अल्मोड़ा के युवा ने बनाई स्मार्ट स्टिक, वनकर्मियों की गश्त में बन रही है मददगार

अल्मोड़ा के युवा ने बनाई स्मार्ट स्टिक, वनकर्मियों की गश्त में बन रही है मददगार

अल्मोड़ा के रवि टम्टा ने बांस से ऐसी शानदार छ़डी बनाई है जो वनकर्मियों के बहुत काम आ रही है। इसके अलावा उन्होंने अपने हुनर से पर्यावरण को संरक्षित करने की जरूरत को देखते हुए एक ऐसा यंत्र भी तैयार किया है, जिससे कुछ ही मिनटों में इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज किया जा सकता है और इसमें लागत भी न के बराबर आ रही है।

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

पहाड़ में टैलेंट की कमी नहीं है। अल्मोड़ा के युवा रवि टम्टा ने बांस से ऐसी शानदार छ़डी बनाई है जो वनकर्मियों के बहुत काम आएगी। ये इको फ्रेंडली स्मार्ट छड़ी वनकर्मियों को रात में गश्त के दौरान मदद करेगी। ये छड़ी जंगलों की सुरक्षा के लिए बेहतर साबित हो रही है। कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों!’ दुष्यंत कुमार के इस शेर को चरितार्थ कर दिखाया है उत्तराखंड अल्मोड़ा के काफलीखान क्षेत्र में रहने वाले रवि टम्टा ने। उन्होंने अपने हुनर से पर्यावरण को संरक्षित करने की जरूरत को देखते हुए एक ऐसा यंत्र तैयार किया है, जिससे कुछ ही मिनटों में इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज किया जा सकता है और इसमें लागत भी न के बराबर आएगी।

रवि टम्टा ने डेढ़ साल की मेहनत के बाद एक ऐसी इलेक्ट्रोलाइट पंप मशीन का निर्माण कर डाला जिससे काफी कम समय और कीमत में वाहनों को चार्ज किया जा सकता है। रवि ने बताया कि यह एक ऐसी मशीन है, जिससे एक मिनट में कोई इलेक्ट्रिक वाहन चार्ज किया जा सकता है। अभी यह हल्द्वानी के तिकोनिया में स्थित चड्ढा पेट्रोल पंप पर इस इलेक्ट्रोलाइट पंप मशीन का प्रदर्शन भी कर चुके हैं। रवि ने बताया कि वह वर्तमान में विज्ञान विषयों से स्नातक कर रहे हैं होनहार रवि ने 12वीं तक की पढ़ाई साइंस स्ट्रीम से की। बाद में उन्होंने ओपन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। वह बचपन से ही कुछ नया सोचते आए हैं। उन्होंने कहा कि आज की जरूरत है कि इलेक्ट्रिक वाहन, जिनकी की फास्ट चार्जिग की व्यवस्था अभी कम है। इसी को देखते हुए मैंने इस प्रयोग को अपनाया है। तेज गति से चार्जर की व्यवस्था न होने के कारण इन वाहनों को लेने में लोग संकोच कर रहेहैं। रवि ने दावा किया है कि इस मशीन से वाहन को अगर एक मिनट तक चार्ज किया जाए तो वह करीब सौ किलोमीटर का सफर तय कर सकता है।

उन्होंने बताया कि वे हल्द्वानी में कई वाहनों के साथ इसका प्रदर्शन भी कर चुके हैं। इस मशीन से जहां वाहन को एक मिनट में चार्ज किया जा सकता है, वहीं इसकी एक बार में लागत 40 से 50 रुपये के आसपास आती है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से डीजल-पेट्रोल एक मिनट में भरते हैं। ठीक उसी प्रकार इलेक्ट्रिक वाहनों में एक मिनट में इलेक्ट्रोलाइट भर सकते हैं। इससे इलेक्ट्रिक वाहन फुल चार्ज हो जाता है। रवि ने बताया कि लेड एसिड बैट्री में 38 प्रतिशत सल्फ्यूरिक एसिड और 62 प्रतिशत डिस्टिल वाटर के मिश्रण को इलेक्ट्रोलाइट कहते हैं, जो चार्ज व डिस्चार्ज होता है। जब इलेक्ट्रिक वाहन की बैट्री डिस्चार्ज होती है, डिस्चार्जिंग के दौरान सल्फ्यूरिक एसिड ओडायल्यूट होते रहते हैं। इसी पूरी प्रक्रिया के बाद बैट्री एक मिनट में चार्ज हो जाती है।

