बाबा केदारनाथ के भक्तों के लिए बड़ी खबर, चार मई से कर सकेंगे दर्शन

बाबा केदारनाथ के भक्तों के लिए बड़ी खबर, चार मई से कर सकेंगे दर्शन

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग अभी जारी है। लॉकडाउन और बढ़ गया है। उत्तराखंड के लोगों के लिए राहत की बात यह है कि यहां संक्रमण को काफी हद तक काबू करने में सफलता मिली है। राज्य के 13 जिलों में से 10 ग्रीन जोन में हैं। ऐसे में 4 मई से कई सुविधाएं शुरू हो जाएंगी।

देश में लॉकडाउन 3 मई के बाद दो हफ्तों के लिए बढ़ा दिया गया है। इस बीच, बाबा केदार के दर्शन को उत्सुक श्रद्धालुओं के अच्छी खबर आई है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने आज एक टीवी चैनल से बातचीत में ऐलान किया कि 4 मई से बाबा केदार के दर्शन शुरू हो जाएंगे। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि अभी उत्तराखंड के लोग ही दर्शन कर सकेंगे। इस दौरान सामाजिक दूरी का पूरी सख्ती से पालन करना होगा।

उन्होंने कहा कि एक राज्य से दूसरे राज्य में आवागमन खुला नहीं है इसलिए दूसरे राज्यों के लोगों को अभी इंतजार करना होगा। सीएम रावत ने बताया कि 4 मई से प्रदेश के ग्रीन जिलों में बड़ी छूट दी जाएगी और एक जिले से दूसरे राज्य में आवाजाही शुरू हो जाएगी। इस दौरान उन्होंने अफसोस जताया कि केदारनाथ धाम में इस साल कपाट खुलने के समय श्रद्धालुओं को रोकना पड़ा क्योंकि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए ऐसा करना जरूरी थी।

देखिए, जब इस बार खुले केदारनाथ धाम के कपाट

आपको बता दें कि हर साल कपाट खुलने के समय भक्तों की अपार भीड़ देखने को मिलती थी लेकिन इस साल गिने-चुने लोगों को मंदिर तक जाने की अनुमति दी गई थी। इस साल कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण चारधाम यात्रा प्रभावित हुई है। गौरतलब है कि उत्तराखंड में कोरोना के 58 मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें से 36 लोग पूरी तरह से ठीक होकर घर लौट गए हैं।

29 अप्रैल को खोले गए कपाट, पीएम के नाम से पहली पूजा

केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल को सुबह 6.10 बजे खोले गए थे। अगले छह महीने तक बाबा केदारनाथ की पूजा-अर्चना केदार धाम में ही होगी। कोरोना के चलते कपाट खुलने के समय पुजारी समेत सिर्फ 16 लोग ही शामिल हुए थे।

सबसे पहले मंदिर के सीलबंद मुख्य कपाट को खोला गया। इसके बाद गर्भगृह में पूजा-अर्चना की गई। मुख्य पुजारी शिवशंकर लिंग ने मंदिर के अंदर कपाट खुलने पर संपन्न होने वाली पूजा की। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से प्रथम पूजा की गई।

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