…जो गुरु से मिला उसे लोगों में बांट रहे पीएम मोदी: स्वामी परमात्मानंद

…जो गुरु से मिला उसे लोगों में बांट रहे पीएम मोदी: स्वामी परमात्मानंद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु ब्रह्मलीन स्वामी दयानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी परमात्मानंद ने जनता से की घरों में रहने की अपील। हिंदू धर्म आचार्य सभा के महासचिव और समन्वयक स्वामी परमात्मानंद अपने वैदिक दृष्टिकोण के लिए विख्यात हैं।

12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ मंदिर के दर्शन या उनके बारे में आपने काफी कुछ देखा और सुना होगा। हालांकि गुजरात में भगवान भोलेनाथ का एक और मंदिर है, जिसके बारे में कम लोग ही जानते हैं और वह है श्री सोमेश्वर महादेव मंदिर। कभी सौराष्ट्र की राजधानी रहे जिस शहर ने महात्मा गांधी के बचपन को देखा है, उसी राजकोट में अपनी विशालता और विशिष्ट शैली के लिए विख्यात है यह महादेव का मंदिर। दूर से ही मंदिर के दर्शन होने लगते हैं। मंदिर की दिव्यता, इसके संस्थापक और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कनेक्शन इसे लेकर कौतूहल बढ़ाता है। इस मंदिर की स्थापना स्वामी परमात्मानंद सरस्वती ने की है।

वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु ब्रह्मलीन स्वामी स्वामी दयानंद सरस्वती के शिष्य हैं। स्वामी परमात्मानंद अपने वैदिक दृष्टिकोण और जीवन जीने के तरीके के लिए जाने जाते हैं। भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण फैसले के बाद हिंदू धर्म आचार्य सभा के महासचिव और समन्वयक स्वामी परमात्मानंद ने भी जनता से अपील की है कि वे अपने घरों में रहें और शासन की ओर से जारी निर्देशों का पालन करें। उन्होंने अपने संदेश में कहा, कोरोना वायरस ने हमारे देश को बल्कि पूरी दुनिया को महासंकट में डाल दिया है। इस तकनीकी युग में, जब सूचनाओं की बाढ़ आ रही है तब हम असहाय होने का अनुभव कर भय और चिंता से ग्रस्त हो जाएं, ऐसा स्वाभाविक है। इस काल में हमें दो चीजें करनी हैं। सबसे पहले सरकार के निर्देशों का पालन करें और उसमें सबसे प्रमुख है सोशल डिस्टेंसिंग और घर में ही रहें और कहीं बाहर आने-जाने की कोशिश न करें। एकांत में रहकर, घर के मंदिर में या मन में ही प्रभु की आराधना करें कि हे ईश्वर हम सभी इस संकट से जल्द निकल जाएं।

पीएम मोदी ने ऋषिकेश स्थित शीशमझाड़ी के दयानंद आश्रम में स्वामी दयानंद सरस्वती से अध्यात्म की शिक्षा ली। स्वामी दयानंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रिश्ता काफी पुराना है। जब भी मोदी के सामने कोई मुश्किल समस्या आई तब-तब उन्होंने गुरु से मार्गदर्शन लिया। स्वामी दयानंद सरस्वती का मोदी के जीवन पर गहरा प्रभाव है। परंपरा और आधुनिकता का मेल पीएम को अपने गुरु से मिला है। इन सब चीजों को स्वामी परमात्मानंद जी ने करीब से देखा है। वह कहते हैं, नरेंद्र मोदी को अपने गुरू से जो मिला, वही समाज को लौटा रहे हैं। स्वामी परमात्मानंद ने प्रधानमंत्री मोदी को दो दशकों से भी ज्यादा समय से जानते हैं। वह कहते हैं कि पीएम मोदी बचपन से ही साधु पुरुष हैं। उनका किसी चीज से लगाव या उनमें ‘मैं कुछ हूं’, जैसा भाव नहीं है क्योंकि आत्मगौरव बहुत है। पीएम मोदी के पिछले साल दोबारा शपथ लेने के मौके पर वह आशीर्वाद देने भी पहुंचे थे। तब उन्होंने कहा था, ‘हमें खुशी है, गर्व है कि मोदी जी शपथ ले रहे हैं। हम उन्हें आशीर्वाद देंगे कि उनकी निष्ठा वैसी ही बनी रहे, आयु के हिसाब से शरीर की शक्ति क्षीण न हो, शुद्ध मति बनी रहे। देश आगे बढ़ता रहे, धर्म और संस्कृति की रक्षा हो।’

उत्तराखंड में गुरु को दिया वचन निभा रहे मोदी

 

