CM रावत की घोषणा से गैरसैंण में जश्न, पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ में बनने की पूरी कहानी

CM रावत की घोषणा से गैरसैंण में जश्न, पहाड़ी राज्य की राजधानी पहाड़ में बनने की पूरी कहानी

हिल मेल ब्यूरो, गैरसैंण उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करके दशकों पुरानी मांग को पूरा कर दिया है। यह खबर मिलते ही समूचा पहाड़ जश्न में डूब गया। लोगों ने पटाखे फोड़े और एक दूसरे को

हिल मेल ब्यूरो, गैरसैंण

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करके दशकों पुरानी मांग को पूरा कर दिया है। यह खबर मिलते ही समूचा पहाड़ जश्न में डूब गया। लोगों ने पटाखे फोड़े और एक दूसरे को मिठाई खिलाकर अपनी खुशी का इजहार किया। आपको बता दें कि काफी समय से गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने की मांग उठ रही थी।

जब उत्तराखंड अलग राज्य बना भी नहीं था तब से पहाड़ की अलग राजधानी गैरसैंण को बनाने की आवाज बुलंद हो रही थी। ऐसे में इस मांग का पूरा होना लोगों के दिलों को छू गया। ऐसे में आइए जानते हैं मांग से लेकर गैरसैंण के राजधानी बनने तक की पूरी कहानी।

कब शुरू हुई मांग

60 के दशक की बात है। पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने आजादी मिलने के एक दशक बाद ही गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी बनाने की मांग की थी। उस समय राजधानी तो बनी नहीं लेकिन बाद में उत्तराखंड क्रांति दल ने गैरसैंण को गढ़वाली के नाम पर चंद्रनगर रखा था। जब उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड अलग राज्य बना तो राजधानी की मांग फिर तेज होती गई।

पढ़ें: सीएम त्रिवेंद्र ने पूरी की उत्तराखंड के लोगों की मन की मुराद

जब अलग राज्य बना तो…

अलग राज्य की मांग नवंबर 2000 में पूरी हो चुकी थी और भारत के मानचित्र में उत्तराखंड उभरकर सामने आया था लेकिन गैरसैंण राजधानी नहीं बनी। देहरादून राज्य की राजधानी घोषित की गई। ऐसे में पिछले करीब दो दशकों में लगातार आंदोलन होते रहे। गैरसैंण को राजधानी बनाने का मुद्दा पहाड़ के लोगों की भावनाओं से जुड़ चुका था।

राज्य के आंदोलनकारियों ने नारे बुलंद किए कि पहाड़ी प्रदेश की राजधानी पहाड़ में हो। कई सरकारें आईं और चली गईं पर गैरसैंण को राजधानी बनाने का सपना किसी ने पूरा नहीं किया।

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इस बार बीजेपी ने अपने चुनावी संकल्पपत्र में गैरसैंण को प्रदेश की राजधानी बनाने का वादा किया तो लोगों को लगा कि यह भी वादा ही बनकर रह जाएगा लेकिन 4 मार्च 2020 को गैरसैंण में बने नए विधानसभा भवन में बजट सत्र के दौरान जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को राज्य की दूसरी यानी ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की तो लगा जैसे पहाड़ की आबोहवा में होली कुछ दिन पहले ही आ गई। कई जगहों पर लोगों ने इस आंदोलन को याद किया और सरकार का शुक्रिया भी अदा किया। इस दौरान पहाड़ के लोग भावुक भी नजर आए।

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