बकी बातः त्रिवेंद्र हुए मजबूत, कैबिनेट विस्तार में उनकी ही पसंद को मिलेगी तरजीह

बकी बातः त्रिवेंद्र हुए मजबूत, कैबिनेट विस्तार में उनकी ही पसंद को मिलेगी तरजीह

उत्तराखंड में क्या है सियासी गलियारों की कानाफूसी, क्या हो रहा है सरकारी महकमों में..। टी. हरीश के खास कॉलम ‘बकीबात’ में जानिये…ताजा अपडेट।

उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह कैबिनेट का विस्तार होना है। अब राज्य में सरकार के पास चुनाव में जाने के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है। लिहाजा सरकार भी नाराज चल रहे पार्टी विधायकों को मंत्री के पद से नवाजकर नाराजगी दूर करना चाहती है। राज्य के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसके लिए संदेश छोड़ दिया है। लिहाजा सभी अब उनके आसपास चक्कर काट रहे हैं। राज्य में तीन मंत्रियों के पद भरे जाने हैं। फिलहाल सीएम रावत राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर चुके हैं और कैबिनेट विस्तार की चर्चाएं देहरादून से दिल्ली के सियासी गलियारों में शुरू हो गई हैं। वहीं विधायक भी देहरादून से दिल्ली और संघ कार्यालय तक जुगाड़ लगाने में जुट गए हैं। लेकिन इन सब के बीच सीएम त्रिवेंद्र बाहुबली बने हुए हैं, कैबिनेट में किसे लेना है, यह फैसला उन्हीं को लेना है। कैबिनेट विस्तार को लेकर सीएम दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष और बड़े नेताओं से बातचीत कर चुके हैं। फिलहाल कैबिनेट विस्तार को लेकर माना जा रहा है कि त्रिवेंद्र सिंह की पसंद को तरजीह दी जाएगी, लिहाजा अब नेता उन्हें साधने में जुट गए हैं।

रिपोर्ट कॉर्ड ने बैकफुट पर धकेल दिए विरोधी सुर!

उत्तराखंड में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले भाजपा राज्य के कई मौजूदा विधायकों का रिपोर्ट कॉर्ड तैयार कर रही है। इसके बारे में कहा जा रहा है कि रिपोर्ट कॉर्ड के आधार पर ही पार्टी विधायकों को टिकट देगी। भाजपा का कहना है चुनावों से 6 महीने पहले भाजपा सभी विधायकों के कामकाज का रिपोर्ट कॉर्ड तैयार कर लिया जाएगा। उसी के आधार पर फैसला किया जाएगा। इस रिपोर्ट कॉर्ड ने मौजूदा विधायकों के दिलों की धड़कनें बढ़ा दी हैं, क्योंकि राज्य में अभी सीएम त्रिवेंद्र सबसे मजबूत बने हुए हैं और ये एक तरह से विधायकों के लिए चेतावनी भी है कि 2020 नजदीक है, कोताही नहीं बरती जाएगी। अभी तक कई विधायक प्रत्यक्ष और परोक्ष तौर पर सरकार और सरकार के मुखिया के खिलाफ बयानबाजी कर लिया करते थे, लेकिन रिपोर्ट कॉर्ड की चर्चा के बाद सभी बैकफुट पर आ गए हैं।

चुनाव हैं भई, जो उद्घाटन करेगा क्रेडिट उसको

उत्तराखंड में चुनाव होने में महज डेढ़ साल का समय बचा है और अब सत्ताधारी भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने है। हर कोई राज्य में बड़े प्रोजेक्ट का क्रेडिट लेना चाहता है। राज्य की त्रिवेंद्र सरकार बड़े प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करना चाहती है। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि 2022 के चुनाव के मद्देनजर प्रोजेक्टों का धड़ाधड़ उद्घाटन किया जा रहा है जबकि ये योजनाएं कांग्रेस सरकार में बनाई गई थीं। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार बिना प्लानिंग के ही योजनाओं का शिलान्यास कर रही है। असल में राज्य सरकार चाहती है कि ऋषिकेश रेलवे स्टेशन, टिहरी के डोबरा चांठी पुल, ऑल वेदर रोड समेत कई बड़े प्रोजेक्टों का लोकार्पण इसी कार्यकाल में हो जाए, इसके लिए तेजी से काम किया जा रहा है। सरकार को लग रहा है कि इसके जरिये उसे 2022 विधानसभा चुनाव में निश्चित फायदा होगा। अब कांग्रेस का कहना है कि रेल लाइन से लेकर ऑल वेदर रोड की योजनाओं का शिलान्यास उनकी सरकार में हुआ था।

आते ही चीफ सेक्रेटरी ने बनानी शुरू कर दी टीम

राज्य के 16वें चीफ सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त होते ही ओम प्रकाश ने बैटिंग शुरू कर दी। विपक्षी दलों के निशाने पर आ रही सरकार की छवि मजबूत करने के लिए उन्होंने आते ही कुछ जिलाधिकारियों को बदल दिया। आमतौर पर चीफ सेक्रेटरी जिलों और शासन में अपने करीब लोगों को तरजीह देते हैं। ताकि उनकी और राज्य सरकार की प्राथमिकताओं को लागू किया जा सके। लिहाजा ओम प्रकाश ने अपने करीब अफसरों को शासन और जिलों में नियुक्त करना शुरू कर दिया है। जाहिर है जो अभी तक गुड बुक में नहीं थे, वह अच्छी पोस्टिंग नहीं पा सकेंगे जबकि जो करीबी हैं, उन्हें अहम पदों पर नियुक्ति मिलेगी। प्रशासन को दुरुस्त रखना नए चीफ सेक्रेटरी की प्राथमिकताओं में है। हालांकि बकीबात ने पहले ही साफ कर दिया था कि राज्य में नए चीफ सेक्रेटरी के साथ ही नौकरशाही की तस्वीर बदलेगी।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं।)

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