रामबाड़ा-गरुड़चट्टी तक 5.35 किमी रास्ते को पुनर्जीवित किया जा रहा है। अभी तक लगभग एक किमी कटान हो चुका है। लगभग पांच करोड़ की लागत से इस रास्ते को निर्माण किया जा रहा है।
उत्तराखंड के चारधामों में से एक केदारनाथ धाम है जो कि देश दुनिया के श्रद्धालुओं का आस्था का केंद्र है। केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु घोडे़ खच्चर, पालकी, पैदल और हेली सेवा से यहां पहुंचते हैं। जैसे ही केदारनाथ धाम के कपाट खुलते हैं यहां पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखी जा सकती है। सबसे ज्यादा दिक्कत पैदल आने जाने वाले यात्रियों को होती है। कई बार तो यात्रियों की ज्यादा भीड़ और घोड़े खच्चरों की वजह से रास्ता जाम हो जाता है। केदारनाथ की पैदल यात्रा श्रद्धालुओं के लिए हर साल कुछ न कुछ दिक्कतें खड़ी करती रहती है। श्रद्धालुओं की इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए अब केदारनाथ जाने का रास्ता वन वे किया जा रहा है और उम्मीद है कि अगले साल से पैदल यात्रा वन वे होगी।
केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा साल 2025 से वन-वे हो जाएगी। इसके लिए केदारनाथ के पुराने पैदल मार्ग को रामबाड़ा से गरुड़चट्टी तक पुनर्जीवित करने का काम शुरू हो गया है। यह मार्ग 5.35 किमी लंबा और 1.8 मीटर चौड़ा होने से पैदल यात्रा आसान हो जाएगी। इसके साथ ही गरुड़चट्टी फिर से आबाद और गुलजार हो जाएगा। इस रास्ते के बनने से केदारनाथ धाम पर आसान पहुंच और वर्तमान मार्ग पर बढ़ते मानवीय दबाव को कम करने में भी मदद मिलेगी।
साल 2013 की आपदा में रामबाड़ा से केदारनाथ तक लगभग 7 किमी रास्ता पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। उस वक्त केदारनाथ तक पहुंचने के लिए नेहरू पर्वतारोहण संस्थान ने रामबाड़ा से मंदाकिनी नदी के दायीं तरफ से केदारनाथ तक 9 किमी नया रास्ता बनाया। बीते दस वर्ष से इसी रास्ते से पैदल यात्रा का संचालन हो रहा है।
केदारनाथ धाम में हर साल श्रद्धालुओं की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है जिससे पैदल मार्ग पर दबाव बढ़ रहा है। इस साल 31 जुलाई को आई आपदा से इस नए मार्ग को व्यापक क्षति भी पहुंची है। हालांकि इन दिनों मार्ग का सुधारीकरण किया जा रहा है, लेकिन क्षेत्र में बढ़ते भूस्खलन से यहां लगातार खतरा बना हुआ है। ऐसे में पुराने मार्ग को पुनर्जीवित और सही किया जा रहा है। इस साल जब केदारनाथ पैदल मार्ग टूट गया था तो तब श्रद्धालुओं को हेलीकॉप्टर से सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया था।
बताया जा रहा है कि सर्वेक्षण के आधार पर रास्ता निर्माण के लिए बीते 15 दिनों से रामबाड़ा से गरुड़चट्टी पर लोक निर्माण विभाग की टीम कटान कर रही है। मार्ग को सरल बनाया जा रहा है, जिससे यात्रियों की गरुड़चट्टी तक पहुंच आसान हो। इस रास्ते के पूरा बनते ही केदारनाथ तक पहुंच हो जाएगी, क्योंकि गरुड़चट्टी केदारनाथ तक 3.5 किमी रास्ता पूर्व में बन चुका है। साथ ही इस रास्ते को मंदिर से जोड़ने के लिए मंदाकिनी नदी पर पुल भी बनकर तैयार है। पुराने रास्ते के पुनर्जीवित होने से केदारनाथ पैदल यात्रा को वन-वे किया जाएगा। जिसके तहत नए रास्ते से यात्री धाम भेजे जाएंगे और दर्शन कर पुराने रास्ते से वापस लौटेंगे।
लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता विनय झिक्वांण ने बताया कि रामबाड़ा-गरुड़चट्टी तक 5.35 किमी रास्ते को पुनर्जीवित किया जा रहा है। अभी तक लगभग एक किमी कटान हो चुका है। लगभग पांच करोड़ की लागत से इस रास्ते को निर्माण किया जाएगा। दूसरे चरण में रास्ते को सुरक्षित करने के लिए रेलिंग और अन्य कार्य किए जाएंगे। इस रास्ते के बन जाने से केदारनाथ पैदल यात्रा थोड़ा आसान हो जाएगी।
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