हालांकि रवि ने यह बताने से इनकार कर दिया है कि इसमें कौन-कौन सी मशीनें लगी हैं और इसे बनाने में कौन सी विधि का इस्तेमाल किया गया है। उनका कहना है कि कुछ दिनों में इसे सार्वजनिक किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले भी वह कई हैरत अंगेज मशीनों का ईजाद कर चुके हैं, लेकिन प्रोत्साहन न मिल पाने के कारण वह ऐसी ही गुम पड़ी हैं। रवि ने बताया कि इलेक्ट्रिक वाहन पेट्रोल-डीजल का विकल्प बन सकते हैं। वाहनों से निकलने वाले धुएं से प्रदूषण भी कम होगा। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों में चार्जिग की समस्या के कारण ज्यादातर लोग बैटरी चलित वाहनों को लेने में संकोच करते हैं। इसीलिए ऐसी तकनीक तैयार की गई है जिसमें एक मिनट में सारे काम हो जाएं। काफलीखान में ऑटोमोबाइल की दुकान चलाने वाले मैकेनिक हरीश टम्टा के पुत्र रवि टम्टा ने बताया कि बचपन से ही इस प्रकार के खोज और वैज्ञानिक ढंग की चीजें बनाते हैं। उनका कहना है उन्होंने 2014 में एक जूता बनाया था जिसके माध्यम से फोन चार्ज किया जा सकता है और एक हेलीकाप्टर भी बनाया है जो कि 10 फिट तक की ऊंचाई तक उड़ सकता है। कई बार अभिनव प्रयोगों से नए-नए संयंत्र ईजाद कर रवि ने बड़े-बड़े करतब किए। जिनका उन्होंने सरकारी मशीनरी के सामने प्रदर्शन भी किया, लेकिन उनकी प्रतिभा को आज तक किसी ने प्रोत्साहन देना उचित नहीं समझा। लेकिन अभी वह अपने कोशिशों से पीछे नहीं हट रहे हैं। लगातार अपने परिश्रम में लगे हुए हैं।

रवि टम्टा ने अपने इस प्रयोग का प्रदर्शन दिल्ली के प्रगति मैदान में लगने वाले वल्र्ड एनवायरनमेंट एक्सपो 2019 में कर चुके हैं, जिसके लिए इन्हें इंडियन एक्जीवेशन की ओर से प्रमाणपत्र भी दिया गया है। रवि ने अब इस इलेक्ट्रोलाइट पंप मशीन के निर्माण और ट्रायल के बाद देश के सड़क एवं परिहवन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भेजकर इस थीम को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग की मांग की है। इसके अलावा वह इलेक्ट्रिक की गाड़ी बनाने वाली कंपनी टेस्ला को भी मेल के माध्यम इसकी जानकारी दे चुके हैं। बस इंतजार इन सबके जवाब का है।उनका कहना है, ‘यह खोज मैं प्रधानमंत्री को बताना चाहता हूं। उन तक पहुंचने के प्रयास में भी लगा हूं।’ हल्द्वानी के हरबंश पेट्रोल के मैनेजर महेश भट्ट ने बताया कि रवि ने अपनी इस मशीन से बिल्कुल जीरो चार्जिग में आने वाले ई-रिक्शे को एक मिनट में चार्ज किया है। उन्होंने दूरी भी तय की है। इस तरकीब को प्रोत्साहित करने की अवश्यकता है। इसकी बाजार में बहुत मांग है। हल्द्वानी के ई-रिक्शा चालक अहमद ने बताया, ‘हम बिल्कुल जीरो चार्ज बैटरी को इनके पास चार्जिग के लिए ले गए थे। उन्होंने एक से दो मिनट के अंदर इसे चार्ज कर दिया है। घर का चार्जर सात से आठ घंटे चार्जिग के लिए लेता है।’

