ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाईवे पर नरकोटा में निर्माणाधीन सिग्नेचर ब्रिज का एक तरफ का ढांचा ढह गया। भगवान की कृपा रही कि यहां पर कोई काम नहीं कर रहा था, वरना बड़ा हादसा हो सकता था।
ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर रुद्रप्रयाग के निकट नरकोटा में निर्माणाधीन उत्तराखंड के पहले सिग्नेचर ब्रिज का एक छोर धराशाही हो गया है। गनीमत यह रही कि जिस समय पुल गिरा, उस समय कोई भी मजदूर साइड पर कार्य नहीं कर रहा था। वरना एक बड़ा हादसा हो सकता था। रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने इस घटना में जांच के आदेश दे दिये हैं।
दरअसल, ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर रुद्रप्रयाग के निकट नरकोटा में ऑल वेदर परियोजना के तहत लगभग 66 करोड़ की लागत से 110 मीटर लम्बाई वाले सिग्नेचर ब्रिज का निर्माण किया जा रहा है। उत्तराखंड का नरकोटा में यह पहला सिग्नेचर ब्रिज बन रहा है। 2021 से इस पुल का निर्माण कार्य चल रहा है। 2022 में भी इस का बेस गिर गया था और हादसे में 3 मजदूरों की मौत हो गई थी। इसके बाद पुल निर्माण कार्य ने तेज गति पकड़ी और इस वर्ष मई माह तक पुल का निर्माण कार्य पूर्ण होना था, लेकिन नहीं हो पाया।
पुल का निर्माण कार्य लगातार चल रहा था, लेकिन गुरूवार दोपहर को अचानक पुल के एक छोर का टॉवर धराशाई हो गया। हादसे के समय कोई भी मजदूर पुल पर कार्य नहीं कर रहा था। पुल निर्माण के लिये रेल विकास निगम ने पैंसा दिया है। क्योंक जहां पहले बद्रीनाथ हाईवे था, वहां पर रेलवे की टनल बन रही है। टनल के स्थान पर रेलवे इस पुल का निर्माण कार्य करवा था। रेलवे ने राष्ट्रीय राजमार्ग खण्ड श्रीनगर को यह कार्य दिया था और एनएच ने आरसीसी नामक कार्यदायी संस्था को पुल का कार्य सौंपा था। उत्तराखंड में बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर यह पहला घुमावदार पुल बन रहा था।
जिला पंचायत सदस्य नरेन्द्र बिष्ट एवं उप प्रधान नरकोटा कुलदीप जोशी ने कहा कि आरसीसी कंपनी की ओर से सिग्नेचर पुल का निर्माण कार्य किया जा रहा है। जब से इस पुल का कार्य शुरू हुआ है, तब से ही इसके निर्माण कार्य पर सवाल खड़े हुए हैं। शुरूआत में पुल के बेस मेंट निर्माण के दौरान भी बड़ा हादसा हुआ, उसके बाद भी कंपनी ने सबक नहीं लिया। इसके अलावा जहां-जहां आरसीसी कंपनी की ओर से पुलों का निर्माण किया गया, वहां हादसे हुए हैं। कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया जाना चाहिए।
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