जीबी पंत विश्वविद्यालय अपना 65वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस अवसर पर कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान ने वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों से आह्वान किया कि वर्तमान के परिदृष्य को देखते हुए एआई, मशीन लर्निग आदि तकनीकों के माध्यम से विश्वविद्यालय में नवाचार को बढ़ाया जाये। साथ ही किसानों के लिए नवीन तकनीकों, यंत्रों आदि का विकास किया जाना आवश्यक बताया।
अमेरिका के लैण्ड ग्रांट पैटर्न पर 1960 में स्थापित देश के प्रथम कृषि विश्वविद्यालय एवं हरित क्रांति की जननी जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर द्वारा 65वां स्थापना दिवस मनाया गया। इस अवसर पर एक सप्ताह तक विभिन्न शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का धूमधाम से आयोजन किया गया। स्थापना दिवस का समापन समारोह गांधी हाल में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. मनमोहन सिंह चौहान के साथ विशिष्ट अतिथि क्षेत्रीय समन्वयक, इंटरनेशनल सेंटर फार एग्रीकल्चरल रिसर्च इन ड्राई एरिया (इकार्डा)-दक्षिण एशिया एवं चाइना, डॉ. एस.के. अग्रवाल, कुलसचिव, डॉ. दीपा विनय, अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ. ए.एस. जीना सिंह एवं निदेशक संचार एवं सचिव एल्युमिनाई एसोसिएशन (4ए) तथा स्थापना दिवस सप्ताह के नोडल अधिकारी डॉ. जे.पी. जायसवाल मंचासीन थे।
अपने संबोधन में कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि वैज्ञानिकों एवं विद्यार्थियों की सोच एवं परिश्रम से ही यह विश्वविद्यालय आज भी ख्याति लिये हुए है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एक ओर जहां विश्वविद्यालय में नये-नये शोधों के माध्यम से नवीन तकनीकों एवं प्रजातियों के लिए तत्पर है वहीं यहां से शिक्षा प्राप्त विद्यार्थी भी विश्वविद्यालय के उत्थान हेतु बीड़ा उठाया है। उन्होंने वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों से आह्वान किया कि वर्तमान के परिदृष्य को देखते हुए एआई, मशीन लर्निग आदि तकनीकों के माध्यम से विश्वविद्यालय में नवाचार को बढ़ाया जाये। साथ ही किसानों के लिए नवीन तकनीकों, यंत्रों आदि का विकास किया जाना आवश्यक बताया।
उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीन शोध करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों को सुझाव दिया कि प्रशिक्षण एवं नवीन तकनीकों के प्रदर्शन करे जिससे कि अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकें। उन्होंने थ्री-पी (प्रोडक्शन/टेक्नोलॉजी, पेटेंट, पब्लिकेशन) की संकल्पना का जिक्र करते हुए डॉ. जे.पी. मिश्रा, सी.ई.ओ., आई.पी.एम.सी. को 109 पेटेंट फाइल करने तथा उनमें से 36 पेटेंट ग्रांट होने के लिए प्रशस्ति-पत्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर उनके निस्वार्थ सेवा के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने सभी का बिना किसी भेदभाव के मिलकर कार्य करने के लिए आह्वान किया।
विशिष्ट अतिथि डॉ. एस.के. अग्रवाल ने सभी के साथ अपने अनुभवों को साक्षा करते हुए कृषि क्षेत्र में हो रही समस्याओं एवं उसके निराकरण के बारे में विस्तार से बताया। कार्यक्रम में पूर्व छात्र एवं एल्युमिनाई इं. एम.के. अग्रवाल एवं डॉ. जे.पी. मिश्रा द्वारा विश्वविद्यालय की स्थापना से अब तक के अपने अनुभवों को सभी के साथ साझा किया। कुलसचिव, डॉ. दीपा विनय ने कहा कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थी देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उच्च पदों पर आसीन है और वे विद्यार्थी पंतनगर विश्वविद्यालय का नाम रौशन कर रहे है। डॉ. जे.पी. जायसवाल ने 65वें स्थापना सप्ताह पर हुए कार्यक्रमों की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत की।
इस अवसर पर सचिव, एल्युमिनाई एसोसिएशन (4ए) एवं अधिष्ठाता छात्र कल्याण के द्वारा विभिन्न पुरस्कारों एवं स्कॉलरशिप के लिए चयनित विद्यार्थियों की घोषणा की गयी। 4ए के द्वारा प्रोफेसर गजेन्द्र सिंह ऑल राउंड स्टूडेंट बेस्ट अवार्ड, विजय के. सिंह गो फॉर गोल्ड अवार्ड, आशा किरन स्कालरशिप, 1972 एग्रीकल्चर बैच स्कॉलरशिप, डॉ. गोपाल सिंह रावत एग्रीकल्चर स्कालरशिप, डॉ. दीप सी. कौशल मेमोरियल अवार्ड कुलपति द्वारा चयनित विद्यार्थियों को दिये गये तथा अधिष्ठाता छात्र कल्याण विभाग द्वारा विद्यार्थियों को विभिन्न पुरस्कार एवं छात्रवृत्ति यथा अमित गौतम मैमोरियल अवार्ड, डॉ. वी.एन. माथुर अवार्ड, डॉ. संतोष कुमार शर्मा अवार्ड, विमला रानी मेमोरियल अवार्ड, वरुण पवार मेमोरियल अवार्ड, प्रियंक पाठक स्कालरशिप, कृषि अभियांत्रिकी में मेरिट स्कालरशिप आदि से सम्मानित किया गया। साथ ही दूसरी इंटर कॉलेजिएट यूनिवर्सिटी वाद-विवाद प्रतियोगिता हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में विजेता विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया तथा तीसरी इंटर कॉलेजिएट यूनिवर्सिटी वाद-विवाद प्रतियोगिता हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में चौंपियनशिप ट्रॉफी प्रदान की गयी।
इस अवसर पर अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ. ए.एस. जीना ने सभी उपस्थित जनों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक, महाविद्यालयों के अधिष्ठाता, निदेशक, संकाय सदस्य, एल्युमिनाई, विद्यार्थी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।
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