रवि टम्टा ने एक ऐसी मशीन बनाई है, जिससे बिना पानी के भी वनाग्नि पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। रवि टम्टा अल्मोड़ा के धौलादेवी ब्लॉक के रहने वाले हैं। दुनाड़ गांव के रहने वाले रवि के आविष्कार की खूब तारीफ हो रही है। उत्तराखंड में वनाग्नि एक बड़ी समस्या है। गर्मियों के सीजन में यहां करोड़ों की वन संपदा जलकर राख हो जाती है। इससे पर्यावरण और वन्यजीवों को भी नुकसान पहुंचता है। वनों में आग लगने की घटनाओं पर काबू पाने के लिए रवि ने एक ऐसी मशीन बनाई है, जो बिना पानी के आग बुझा सकती है। इसे कोई भी आसानी से इस्तेमाल कर सकता है। इलेक्ट्रिक मशीन ढाई किलो जबकि पेट्रोल से चलने वाली मशीन का भार 4 किलो है। इसे पीठ में बांधकर आसानी से आग बुझाई जा सकती है। पेट्रोल से चलने वाली मशीन की लागत 12 से 15 हजार और इलेक्ट्रिक मशीन की लागत 18 से 20 हजार रुपये तक आती है। रवि इस मशीन का डेमोस्ट्रेशन मुख्य विकास अधिकारी और डीएफओ के सामने पेश कर चुके हैं। रवि को पहाड़ से लगाव है और वो यहां की समस्याओं के समाधान के लिए लंबे समय से रिसर्च में जुटे हैं।

रवि कहते हैं कि जंगल में अब तक आग बुझाने के लिए पानी या अन्य साधनों का उपयोग किया जाता था। जो काफी महंगे होते हैं। उनकी बनाई मशीन की मदद से बेहद कम खर्च और बिना पानी के जंगल की आग पर काबू पाया जा सकता है। रवि टम्टा ने बिना किसी तकनीकी सहयोग से स्मार्ट स्टिक तैयार की है, जो पूरी तरह से इको फ्रेंडली है। बांस के लकड़ी से तैयार किया गया छड़ी जंगलों की सुरक्षा करेगी। इस छड़ी की खासियत यह है कि इसमें टॉर्च के साथ-साथ ब्लिंकिंग लाइट, मोबाइल चार्जिंग पॉइंट के साथ-साथ लोकेशन के लिए कंपास और खतरे के दौरान रेड लाइट सिंगल भी दिखाएगा। चार्जिंग के लिए सोलर पैनल है। जो वन विभाग के जंगलों में गश्त करने वाले कर्मचारियों के लिए उपयोगी साबित हो रहा है। डीएफओ हल्द्वानी वन प्रभाग कुंदन कुमार ने बताया कि उत्तराखंड बंबू बोर्ड के माध्यम से स्मार्ट स्टिक को विभाग ने खरीदी है। उन्होंने बताया कि पहले चरण में 50 स्टिक मंगाई गई हैं। जिससे वनकर्मियों ने जंगलों में गश्त करनी शुरू कर दी है। स्मार्ट स्टिक कर्मचारियों के लिए उपयोगी साबित हो रही है। उन्होंने बताया कि जंगलों में अक्सर देखा जाता है कि कर्मचारियों के पास मोबाइल चार्जिंग करने और लाइटिंग की सुविधा नहीं रहती है। ऐसे में सोलर पैनल वाले इको फ्रेंडली बंबू स्मार्ट स्टिक कर्मचारियों को भी पसंद आ रही हैं। यही नहीं बंबू स्टिक लाइटवेट होने के साथ-साथ स्थानीय युवक द्वारा तैयार की गई है। स्टिक बाजारों में बिकने वाले हैवीवेट स्टिक की तुलना में सस्ता भी है।

लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।

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