उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के जंगलों में भीषण आग लगी हुई है। रात के समय चौतरफा जलते जंगल भयानक मंजर पेश कर रहे हैं। उधर हरिद्वार कुंभ के मद्देनजर कोरोना के केस भी बढ़ रहे हैं। प्रदेश में 65 हेल्थकेयर वर्कर्स पॉजिटिव हो गए हैं। कई साधु-संतों को भी कोरोना हो गया है।
उत्तराखंड में एक तरफ कोरोना के केस बढ़ रहे हैं तो सुलगते जंगल और तेजी से धधकने लगे हैं। सैंकड़ों आग की घटनाओं में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। प्राकृतिक सुंदरता के साथ बेजुबानों की जान खतरे में है। अनगिनत पशु-पक्षियों के मारे जाने की आशंका है।
समाचार एजेंसी एएनआई ने 16 अप्रैल का वीडियो जारी किया है जिसमें आग की भयावहता को देखा जा सकता है। स्थानीय प्रशासन, दमकल विभाग और वायुसेना के हेलिकॉप्टर आग बुझाने के काम में जुटे हैं पर यह नाकाफी साबित हो रहा है।
#WATCH Uttarakhand: Massive fire continues to rage in the forests of Chamund, Tehri Garhwal. Fire Department and Forest Department are carrying out fire fighting operations. (16.04.2021) pic.twitter.com/2JtFVqAyiR
— ANI (@ANI) April 17, 2021
उत्तराखंड में जंगल की आग किसी आपदा से कम नहीं है। संसाधन भी पर्याप्त नहीं है। हर साल इस तरह की आग से निपटना पड़ता है पर अब तक कोई ठोस व्यवस्था नहीं हो पाई है।
मार्च की शुरुआत से ही प्रदेश में जंगल धधक रहे हैं। एनडीआरएफ की टीम भी आग को बुझाने में लगी है। आलम यह है कि वन विभाग में वन आरक्षियों के 50 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। जंगल में आग को नियंत्रित करने के लिए एक विकल्प कृत्रिम बारिश का है, जिस पर राज्य सरकार अब गंभीरता से विचार कर रही है।
प्रदेश में हाल में आग लगने की 2000 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें लगभग 3000 हेक्टेयर वन क्षेत्र को नुकसान पहुंचा है। अकेले गढ़वाल मंडल में 1300 घटनाओं में 1900 हेक्टेयर वन क्षेत्र बर्बाद हो गया है।
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