यमुना की जलधारा से एकत्रित किए 100 बोरे नए पुराने वस्त्र, 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलाया जा रहा है स्वछता अभियान

यमुना की जलधारा से एकत्रित किए 100 बोरे नए पुराने वस्त्र, 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलाया जा रहा है स्वछता अभियान

यमुनोत्री और गंगोत्री तीर्थ में श्रद्धालु बड़ी संख्या में मां यमुना और मां गंगा जी में नए वस्त्र भेंट करतें हैं, साथ ही पवित्र स्नान के बाद श्रद्धालु लोग पुराने वस्त्र भी नदी तट पर ही छोड़ जाते हैं।

‘गंगा विचार मंच’ और ‘जिला गंगा समिति उत्तरकाशी’ के संयुक्त तत्वाधान में आज 30 सितंबर को मां यमुना जी के धाम यमुनोत्री में वृहद स्वच्छता अभियान चलाया गया और मां यमुना जी की स्वच्छता की शपथ दिलवाई गई। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत जलशक्ति मंत्रालय के कार्यक्रम स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक ‘स्वच्छता पखवाड़ा’ में ‘स्वभाव स्वच्छता संस्कार स्वच्छता’ थीम के साथ मां गंगा जी के बहाव वाले पांच राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। इसी के साथ साथ मां यमुना जी के धाम यमुनोत्री से लेकर यमुना जी के बहाव वाले राज्य, शहरों कस्बों में भी यमुना जी के तटों पर भी स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है।

इसी कार्यक्रम के तहत उत्तरकाशी जिले में गंगा विचार मंच उत्तराखंड और जिला गंगा समिति उत्तरकाशी के बैनर तले मां यमुना जी के उदगम यमुनोत्री तीर्थ यमुनोत्री के साथ साथ मां यमुना जी के किनारों पर बसे शहरों, कस्बों में वृहद स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के बाद नमामि गंगे योजना में अब मां गंगा जी के साथ साथ अब मां यमुना जी को भी जोड़ दिया गया है। मां गंगा के धाम गंगोत्री की ही तरह मां यमुना जी के धाम यमुनोत्री में भी बड़ी संख्या में श्रधालु महिलाएं मां यमुना जी में वस्त्र आदि प्रवाहित कर मां यमुना को भी उसके ही उदगम में मैला करने का काम कर रहे हैं।

इधर मां गंगा जी के उदगम गंगोत्री में भी महिला श्रद्धालुओं द्वारा बड़ी भारी मात्रा में मां गंगा जी की जलधारा में नए वस्त्र, श्रृंगार भेंट किया जाता है। ठीक इसी तरह की समस्या से यमुनोत्री धाम को भी इस समस्या से दो चार होना पड़ रहा है। इन समस्या पर गंगा विचार मंच ने जलशक्ति मंत्रालय राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के साथ साथ स्थानीय लोगों का ध्यान आकर्षित करने के साथ साथ समस्या का हल ढूंढने के प्रयास किए हैं। गौरतलब है कि यमुनोत्री और गंगोत्री धाम में कपाट खुलने से लेकर 2 महीनों तक प्रत्येक दिन में 10 से 15 हजार श्रधालु मां यमुना जी और मां गंगा जी के धाम पहुंचते हैं। जबकि यात्रा के अन्य महीनों में यह संख्या थोड़ा घट जाती है। यमुनोत्री गंगोत्री पहुंचने वाले श्रद्धालुओं में से नब्बे फीसदी तीर्थयात्री लोग मां यमुना और मां गंगा जी में पवित्र स्नान करते हैं और बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालुओं, तीर्थयात्रियों द्वारा मां यमुना जी और मां गंगा जी को नए नए वस्त्र भेंट करने के साथ साथ श्रृंगार का सामान चूड़ी बिंदी लिपिस्टिक, सीसा, काजल, कंघी आदि आदि भेंट करते हैं और मां यमुना जी और गंगा जी की जल धारा में बह देते हैं।

इन श्रदुलुओं का विश्वास है कि उन्होंने मां यमुना जी और मां गंगा जी को वस्त्र श्रृंगार भेंट कर पुण्य कमाया है। लेकिन इन सब दान किए गए आभूषणों, वस्त्रों से मां यमुना जी और गंगा जी प्रसन्न नहीं अपितु व्यथित होती हैं। दुःखद पहलू ये है कि महिला तीर्थयात्रियों द्वारा बड़ी संख्या में मां गंगा और यमुना जी में श्रृंगार व वस्त्र धोती साड़ी मां यमुना जी और मां गंगा की में भेंट (प्रवाहित) की ही जा रही हैं। लेकिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु मां यमुना जी और मां गंगा जी में पवित्र स्नान के बाद अपने पुराने कपड़े, अंडरगारमेंट सभी कुछ मां गंगा जी के तट पर छोड़ जाते हैं या फिर इन धार्मिक नदियों की जलधारा में आगे बहा देते हैं विसर्जित कर देते हैं।

