अल्मोड़ा जिले के सल्ट पट्टी के गढ़वाल अंचल की सीमा पर बसे प्राचीन गांव करगेत में भगवान विष्णु का 14वीं शताब्दी में स्थापित बद्रीनाथ मंदिर एक धार्मिक और अलौकिक मंदिर के नाम से सुविख्यात है। इस मंदिर में करगेत विकास समिति द्वारा तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जा रहा है।
कुमाऊं अंचल के प्राचीन गांव करगेत में स्थापित ‘बद्रीनाथ मंदिर’ में बद्री नारायण के ज्योति दर्शन तथा बैशाखी मेले का आयोजन 14, 15 और 16 अप्रैल 2025 किया जा रहा है। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के पछाउं परगने सल्ट पट्टी के गढ़वाल अंचल की सीमा पर बसे प्राचीन गांव करगेत में भगवान विष्णु का 14वीं शताब्दी में स्थापित बद्रीनाथ मंदिर एक धार्मिक और अलौकिक मंदिर के नाम से सुविख्यात है जो पीढ़ी दर पीढ़ी श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित रहा है।
करगेत विकास समिति के अध्यक्ष गणेश चंद्र शर्मा ने बताया कि 14, 15 और 16 अप्रैल 2025 को समिति द्वारा मेले का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें 14 अप्रैल को कलश यात्रा आयोजित की जायेगी। कलश यात्रा में महिलाएं अंचल की पारंपरिक मांगलिक पोशाक पिछोड़ा इत्यादि तथा पारंपरिक आभूषणों से सजी धजी हुई होंगी। कलश यात्रा के दौरान निशान और छोलिया नर्तक अपनी उत्कृष्ट कला का प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद बद्रीनाथ मंदिर के प्रांगण में झंडारोहण के साथ-साथ विशेष आरती का आयोजन किया जाएगा। यहां की महिलाओं द्वारा मांगलिक पोशाक में सज धज कर झोड़ा नृत्य-गायन प्रस्तुत किया जायेगा। सायंकाल को भक्तजनों द्वारा भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा। उसके बाद सुबह भक्तजनों द्वारा अखंड रामायण पाठ का आयोजन किया जाएगा। पाठ समापन के पश्चात विशाल भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
मेले में बच्चों के लिए प्रतियोगिता भी आयोजित की जायेगा। जिसमें सामान्य ज्ञान, कला (एपण (अल्पना) निबंध साथ ‘विलुप्त होती अंचल की लोक संस्कृति का कारण एवं निदान’ लेखन, हमारी संस्कृति हमारी विरासत, हमारी संस्कृति से प्रेरित कुमाऊंनी गढ़वाली लोक गीत एवं लोक-नृत्य की प्रस्तुति की जायेगी।
‘करगेत विकास समिति’ का उद्देश्य आयोजित मेले के माध्यम से अंचल की पारंपरिक लोक संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन करना तथा अंचल की पीढ़ी दर पीढ़ी चलायमान लोक संस्कृति की महत्ता को नई पीढ़ी से रूबरू कराना है। बैशाखी मेले में इस वर्ष ‘करगेत बद्रीनाथ मंदिर’ में ध्वजारोहण, कलश यात्रा, बद्री नारायण पूजा-आरती, सुंदरकांड पाठ, भजन संध्या, और विभिन्न प्रकार के सास्कृतिक कार्यक्रमों के तहत अंचल के गीत, संगीत तथा लोक नृत्य तथा प्रदर्शनियां बड़े और प्रभावी स्तर पर आयोजित की जायेंगी।
लोक मान्यतानुसार चंद राजाओं द्वारा प्राचीन गांव करगेत में इस बद्रीनाथ मंदिर की स्थापना शीतकाल में बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद हो जाने से श्रद्धालुओं द्वारा भगवान बद्रीनारायण की पूजा-अर्चना विधिवत होती रहे उक्त धार्मिक सोच के आधार पर मंदिर निर्माण करवाया था। मंदिर की ज्योति चमोली स्थित बद्रीनाथ मंदिर से लाकर ‘करगेत बद्रीनाथ मंदिर’ में प्रज्वलित की गई थी। प्रकृति के अनुपम सौन्दर्य से आच्छादित प्राचीन करगेत गांव में स्थित ‘करगेत बद्रीनाथ मंदिर’ का महत्व प्राचीन समय से ही बदरीकाश्रम मंदिर (बद्रीनाथ धाम) चमोली के समान ही माना जाता रहा है। शीतकाल में बद्रीनाथ धाम के कपाट कुछ समय के लिए बंद हो जाने के कारण श्रद्धालुओं द्वारा ‘करगेत बद्रीनाथ मंदिर’ में बद्री नारायण की पूजा अर्चना की जाती है।
परंपरागत रूप से ‘करगेत बद्रीनाथ मंदिर’ में बैशाखी मेले का भव्य आयोजन प्रतिवर्ष अप्रैल माह में किया जाता है। इस मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत अंचल की समृद्ध पारंपरिक संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। देश के विभिन्न राज्यों के शहरों और महानगरों में प्रवासरत स्थानीय अंचल वासियों के साथ-साथ पर्यटकों की भीड़ भी उक्त मंदिर में प्रज्वलित ज्योति के दर्शन कर मेले को शोभायमान और उक्त प्राचीन मंदिर की महत्ता को उजागर करते हैं।
करगेत गांव रामनगर-मानिला मोटर मार्ग पर स्थित है। दिल्ली से करगेत बद्रीनाथ मंदिर की दूरी करीब 300 किलोमीटर है। देहरादून से दूरी करीब 240 किलोमीटर, जिम कार्बेट पार्क रामनगर से दूरी करीब 35 किलोमीटर। रानीखेत से करीब 75 किलोमीटर तथा जिला मुख्यालय अल्मोड़ा से उक्त मंदिर दूरी करीब 115 किलोमीटर है।
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Jiwan negi
April 11, 2025, 3:48 pm98736 39922
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