आकाश एयर फोर्स मेस, नई दिल्ली में भारत के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की प्रथम पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि स्वरूप उनके व्यक्तित्व पर आधारित पुस्तक ‘महायोद्धा की महागाथा’ का लोकार्पण हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अजीत डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एवं विशिष्ट अतिथि वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे, एयर मार्शल संदीप सिंह और एयर मार्शल बी आर कृष्णा तथा जनरल रावत की सुपुत्री तारिणी रावत उपस्थित थे।
आकाश एयर फोर्स मेस, नई दिल्ली में भारत के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की प्रथम पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि स्वरूप उनके व्यक्तित्व पर आधारित पुस्तक ‘महायोद्धा की महागाथा’ का लोकार्पण हुआ। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अजीत डोभाल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एवं विशिष्ट अतिथि वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे, एयर मार्शल संदीप सिंह और एयर मार्शल बी आर कृष्णा तथा जनरल रावत की सुपुत्री तारिणी रावत उपस्थित थे। इस अवसर पर श्रीमती मधुलिका रावत, ब्रिगेडियर एल एस लिड्डर, ग्रुप कैप्टेन वरूण सिंह, लेफ्टिनेंट कर्नल हरजिंदर सिंह, विंग कमांडर पी एस चौहान, स्क्वाडर लीटर कुलदीप सिंह, जेडब्लूओ आर पी दास, जेडब्लूओ प्रदीप, हवलदार सतपाल, नायक गुरसेवक सिंह, लांस नायक सांई तेजा और परातरूपर विवेक कुमार को श्रद्धांजली दी गई।
इस अवसर पर एनएसए अजीत डोभाल ने कहा कि जनरल बिपिन रावत बड़े ही परिश्रमी सैन्य अधिकारी थे वह देश के लिए हर समय काम करने के तैयार रहते थे। उन्होंने कहा कि जब चीन के साथ मालला चल रहा था तो तब उन्होंने मजबूती से चीन का मुकाबला किया। वे बड़े सैन्य रणनीतिकार थे। उन्होंने कहा कि अपनी सरल जिंदगी, निस्स्वार्थ सेवा और निर्णायक नेतृत्व के कारण वे न सिर्फ जवानों में बल्कि आम नागरिकों में भी बहुत लोकप्रिय थे। उनकी सोच बहुत सकारात्मक और दूरदर्शी थी। वे समग्रता से सोचते थे और संपूर्णता में एक्शन लेते थे। वह भविष्य की लड़ाइयों को स्वदेशी हथियारों के द्वारा लड़ने की दिशा में बहुत सकारात्मक और ठोस कदम उठा रहे थे।
जनरल बिपिन रावत की पहली पुण्यतिथि पर तीन सेनाओं से जुडे और उनके साथ कार्य कर चुके सैन्य अधिकारियों ने इस कार्यक्रम में आकर अपनी यादें साझा की। इससे पहले जनरल बिपिन रावत की सुपुत्री तारिणी रावत, ब्रिगेडियर एलएस लिड्डर की पत्नी और बाकी दिवगंत परिवारों ने समर स्मारक पर जाकर श्रद्वासुमन अर्पित किये। पुस्तक विमोचन के इस कार्यक्रम में नौसेना के वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे, वायु सेना के एयर मार्शल संदीप सिंह और एयर मार्शल बी आर कृष्णा, वाइस एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, पूर्व एटीआरओ चीफ अनिल धस्माना, पोर्ट और शिपिंग सचिव सुधांश पंत, डीजी स्पेस एशोसिएशन ले जनरल अनिल भट्ट, डीएमए के ले जनरल अनिल पुरी, डीजी कोस्टगार्ड वीएस पठानिया, एडीजी राकेश पाल, दिल्ली पुलिस के स्पेशल सीपी दीपेंद्र पाठक और तीनों सेनाओं से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी और उनके परिवार श्रद्धांजली सभा में शामिल हुए।
महायोद्धा की महागाथा पुस्तक के लेखक मनजीत नेगी ने पुस्तक के विमोचन करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का आभार व्यक्त किया उन्होंने कहा कि एनएसए जी ने इस पुस्तक को लिखने में मेरा मार्गदर्शन किया और उन्होंने इस पुस्तक की प्रस्तावना लिखी। इस पुस्तक की भूमिका चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल अनिल चौहान ने लिखी। इसके लिए उन्होंने उनका भी आभार व्यक्त किया।
पुस्तक परिचय
रक्षा संवाददाता मनजीत नेगी ने महायोद्धा की महागाथा पुस्तक लिखी है। जिन्होंने जनरल बिपिन रावत के कार्य को नजदीकी से देखा। भारत के प्रथम सी.डी.एस. जनरल बिपिन रावत अदम्य इच्छाशक्ति और अपूर्व दूरदृष्टि-संपन्न महायोद्धा थे। अपने सैन्य जीवन में उन्होंने प्रखरता और तेजस्विता के साथ नेतृत्व किया। उन्हें मालूम था कि वे जिस मिशन पर आगे बढ़ रहे हैं, वह देशहित के लिए है, दूरदर्शी व दूरगामी है; भारतीय सेना के भविष्य की बेहतरी के लिए है। भले ही यह उनके लिए काँटों भरा ताज रहा हो, पर वे कभी नहीं डिगे। उन्होंने सेनाओं में जितने भी सुधार लागू किए, उन्हें पहले खुद पर भी लागू किया। सेनाओं में नैतिक मूल्यों और भ्रष्टाचार के खिलाफ उन्होंने ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई। वे सेनाओं में ‘मेक इन इंडिया’ के सबसे बड़े पुरोधा थे। उन्होंने डी.आर.डी.ओ. और सेनाओं के भीतर अंतर्विरोध के बावजूद देश में हथियार और सैन्य साजो-सामान बनाने पर पूरा जोर दिया।
जनरल बिपिन रावत का विराट् व्यक्तित्व, दृढ़ चरित्र और बेहतरीन कार्य कौशल, अतिसामान्य सरल व्यवहार, सबकुछ इतना स्वाभाविक और गैर-बनावटीपन वाला तथा प्रभावोत्पादक था कि जो उनसे एक बार भी मिलता, सहज ही प्रभावित हो जाता। उनकी सैन्य रणनीतियाँ, कार्य-तत्परता, अध्ययन, विश्लेषण, बेखौफ, बेलौस, बेबाक बयानगी, उनकी कर्मशीलता, उनकी मानवीय न्यायप्रियता तथा भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस किसी भी निष्पक्ष और निरपेक्ष को उनके पक्ष में कर देता था।
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