के उत्तम स्वास्थ का नजरिया पेश करता नजर आता है।

डॉ उमेश चंद्र पंत के अनुभवों के आधार पर इस भागम भाग भरे जीवन में जहां नगरों व महानगरों में तेज गति से लोगों की दिनचर्या चलायमान है, उसमें ठहराव लाने व उत्तम स्वास्थ प्राप्ति हेतु साइकिल एक अहम भूमिका निभाती है। स्वास्थ्य जागरूकता मुहिम की इस यात्रा के लिए स्वयं डॉक्टर पंत दिल्ली-एनसीआर के अलावा महीने में एक बार साइकिल से देश के दूसरे अन्य राज्यों की करीब दो सौ किलोमीटर तक की यात्रा पर निकल कर लोगों को उत्तम स्वास्थ प्राप्ति के लिए साइकिल यात्रा का महत्व बता, लोगों को स्वास्थ के प्रति जागरूक करते रहे हैं।

डॉक्टर पंत के अनुसार यदि व्यक्ति तीस किलोमीटर के दायरे में दफ्तर या किसी भी कामकाज के लिए साइकिल से निरंतर आवत-जावत करता है तो वह व्यक्ति विशेष हार्ट, लीवर, किड्नी, जोड़ों के दर्द, दमा, स्ट्रैस आदि बीमारी को कोशों दूर छोड़ सकता है। थोड़ी सी दूरी के लिए बाइक, स्कूटी या कार से यात्रा करना उस व्यक्ति के स्वयं के लिए तनाव और अवसाद उत्पन्न करता है।

अवलोकन कर ज्ञात होता है, साइकिल सदा लोगों के आस-पास ही रही है, बदला है तो सिर्फ उसका ढांचा। वर्तमान में साइकिल जिम का एक अहम हिस्सा है। योगशाला में साइकिल क्रिया अवश्य करवाई जाती है। खेल जगत से जुड़े खिलाड़ी और प्रशिक्षक साइकिल क्रिया जरूर करते हैं। साइकिल हमारे जीवन में किसी न किसी रूप में सदा बनी रही है। डॉक्टर पंत के मतानुसार साइकिल को उत्तम स्वास्थ की ‘जीवन औषधि’ मानना अतिशयोक्ति नहीं होगा।

डॉक्टर पंत का मानना रहा है, सड़कों पर साइकिल चलेगी तो सिस्टम भी सतर्क होगा। सड़कों पर साइकिल दुर्घटना भी होती है, इस दोष का पिटारा सीधे सिस्टम या सरकारी तंत्र पर फोड़ना ठीक नहीं लगता है। सड़क पर साइकिल सवार का वाहन सवार सम्मान करते देखे जा सकते हैं।

‘माउंटेन पीपुल फाउंडेशन’ के बैनर तले स्वास्थ्य के क्षेत्र में 2015 से प्रति वर्ष डॉ उमेश चंद्र पंत एवं संस्था अध्यक्षा सरोज पंत गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर साइकिल अभियान का आयोजन जनजागरण हेतु आयोजित करते रहे हैं। इस वर्ष 75वे गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर उक्त गठित संस्था के बैनर तले ‘स्वस्थ एवं रोगमुक्त भारत’ के लिए गठित संस्था से जुड़े बच्चों, उनके अभिभावकों के साथ-साथ अन्य स्थानीय लोगों द्वारा बड़ी संख्या में बढ़चढ़ कर जोश एवं उत्साह के साथ साइकिल यात्रा का भव्य आयोजन कर उसमें भाग लिया था, अन्य क्षेत्र के लोगों को जागरुक किया था।

डॉ उमेश चंद्र पंत द्वारा अपने स्वयं के अस्वस्थ जीवन को स्वस्थ व बेहतर बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग कर जो ज्ञान अर्जित किया गया, उक्त अर्जित ज्ञान का लाभ परोपकार के तहत जन-जन तक पहुंचाने का बीड़ा भी उनके द्वारा उठाया गया है। स्वास्थ के प्रति निरंतर लोगों को जागरुक करने का काम उनके द्वारा किया जा रहा है। इस परोपकारी कार्य से डॉक्टर पंत को अपार आनंद और उत्साह की अनुभूति होती होगी समझा जा सकता है। उक्त सब कर्म-धर्म व कथ्य-तथ्य को निष्कर्ष स्वरूप ’स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं।’ ’परोपकार से बड़ा कोई पुण्य नहीं’ के तहत आंका जा सकता है।

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