मसूरी में सरकार द्वारा तीन दिन का चिंतन शिविर आयोजित किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, समेत शासन के मुख्य सचिव और अन्य अधिकारी एकत्रित हुए तथा सरकार की सुशासन के प्रति वचनबद्धता दोहराई गई।
ब्रिगेडियर सर्वेश दत्त डंगवाल
वर्तमान सरकार, मुख्यमंत्री के ऊर्जावान, प्रदेश के प्रति संकल्पित सेवाभाव और सुशासन से प्रेरित नेतृत्व के अधीनस्थ काम करने की मनसा से प्रभावित दिख रही है। अब हमें यह देखना है कि, हमारे प्रदेश के प्रधान सेवक और उनका मंत्रीमंडल, इस शिविर के विचारों को जमीन पर कैसे और कितना उतारकर जनता के हित्त के लिए काम करते हैं, और शासन को इस विचारधारा और मानसिकता से काम करने के लिए प्रतिबद्ध और प्रोत्साहित कर, लोकतंत्र को सम्मानित एवं प्रज्वलित कर सकते हैं।
हमारा जो पूर्व का अनुभव रहा है, वह हमें इसके प्रति निराशवान करता है। क्योंकि हमारे मंत्रियों और विधायकों की जो छवि, जनता के मन में बनी हुई है वह शिविर के महत्वाकांक्षी उद्देश्यों और घोषणाओं को सकारात्मक दृष्टिकोण से नहीं देखती है। मैं, यह इसलिए कह रहा हूं क्योंकि, जब मसूरी में यह शिविर चल रहा था तब उसी के समकक्ष, करीब 30 किलोमीटर की दूरी में, क्षेत्र के काश्तकारों की एक समिति की सभा भी धनोल्टी के ग्राम पंचायत भवन में आयोजित और अपने आदर्शों के लिए क्रियान्वयन थी।
इस सभा में, अधिकांश भावना और विचार यह थे कि, जनता के काम कमिशन देकर ही सम्भव होते हैं अन्यथा नहीं। इस बात का समर्थन करते हुए सभा के अन्य सदस्यों ने अपनी दास्तायें व्यक्त करीं, और इसके फलस्वरूप केवल जनता की लाचारी देखने को मिली। कहने में, और करने में बहुत अन्तर है।
जनता, धामी सरकार और उत्तराखंड के शासन से यह अपेक्षा करती है कि, यदि वह भ्रष्टाचार पर नकेल डाल दें और भ्रष्ट जनता के प्रतिनिधियों और नौकरशाहों / अधिकारियों के खिलाफ मुनासिब प्रशासनिक एवं न्यायिक कार्यवाई कर जनता को आश्वस्त कर सकें, तभी शिविर में उद्घोषित नैतिकता के पढ़ाये गये पाठ के आदर्शों को हासिल करना सम्भव है। अपितु नहीं।
मुख्य सचिव एसएस संधु का शिविर में उपस्थित श्रोताओं को दिये गये सम्बोधन का, जनता ने बहुत स्वागत किया और सराहा भी। मुख्य सचिव ने कहा कि, नौकरशाह और विभाग अधिकारी जनता का काम दम्भ ग्रस्त होकर ना करें अपितु साकारात्मक सोच और संवेदना से प्रेरित होकर करें। जब अधिकारी समस्या के समाधान के लिए हां कहता है, तो वह अपने को निर्वसीन कर देता है और उसकी प्रशासनिक शक्ति जिसका उसे दम्भ है समाप्त हो जाती है। लेकिन जब वह ना कहता है, तो उसकी शक्ति और दम्भ दोनों सुरक्षित रहते हैं। और इसका वह पूर्ण लाभ उठाता है, चाहे मनोवैज्ञानिक तरीके से या आर्थिक / भौतिक प्रलोभन से।
सुशासन को सम्भावित करने के लिए प्रदेश में, 2019 से मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1905 योजना का आरम्भ हो रखा है, और जो जनहित्त के दृष्टांत से एक बहुत उत्कृष्ट योजना है। लेकिन हमारे प्रदेश की नौकरशाही और विभाग अधिकारियों ने इस पर सेंध लगा रखी है।
उत्तराखंड का यह दुर्भाग्य है कि, न्याय और नियम परस्त जनता को प्रदेश की छ्द्म सरकार (नौकरशाहों) ने हताश और प्रताड़ित कर रखा है। नौकरशाहों और अधिकारियों के व्यवाहर में जो भाई-भतीजावाद विदित है वह अपनी पराकाष्ठा पर है, और सरकार लाचार है। ऐसा क्यूं ?
सीएम धामी आप एक युवा नेता के रूप में सरकार में आये और प्रदेश की जनता को आपसे अन्य अपेक्षायें हैं लेकिन आपकी नौकरशाही अपने छद्म व्यवाहर से आपको विफल करने में प्रयासरत है। आप केवल मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 1905 को और अधिक प्रबल बनायें और नौकरशाहों/ विभाग अधिकारियों को इसके प्रति संकल्पित भाव से काम करने के लिए आदेशित एवं प्रेरित करें। बस इतना यकीन करने से जनता आपकी कायल हो जायेगी। यह मेरा अटल विश्वास है।
Leave a Comment
Your email address will not be published. Required fields are marked with *