आपदा के चलते टूटा गांवों का संपर्क, आईटीबीपी के हिमवीरों ने कंधों पर पहुंचाई राहत सामग्री

आपदा के चलते टूटा गांवों का संपर्क, आईटीबीपी के हिमवीरों ने कंधों पर पहुंचाई राहत सामग्री

आईटीबीपी के जवान राहत सामग्री लेकर पांग गांव पहुंचे। दुर्गम इलाके में स्थित यह गांव आपदा के कारण दूसरे हिस्से से कट गया है। ऐसे में यहा के लोगों के सामने राशन का संकट खड़ा हो गया था। जब आईटीबीपी के जवान राहत सामग्री लेकर गांवों में पहुंचे तो ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस यानी आईटीबीपी को यूं ही हिमवीर नहीं कहा जाता, मुश्किल से मुश्किल हालात में अपने काम को पेशेवर तरीके से अंजाम देने वाला यह बल चमोली जिले में आई आपदा के बाद चलाए जा रहे राहत एवं बचाव अभियान की सबसे अहम कड़ी है। रविवार को आई आपदा के तीसरे दिन भी चमोली के आपदा प्रभावित क्षेत्र में रेस्क्यू ऑपरेशन पूरे दिन जारी रहा। आपदा में सड़क-पुल बह जाने के कारण नीति वैली के जिन 13 गांवों से संपर्क टूट गया है, उन गांवों में राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। इस काम स्थानीय प्रशासन के अलावा आईटीबीपी के जवान जी-जान से जुटे हैं।

जहां एक ओर आईटीबीपी के जवान तपोवन में सुरंग में फंसे लोगों को निकालने के लिए दिन-रात जुटे हुए हैं, वहीं दूसरी तरफ मंगलवार को बल के जवान राहत सामग्री लेकर पांग गांव पहुंचे। दुर्गम इलाके में स्थित यह गांव आपदा के कारण दूसरे हिस्से से कट गया है। ऐसे में यहा के लोगों के सामने राशन का संकट खड़ा हो गया था। जब आईटीबीपी के जवान राहत सामग्री लेकर गांवों में पहुंचे तो ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

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इससे पहले सोमवार को भी आईटीबीपी की आठवीं बटालियन के जवानों ने लाता गांव बेस कैंप से 100 राशन किट जुगाजू और जुवागवार गांवों में पहुंचाए। इसके लिए बेस कैंप से खड़ी चढ़ाई की।

चमोली आपदा के बाद चलाए जा रहे राहत अभियान की अगुवाई आईटीबीपी की पश्चिमी कमान के आईजी मनोज सिंह रावत कर रहे हैं। उन्होंने तपोवन में लाता हेलीपैंड और कंट्रोल बेस पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को बताया कि जिन गांवों का संपर्क इस आपदा के चलते राज्य के दूसरे हिस्सों से कट गया है, वहां तक राहत सामग्री पहुंचाने के लिए आईटीबीपी द्वारा किस तरह स्थानीय प्रशासन की मदद की जा रही है।

https://twitter.com/ITBP_official/status/1359020885982646272?s=20

जिला प्रशासन चमोली द्वारा हेलीकॉप्टर के माध्यम से भी राशन, मेडिकल एवं रोजमर्रा की चीजें पहुंचाई जा रही है। गांवों मे फंसे लोगो को राशन किट के साथ 5 किलो चावल, 5 किग्रा आटा, चीनी, दाल, तेल, नमक, मसाले, चायपत्ती, साबुन, मिल्क पाउडर, मोमबत्ती, माचिस आदि राहत सामग्री हैली से भेजी जा रही हैं।

आपदा प्रभावित क्षेत्र के साथ ही अलकनंदा नदी तटों पर जिला प्रशासन की टीम लापता लोगों की खोजबीन में जुटी हैं। प्रभावित क्षेत्रों में एसडीआरएफ के 190, एनडीआरएफ के 176, आईटीबीपी के 425 जवान एसएसबी की 1 टीम, आर्मी के 124 जवान, आर्मी की 02 मेडिकल टीम, स्वास्थ्य विभाग उत्तराखंड की 04 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 16 फायरमैन लगाए गए हैं। राजस्व विभाग, पुलिस दूरसंचार और सिविल पुलिस के कर्मचारी भी कार्यरत हैं। बीआरओ द्वारा 2 जेसीबी, 1 व्हील लोडर, 2 हाईड्रो एक्सकेवेटर, आदि मशीनें लगाई गई हैं। एक हेलीकॉप्टर द्वारा एनडीआरएफ की टीम और 03 वैज्ञानिकों को भेजा गया है। स्टैंडबाई के तौर पर आईटीबीपी के 400, आर्मी के 220 जवान, स्वास्थ्य विभाग की 4 मेडिकल टीमें और फायर विभाग के 39 फायरमैन रखे गए हैं। आर्मी के 03 हेलीकाप्टर जोशीमठ में रखे गए हैं।

आपदा से 05 पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं। 13 गांवों में बिजली प्रभावित हुई थी, इनमें से 11 गांवों में बिजली बहाल कर दी गई है। शेष 2 गांवों में अभी लाइन क्षतिग्रस्त है। इसी प्रकार 11 गांवों में पेयजल लाईन क्षतिग्रस्त हुई थीं, इनमें से 8 गांवों में पेयजल आपूर्ति सुचारू कर दी गई है। शेष 03 पर भी काम चल रहा है।

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