शाम 4 बजे उत्तराखंड के लिए पर्यवेक्षक बनाए गए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और सह-पर्यवेक्षक विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी की मौजूदगी में विधायक दल की बैठक होगी। इस बैठक में राज्य के पांच लोकसभा और दो राज्यसभा सांसद भी मौजूद रहेंगे। अगर चुनकर आए विधायकों में से बात करें तो डा. धन सिंह रावत सीएम पद के सबसे मजबूत दावेदार हैं। वहीं सांसदों में से अनिल बलूनी और अजय भट्ट का नाम लगातार लिया जा रहा है। हालांकि पुष्कर सिंह धामी भी लगातार सुर्खियों में है।
उत्तराखंड का नया मुखिया कौन होगा, आज शाम 4.30 बजे यह खुलासा हो जाएगा। पिछले 11 दिन से नए मुख्यमंत्री के नाम को लेकर अटकलबाजी का दौर चल रहा है। सुबह नए विधायकों की शपथ के बाद शाम 4 बजे भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। इसमें सभी सांसदों को भी मौजूद रहने को कहा गया है। इसलिए ऐसी संभावना है कि विधायकों के अलावा सांसदों में से भी किसी को सीएम चुना जा सकता है।
शाम 4 बजे उत्तराखंड के लिए पर्यवेक्षक बनाए गए रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और सह-पर्यवेक्षक विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी की मौजूदगी में विधायक दल की बैठक होगी। इस बैठक में राज्य के पांच लोकसभा और दो राज्यसभा सांसद भी मौजूद रहेंगे। अगर चुनकर आए विधायकों में से बात करें तो डा. धन सिंह रावत सबसे मजबूत दावेदार बने हुए हैं। वहीं सांसदों में से अनिल बलूनी और अजय भट्ट का नाम लगातार लिया जा रहा है। हालांकि पुष्कर सिंह धामी भी लगातार सुर्खियों में है। उनके पक्ष में जनमानस के होने की दलील दी जा रही है। कुमाऊं के कई विधायकों समेत निशंक भी धामी के चेहरे पर अपनी सहमति जता चुके हैं। हालांकि शीर्ष नेतृत्व उनके नाम को लेकर पूरी तरह कनविंस नजर नहीं आ रहा। सीएम का चुनाव करने में हो रही देरी और किसी तरह का संकेत न दिया जाना इसकी तस्दीक करता है।
इससे पहले, रविवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत, पार्टी अध्यक्ष मदन कौशिक के साथ-साथ उत्तराखंड के कई वरिष्ठ नेताओं के साथ मंत्रणा की। हरिद्वार से सांसद रमेश पोखरियाल निशंक से भी इस मुद्दे पर चर्चा की गई। इस बाद देर रात तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महासचिव संगठन बीएल संतोष के बीच बैठक हुई। इसमें राज्य की कमान किसे सौंपनी है, यह नाम फाइनल हो गया है। पार्टी को क्षेत्रीय, जातीय समीकरण को भी साधना है और अगले पांच साल स्थायी सरकार चलाने में सक्षम चेहरे को भी चुनना है।
नई कैबिनेट को लेकर भी माना जा रहा है कि पार्टी सभी समीकरणों को देखते हुए नाम तय करेगी। पूर्व मंत्रियों में से कुछ को इस बार कैबिनेट से बाहर किया जा सकता है। माना जा रहा है कि गुजरात की तर्ज पर युवा चेहरों को कैबिनेट में जगह दी जाएगी।
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