त्रिजुगीनारायण के मुख्य पुजारी ने खुलकर किया देवस्थानम बोर्ड का समर्थन, त्रिवेंद्र बोले – विरोध करने वाले दस साल बाद करेंगे तारीफ

त्रिजुगीनारायण के मुख्य पुजारी ने खुलकर किया देवस्थानम बोर्ड का समर्थन, त्रिवेंद्र बोले – विरोध करने वाले दस साल बाद करेंगे तारीफ

त्रिजुगीनारायण के मुख्य पुजारी सूरज मोहन सेमवाल ने कहा, देवस्थानम बोर्ड बहुत बढ़िया फैसला है। हमारा त्रिजुगीनारायण इसके अंदर आ गया है, इससे हम पर कोई असर नहीं पड़ा है। इसमें हमारे हक हमारे पास हैं, उनसे कोई वंचित नहीं कर रहा है। मंदिर परिसर में मुख्य पुजारी एवं अन्य पुजारियों ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को पुष्पमाला पहनाई और पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कराई।

देवस्थानम बोर्ड को लेकर केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों के विरोध के चलते पूर्व मुख्यमंत्री बाबा केदार के दर्शन नहीं कर पाए। लेकिन जब वह सोनप्रयाग के निकट प्राचीन त्रिजुगीनारायण मंदिर पहुंचे तो पुजारियों और स्थानीय लोगों ने उनका जोरदार स्वागत किया। यही नहीं इन सभी ने देवस्थानम बोर्ड में त्रिजुगीनारायण मंदिर को सम्मिलित किए जाने पर खुशी जताई।

त्रिजुगीनारायण के मुख्य पुजारी सूरज मोहन सेमवाल ने कहा, देवस्थानम बोर्ड बहुत बढ़िया फैसला है। हमारा त्रिजुगीनारायण इसके अंदर आ गया है, इससे हम पर कोई असर नहीं पड़ा है। इसमें हमारे हक हमारे पास हैं, उनसे कोई वंचित नहीं कर रहा है। मंदिर परिसर में मुख्य पुजारी सूरज मोहन सेमवाल एवं अन्य पुजारियों ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को पुष्पमाला पहनाई और पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कराई। मंदिर समिति एवं ग्रामीणों का कहना था कि देवस्थानम बोर्ड में जुड़ने से मंदिर में तीर्थयात्रियों की संख्या बहुत बढ़ेगी। इससे पूरे गांव की आय बढ़ेगी।

 

क्या बोले त्रिजुगीनारायण के पुजारी देखें Video

 

वहीं पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह ने फिर दोहराया कि देवस्थानम बोर्ड अब तक का सबसे बड़ा सुधारात्मक कदम है। आज भले ही कुछ लोग जानबूझकर इसका विरोध कर रहे हो लेकिन आने वाले 10 साल बाद सभी को इसकी अहमियत पता लगेगी, और यही लोग आगे आकर इसका समर्थन करेंगे, इसकी तारीफ करेंगे।

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उन्होंने कहा कि सरकार का काम अपने अतिथियों को सुविधाएं देना होता है। अतिथि देवो भव: को सर्वोपरि मानते हुए ही देवस्थानम की नींव रखी गई। ताकि यहां से जाने के बाद यात्री यहां की व्यवस्थाओं का गुणगान हर जगह करें और देवभूमि में तीर्थ यात्रियों का आना जाना लगा रहे इसी उद्देश्य को लेकर की इसका गठन किया गया।

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रुद्रप्रयाग के सोनप्रयाग के निकट ही प्राचीन त्रिजुगीनारायण मंदिर में शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। प्राचीन काल से ही यहां अखंड धुनी जलती रहती है। इसका शिल्प भी केदारनाथ मंदिर की ही तरह कत्यूरी शैली का है। मंदिर के निकट ही गांव है जिसमें 250 के लगभग ग्रामीण लोग रहते हैं।

 

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