प्रधानमंत्री मोदी का ऋषिकेश से आध्यात्मिक जुड़ाव रहा है। प्रधानमंत्री के गुरु ब्रह्मलीन स्वामी दयानंद के दयानंद आश्रम की तरफ से स्वामी परमात्मानंद ही पीएम मोदी के दूसरे शपथ समारोह में शामिल हुए थे। वह बताते हैं कि प्रधानमंत्री ने अपने गुरु को वचन दिया था कि उत्तराखंड के चार धाम की यात्रा को सुलभ और सुगम बनाया जाएगा और यह वचन उन्होंने ऑल वेदर रोड के रूप में पूरा किया। पीएम के आध्यात्मिक गुरु स्वामी दयानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी परमात्मानंद महाराज कहते हैं कि आज अगर गुरुजी जीवित होते तो बहुत प्रसन्न होते, क्योंकि पीएम मोदी ने जो कहा, उसे पूरा कर रहे हैं।

स्वामी परमात्मानंद की शिक्षण गतिविधियां केवल आध्यात्मिक साधकों तक ही सीमित नहीं हैं। समाज के विभिन्न वर्गों को उनके द्वारा तैयार शिक्षण मॉड्यूल के माध्यम से वैदिक ज्ञान प्राप्त हो रहा है। इनमें शास्त्र अध्ययन, छात्रों के लिए चरित्र निर्माण, शिक्षकों के लिए भारतीय संस्कृति और मूल्य, सरकारी और निजी संगठनों के अधिकारियों और कर्मचारियों में कौशल विकास के लिए सेमिनार और कार्यशालाएं, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठनात्मक गतिविधियां और सामाजिक गतिविधियां शामिल हैं।

वास्तुकला की दृष्टि के आधुनिक है सोमेश्वर महादेव

 

वास्तुकला के दृष्टिकोण से श्री सोमेश्वर महादेव एक आधुनिक मंदिर है लेकिन पूजा-पाठ के लिहाज से एक पारंपरिक मंदिर प्रतीत होता है। यहां पारंपरिक रूप से ‘एकादश द्रव्य रुद्राभिषेक’ के साथ षोडशोपचार पूजा रोज की जाती है। विभिन्न अवसरों और त्योहारों पर विशेष पूजाएं की जाती हैं। इनमें तिथि पूजा, प्रदोष पूजा, भिक्षा और वार्षिक शामिल हैं। महाशिवरात्रि के अवसर पर देश-दुनिया से आए श्रद्धालुओं का यहां मेला लगा था। श्रीसोमेश्वर महादेव मंदिर में देश के कोने-कोने से लोग आते हैं।

गीर गाय का दूध अमृत समान

 

 

यहां परिसर में गोशाला देखकर आपको दिव्य अनुभूति की प्राप्ति होगी। यहां गीर गाय के दूध को अमृत के समान माना जाता है। इसके साथ ही स्वामी परमात्मानंद द्वारा स्थापित अर्श विद्या मंदिर गायों की सुरक्षा के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है। स्वामी जी का कहना है कि हिंदुओं में गाय को पवित्र और माता का स्थान दिया जाता है। हमारे महाकाव्यों और पुराणों में कई बार जिक्र मिलता है जब गाय को बहुत अधिक सम्मान दिया गया हो। महाभारत में कहा गया है, ‘गायें अतीत और भविष्य दोनों की माता हैं। लोगों को रोज गायों की सेवा और पूजा करनी चाहिए। वे दुनिया की चीजों में सबसे महत्वपूर्ण हैं।’ स्वामी परमात्मानंद का मानना है कि गाय बहुत सी देवाताओं की माता हैं। वे वास्तव में अतुलनीय हैं। गायें ब्रह्मांड की जननी हैं। गायों के उपहार से ज्यादा पवित्र कोई नहीं है।

एनएसए डोभाल की सद्भाव बैठक में भी पहुंचे थे स्वामी परमात्मानंद

 

 

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश में शांति व्यवस्था कायम करने और समाज में सद्भाव बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के आवास पर कई धर्मगुरुओं की बैठक हुई थी। इसमें हिंदू पक्ष की ओर से बाबा रामदेव, स्वामी परमात्मानंद, अवधेशानंद गिरी उपस्थित थे, जबकि मुस्लिम पक्ष की ओर से जमीयत-ए-उलेमा हिंद के चीफ महमूद मदनी, शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद शामिल हुए। हिंदू आचार्य महासभा के महासचिव स्वामी परमात्मानंद लगातार दूसरी बाद अजीत डोभाल से मिलने पहुंचे थे। उन्होंने इस मुलाकात के बाद कहा था, “हम देश में शांति कायम करने के लिए काम करते रहेंगे। देश में अशांति दो तरह से होती है, एक जब एक-दूसरे को समझ नहीं पाते हैं, मन में कुछ सवाल होते हैं, दूसरे कई ऐसे तत्व होते हैं, जो अशांति पर ही पलते हैं। इस संवाद से दो फायदे हुए कि एक-दूसरे के लिए स्पष्टता हुई। खुलेमन से बात होने से गलतफहमियां दूर हुईं। दोनों समुदायों के आचार्यों ने तय किया कि अशांति खड़ी करने वालों से दूर रहा जाएगा।”

1 comment

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked with *

1 Comment

विज्ञापन

[fvplayer id=”10″]

Latest Posts

Follow Us

Previous Next
Close
Test Caption
Test Description goes like this