कोरोना उत्तराखंड समेत पूरे देश में फैल रहा है लेकिन अब भी पहाड़ों में पहले से कायम सामाजिक दूरी के चलते संक्रमण कम है। अब कोरोना के बाद के हालात को लेकर योजनाएं भी उसी हिसाब से बनानी होंगी। प्रकृति के संरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा। इसी दिशा में एक अनोखी पहल हुई है….
कोरोना वायरस ने काफी हद तक हमें प्रकृति से प्रेम, स्वच्छ आबोहवा, साफ-सफाई की महत्ता समझा दी है। ऐसे मुश्किल वक्त में केदारनाथ वन विभाग के एक फैसले की हर कोई तारीफ कर रहा है। दरअसल, विभाग ने एक सिस्टम बनाया है जिससे बिस्कुट, चिप्स आदि के खाली पैकेट यहां-वहां न दिखाई दे। केदारनाथ अभयारण्य आने वाले पर्यटकों को अब 100 रुपये प्रति प्लास्टिक के हिसाब से सिक्योरिटी डिपॉजिट जमा कराना होगा।
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अभयारण्य घूमकर जब पर्यटक लौटेगा तो उसे अपना डिपॉजिट लेने के लिए प्लास्टिक के रैपर दिखाने होंगे। यह इस बात का प्रमाण होगा कि व्यक्ति ने कोई प्लास्टिक का कचरा नहीं फैलाया है। अगर वह किसी कारण से रैपर या कोई अन्य प्लास्टिक दिखाने में असफल रहता है तो नियम के मुताबिक उस व्यक्ति पर 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
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पहाड़ों की सुंदरता, प्रकृति के संरक्षण के साथ-साथ कचरे के उचित निस्तारण के लिहाज से यह फैसला बेहद अहम है। स्थानीय लोगों ने ही नहीं, सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस फैसले की प्रशंसा की है। लोगों का कहना है कि इस तरह का नियम हर जगह होना चाहिए जिससे लोग प्लास्टिक का कचरा न फैलाएं।
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