उत्तराखंड में 14 फरवरी 2022 को चुनाव होना है चुनाव आयोग ने सभी दलों को निर्देश दिया है कि 15 जनवरी तक कोई भी दल रैली या जनसभा का आयोजन नहीं करेगा। ओमिक्राॅम के बढ़ते खतरे हो देखते हुए चुनाव आयोग ने यह दिशा निर्देश जारी किया है।
चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से अपील की है कि वह कोरोना के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए अपना जनसंपर्क करें। चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों से कहा है कि वह केवल पांच लोगों के साथ घर घर जाकर चुनाव प्रचार कर सकते हैं। चुनाव आयोग ने सभी दलों से कहा कि वह ज्यादा से ज्यादा वर्चुअल माध्यम से चुनाव प्रचार करें।
उत्तराखंड में ऐसे कई गांव हैं जहां अभी तक संचार की सुविधाएं नहीं पहुंच पाई है वहां पर राजनीतिक दलों के लिए यह बड़ा संकट हैं कि वह किस तरह से अपनी बात यहां के मतदाताओं तक पहुंचा पायेंगे।
इसके अलावा जिन स्थानों पर सिग्नल पहुंच रहा है वहां पर भी कई जगह यह कमजोर रहता है कभी सिग्नल आते हैं तो कभी नहीं आते। ऐसे में यहां के राजनीतिक दल यहां के लोगों तक अपनी बात वर्चुअल माध्यम से नहीं पहुंचा पायेंगे।
उत्तराखंड के दूर दराज के गांवों में संचार सुविधाएं न के बराबर हैं। यहां पर मोबाइल के सिग्नल काफी कमजोर रहते हैं। ऐसे में पार्टी के उम्मीदवारों के लिए यहां पर मतदाताओं को अपने पक्ष में करना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
हालांकि हमारा देश डिजिटल माध्यम पर ज्यादा ध्यान दे रहा है लेकिन उत्तराखंड में अभी भी कई स्थानों तक संचार व्यवस्था सही तरीके से नहीं पहुंच पाई है और इसको यहां तक पहुंचने में अभी काफी समय लगेगा।
गांव के लोगों का कहना है कि दूर दराज के कई गांवों में मोबाइल नेटवर्क की बड़ी दिक्कत रहती है। राज्य सरकार भले ही बच्चों को टैबलेट बांट रही है इससे बेहतर यह होता कि पहले गांवों में मोबाइल के टावर लगाए जाते। जब तक यहां टावर नहीं लगेंगे तब तक यहां के बच्चे इस टैबलेट का क्या प्रयोग करेंगे, यह बात गौर करने वाली है।
इसके अलावा यहां के कई हिस्सों में आजकल खूब बर्फबारी हो रही है जिससे कि यहां के लोगों का जन-जीवन भी अस्त व्यस्त हो गया है। बर्फबारी के कारण जगह जगह सड़कों को काफी नुकसान हुआ है कई जगहों पर सड़क क्षतिग्रस्त हो गई हैं। जिससे यहां का आवागमन में बाधा आ रही है। इससे भी यहां के राजनीतिक दलों को चुनाव प्रचार में काफी बाधा आ सकती है।
कोराना काल में स्कूलों की पढ़ाई भी आॅनलाइन के माध्यम से की जा रही थी और कई जगहों पर अभी भी की जा रही है। इसके लिए हर बच्चे के घर में स्मार्टफोन और उसमें नेटवर्क भी होना चाहिए। जिससे इन बच्चों को पढ़ाई करने में किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पडे।
कोरोना काल में यहां के दूर दराज के बच्चों को आॅनलाइन पढ़ाई करने में काफी मुसीबत का सामना पड़ा था। कई स्थानों पर तो यह भी देखा गया कि मोबाइल में सिग्नल न होने के कारण शिक्षकों को अपनी कक्षायें पहाड़ की ऊंचे स्थान पर जाकर लेनी पड़ रही थी।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *