INTERVIEW: ऋषिकेश की पौराणिक विरासत समृद्ध, स्वच्छता की मिसाल बनाने पर फोकस

INTERVIEW: ऋषिकेश की पौराणिक विरासत समृद्ध, स्वच्छता की मिसाल बनाने पर फोकस

हर शहर की अपनी अलग पहचान होती है। देवभूमि उत्तराखंड में ऋषिकेश की बात हो तो गंगा के तीरे आध्यात्मिक ऊर्जा और योग साधना के विचार मन में आते हैं। शहर को आधुनिक स्वरूप देना और इसके पारंपरिक स्वरूप को बनाए रखना अपने आप में चुनौती है।

कंकरीट का जंगल होने से बचाते हुए स्वच्छ और आध्यात्मिक शहर की पहचान बनाए रखने का जिम्मा ऋषिकेश नगर निगम की मेयर अनीता ममगांई बखूबी उठा रही हैं। नगर निगम बनने के बाद पहली मेयर के तौर पर उन्होंने ऋषिकेश में कई तरह की पहल की हैं। एक वीआईपी शहर की जिम्मेदारी कितनी कठिन और चुनौतीपूर्ण होती है और शहर को नया स्वरूप देने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं  ‘हिल-मेल’ के साथ अनीता ममगाईं की बातचीत।

आप ऋषिकेश नगर निगम की पहली महिला मेयर हैं, कितना चुनौतीपूर्ण रहा है अभी तक का सफर?

सबसे पहले मैं ‘हिल मेल’ का धन्यवाद देती हूं। यह उत्तराखंड में सबसे लोकप्रिय मीडिया बन चुका है। देखिए, नया-नया नगरपालिका से नगर निगम बना। पूर्व में 15 वर्षों में यहां क्या हुआ, किस तरह से एक अव्यवस्थित नगरपालिका यहां चल रही थी? नई चीज को संभालने में निश्चित तौर पर चुनौतियां तो थीं लेकिन हमने इन्हें स्वीकार किया और अब जनता के सहयोग, बुद्धिजीवियों और वरिष्ठों के आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन से उसे आगे बढ़ाया। आज ऋषिकेश नगर निगम विश्व पटल पर अंकित शहर है, इस नगरी को उसकी पहचान दिलाने के लिए मैं लगातार प्रयासरत हूं और उसी दिशा में काम कर रही हूं।

सबसे पहले हमने सफाई व्यवस्था पर फोकस किया। यहां पर देश-विदेश से लोग आते हैं, उनके मन में जो भावना होती है, जिस तरह से वे शहर को देखना चाहते हैं, वैसा बनाने के लिए हमारी पूरी सफाई व्यवस्था चाक-चौबंद रहनी चाहिए। इसके लिए मैंने रात्रि सफाई व्यवस्था शुरू कराई। हर हफ्ते विशेष सफाई अभियान चलता है। मुख्य मार्गों से लेकर हर वार्ड में यह अभियान चलता है और उसका नेतृत्व मैं खुद करती हूं। अपने पर्यावरण मित्र, स्वच्छता कर्मी हैं, उनका मनोबल बना रहे, उनकी हौसलाआफजाई के लिए मैं खुद झाड़ू पकड़ती हूं।

इसके बाद हमने शौचालयों की तरफ ध्यान केंद्रित किया। ऋषिकेश की जो मार्केट है, वह पूरे गढ़वाल क्षेत्र की है, लोग और तीर्थयात्री यहां आते हैं तो शौचालयों की अव्यवस्था के कारण उन्हें खासी परेशानी होती थी खासतौर से हमारी बहनों को। हमने हाईटेक शौचालय बनाने की योजना बनाई। मैं बड़े गर्व के साथ आज कह सकती हूं कि हमने फाइव स्टार होटल की तर्ज पर शौचालयों का निर्माण किया। 10 हाईटेक शौचालय बनाए गए हैं, जिसमें से 5 जनता को समर्पित किए जा चुके हैं।

इसके साथ ही सभी के सहयोग से ओडीएफ प्लस हमारा शहर हो गया है यानी यहां कोई भी खुले में शौच के लिए नहीं जाता है। हम चाहते हैं कि यहां की पौराणिक विरासत को समृद्ध किया जाए। यहां मठ, मंदिर को कैसे पूर्व के स्वरूप में लाएं, इस दिशा में काम हो रहा है। जो आश्रम खराब हो गए थे, कुछ जगहों पर लोगों ने तो कब्जा ही कर लिया। अपार्टमेंट बना दिए, कॉम्प्लेक्स बना दिए उस चीज को विकास प्राधिकरण को देखना चाहिए। इस बाबत मेरे प्रयास जारी हैं।

मैं चाहती हूं कि अपने शहर को उसके मूल स्वरूप में रखा जाए। 10-10 मंजिला न बनाएं क्योंकि यहां शहर के लोग आते हैं। अगर छोटे-छोटे मकान और व्यवसाय रहेंगे तो भौगोलिक स्थिति के हिसाब से अच्छा रहेगा। कई जगहों पर पुराने आश्रम खुर्द-बुर्द हो गए हैं, जहां बचे हैं उसके लिए हमने कमेटी का गठन किया है। जो पुरानी धर्मशालाएं अभी लोगों के कब्जे में हैं उसे जनता के लिए नगर निगम में सम्मिलित कर सकें।

किसी भी शहर की खूबसूरती उसके चौराहे होते हैं। जैसे हम अपना घर बनाते हैं तो उसकी खूबसूरती के लिए हम सबसे पहले उसके गेट को सजाते हैं उसी तरह से हमने शहर के मुख्य चारौहों का सौंदर्यीकरण किया और महापुरुषों के नाम पर चौराहों को रखा। चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी पेड़-पौधों को बचाने के लिए खुद ही पेड़ों से लिपट जाती थीं। हमने तहसील के पास गौरा देवी चौक बनाया। वहां पहले चौक न होने से कई दुर्घटनाएं हो चुकी थीं। कई लोगों की जान भी जा चुकी थी। नटराज चौक को बेहतर किया, अलग उत्तराखंड के लिए आंदोलन करने वाले ‘उत्तराखंड के गांधी’ इंद्रमणि बडोनी की आदमकद मूर्ति लगाई गई। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर के नाम पर अंबेडकर चौक को बेहतर किया और उनकी मूर्ति लगाई। बहत्तर सीढ़ी पर बिल्कुल खड़ी सीढ़ियां थीं, हादसों का खतरा बना रहता था। हमने उसका सौंदर्यीकरण किया। उसके पास काफी काम किए गए। सड़क, पथ-प्रकाश की बात करें तो 5 हजार लाइटें हमने लगाई हैं और उसकी वारंटी पांच साल है। कोयल घाटी से आगे जाते थे तो घुप अंधेरा रहता था, काफी दुर्घटनाएं होती थीं तो हमने डिवाइडर लाइटें लगाईं। एम्स की तर्ज पर लाइटें लग रही हैं। पथ-प्रकाश की व्यवस्था को बेहतरीन किया है। हमने यह पहल की है कि कूड़ा घर से ही अलग-अलग आए। इसके लिए 50 हजार डस्टबिन बांटे। प्रत्येक परिवार को नगर निगम की ओर से 2-2 डस्टबिन फ्री में दिए गए ताकि उनको आदत हो जाए कि कैसे घर से ही सूखा और गीला कूड़ा अलग करके देना है। लगातार उस पर काम कर रहे हैं।

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ऋषिकेश को लेकर आगे की योजनाएं क्या हैं, ऐसा क्या अलग होने वाला है, ऋषिकेश में जो आने वाले समय में चर्चा का केंद्र रहेगा?

संजय झील का सौंदर्यीकरण करना हमारी प्राथमिकता में है। गंगा की जलधारा को 12 महीने के लिए त्रिवेणी घाट पर लाना है क्योंकि जल स्तर घटने के कारण नदी दूर चली जाती है। श्रद्धालुओं को आचमन लेने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है। मैं चाहती हूं कि चेकडैम के माध्यम से हर की पैड़ी की तर्ज पर 12 महीने गंगा की जलधारा त्रिवेणी घाट से बहे। हमारे ऋषिकेश की एक बड़ी समस्या पार्किंग की है, उस पर हमारा फोकस रहेगा। जो यात्री या पर्यटक यहां पार्किंग न होने के कारण ठहरता नहीं है, उसके चलते ऋषिकेश का व्यापार काफी प्रभावित होता है। जब लोगों को पार्किंग मिलेगी और शहर व्यवस्थित रहेगा तो फायदा होगा। इसके लिए हम जोर-शोर से लगे हुए हैं। बैराज पर हमारा वाटर रिसोर्स बनाने पर फोकस है। मेरे घोषणा पत्र में भी है कि बैराज पर वाटर स्पोर्ट्स बने और पहाड़ के व्यंजन वाली कैंटीन भी खुले जिससे हम ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को यहां की संस्कृति में ढाल सकें और आकर्षित कर सकें। इससे हमारे शहर की अपनी अलग पहचान भी बनेगी।

उत्तराखंड में महिला सशक्तिकरण की दिशा में काफी काम हुआ है, महिला मेयर होने के नाते आपका क्या कहना है?

महिलाओं की भूमिका सतयुग से लेकर आज तक महत्वपूर्ण रही है। हमें पता है कि सतयुग में जब राक्षसों के साथ देवताओं का युद्ध हो रहा था और देवता हार रहे थे तो उन्होंने मां शक्ति की उपासना की। ऐसे में दुष्टों का संहार करने के लिए मां दुर्गा को आना पड़ा। महिलाएं हमेशा अग्रणी रही हैं। सबसे बड़ी बात है कि हमें अपनी प्रतिभा को पहचानना होगा तभी समाज हमारी मदद कर सकता है। मैं भाजपा से जुड़ी हूं और पार्टी ने हमेशा महिलाओं का सम्मान किया है। मैं अपना उदाहरण लूं तो पार्टी ने काफी कुछ दिया तो हमें भी देखना है कि उसे कैसे बरकरार रखना है। हमें अपनी छिपी हुई प्रतिभा को देखना होगा।

एक मुद्दा सुरक्षा, विशेष रूप से महिलाओं की सुरक्षा का है, इसके लिए क्या कार्य हुए हैं?

महिलाओं की भूमिका को लेकर हम और हमारी सरकार काम कर रही है। इसी के लिए हमने महिलाओं की सुरक्षा के लिए काफी प्रयास किए हैं जिससे वे बेरोकटोक घूम सकें। चेन स्नेचिंग या छेड़खानी की अनेकों घटनाएं सुनने को मिलती थीं। इसे रोकने के लिए हमने पूरे शहर में 200 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। उसका कंट्रोल रूम थानों में है जिससे लगातार निगरानी हो सके। इससे अराजक तत्वों पर अंकुश भी लगा है। इसके साथ-साथ हमने लाइटिंग बेहतर की है जिससे महिलाएं शाम और रात में आसानी से आ जा सकें। दो ग्रामसभाएं नगर निगम में नई जुड़ी हैं, उन्हें भी पूरी सुविधाएं दी जा रही है। साढ़े तीन करोड़ की लागत से वहां नालियां, सड़कें और पथ प्रकाश की व्यवस्था की गई है। संकरी गलियों में पोल लगाए जा रहे हैं।

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ऋषिकेश को लेकर कोई ऐसी योजना, जो आपका ड्रीम प्रोजेक्ट हो?

सबसे बड़ी समस्या कॉलेज की है। एक कॉलेज होना चाहिए यहां के छात्रों को काफी दूर-दूर जाना पड़ता है क्योंकि कम पर्सेंटेज के कारण कई बच्चों को ए़डमिशन नहीं मिल पाता है। इस दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि नगर निगम स्तर से तो नहीं हो सकता है। लेकिन प्रयास जारी हैं। दूसरा, ऋषिकेश से लेकर हरीपुरकलां तक कहीं भी स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। श्यामपुर बाईपास के पास कहीं भी नहीं है। इसकी काफी जरूरत है। तीसरा, यहां ट्रांसपोर्ट नगर की भी बड़ी आवश्यकता है। आबादी ज्यादा है। दुकानदारों के गोदाम भी वहीं हैं और दुकानें भी, ऐसे में लोडिंग-अनलोडिंग वहीं होने से आम लोगों को काफी परेशानी होती है। एक ट्रांसपोर्ट नगर अलग बन जाएगा तो शहर की भव्यता बढ़ेगी और लोगों की परेशानी भी कम होगी। ट्रेचिंग ग्राउंड के लिए 10 एकड़ भूमि मिल गई है। जो कूड़े का ढेर गोविंदनगर ट्रेचिंग ग्राउंड में लगा था, वह कूड़े का पहाड़ बन चुका था। उसका निस्तारण करने के लिए यह जरूरी है। ताकि वह कूड़ा वहीं खत्म हो जाए। इसके लिए टेंडर हो चुका है और उस पर औपचारिकताएं पूर्ण हो चुकी हैं। बहुत जल्द हम ऋषिकेश क्षेत्र और आसपास के लोगों को इसकी सौगात देने वाले हैं।

तीन दशक का सियासी संघर्ष

अनीता ममगाईँ संघर्ष के लंबे सफर का प्रतिनिधित्व करती हैं। करीब तीन दशक पहले साल 1991 में भाजपा में सक्रिय कार्यकर्ता के तौर पर जुड़ने वाली अनीता ममगाईं ऋषिकेश की मेयर हैं। साल 2007 में महिला मोर्चा की मंडल अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने लगातार सफलता की सीढ़ियां चढ़ीं। साल 2013 में परवादून मैन बाडी की जिला उपाध्यक्ष बनीं। साल 2016 में उन्हें भाजपा ने देहरादून महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष बनाया। साल 2018 में पार्टी ने अनीता ममगाईँ की नेतृत्व क्षमता पर भरोसा जताते हुए नवनिर्मित ऋषिकेशन नगर निगम के मेयर के लिए हुए चुनाव मैदान में उतारा और उन्होंने 15,000 वोटों से जीत दर्ज कर अपने सियासी कौशल को साबित किया। अब अनीता ममगाईं के नेतृत्व में ऋषिकेश नगर निगम एक नई पहचान बना रहा है।

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