गंगा विचार मंच उत्तराखंड के प्रांत संयोजक लोकेंद्र सिंह बिष्ट और उनकी टीम पिछले 10 वर्षों से मां गंगा जी के उदगम गंगोत्री में हर महीने मां गंगा जी की जलधारा में फंसे इन्ही पुराने नए वस्त्रों को एकत्रित करने का अभियान निरंतर चला रहे हैं और अब गंगा विचार मंच उत्तराखंड द्वारा मां यमुना जी के धाम यमुनोत्री में भी वृहद स्वच्छता अभियान की शुरआत कर 30 सितंबर को वृहद स्वच्छता अभियान चलाया गया।

आज के स्वच्छता अभियान में उपस्थित कर्मचारियों और मंदिर समिति के लोगों को मां यमुना जी की स्वच्छता की शपथ दिलवाई गई। यमुना और गंगा जी के इस स्वच्छता के इस महत्वपूर्ण अभियान में जिला गंगा समिति, यमुनोत्री मंदिर समिति, जिला पंचायत उत्तरकाशी, वन विभाग, पुलिस विभाग, यमुनोत्री तीर्थ में लगे सुरक्षा कर्मचारी, और स्वयं सेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता, अधिकारी कर्मचारीयों ने हिस्सा लिया।

गंगा विचार मंच और जिला गंगा समिति उत्तरकाशी के द्वारा मां यमुना जी और मां गंगा के धाम में आने वाले सभी श्रद्धालुओं से अपील करने के साथ साथ मां यमुना और मां गंगा में किसी भी तरह के वस्त्र, पूजा, श्रृंगार सामग्री न बहाने की अपील के सूचना पट्ट नदी तट पर लगाए गए हैं। गंगा विचार मंच उत्तराखंड के प्रांत संयोजक लोकेंद्र सिंह बिष्ट का कहना है कि श्रद्धालुओं द्वारा मां यमुना जी और मां गंगा जी जी की जलधारा में इस तरह के व्यवहार से मां यमुना जी और मां गंगा जी में प्रदूषण ही बढ़ता है।

मां यमुना जी और मां गंगा जी में आपके द्वारा मां गंगा की धारा में प्रवाहित किये वस्त्रों, पूजा व श्रृंगार सामग्री से मां यमुना जी हों या फिर मां गंगा जी खुश नहीं अपितु व्यथित ही होती हैं। इन वस्त्रों से मां का श्रृंगार खूबसूरत होने के बजाय बदरंग ही होता है। आप जो कुछ भी बस्तुएं, पूजा, श्रृंगार व वस्त्र धोती कुर्ता साड़ी, चूड़ी बिंदी लिपिस्टिक सीसा काजल कंघी भेंट करना चाहते हैं तो मां यमुना जी और मां गंगा जी के मुख्य मंदिरों यमुनोत्री मंदिर और गंगोत्री मंदिर में ही चढाएं या फिर किसी जरूरत मंद लोगों को भेंट करें।

गंगा विचार मंच का कहना है कि मां यमुना जी और मां गंगा जी आपके द्वारा जरूरतमंद लोगों व मुख्य मंदिर में दान किये वस्त्रों के बाद आपको असीम प्यार, आशीर्वाद व आशीष देंगी। गंगा विचार मंच के प्रदेश संयोजक लोकेंद्र सिंह बिष्ट ने गंगोत्री में श्रद्धालुओं व तीर्थयात्रियों व लोगो से अपील करता है कि मां यमुना जी हों या फिर मां गंगा जी या देश की कोई भी दूसरी नदी में किसी भी तरह को पूजा श्रृंगार सामग्री, खासकर वस्त्र आदि साड़ी धोती व कपड़े प्रवाहित न करें।

गंगा विचार मंच ने यमुनोत्री मंदिर समिति और गंगोत्री मन्दिर समिति से भी गुजारिश कर कहा कि मंदिर समिति भी श्रद्धालुओं से अपील करे कि श्रद्धालु वस्त्र आदि गंगोत्री मंदिर में ही भेंट करें। इधर आजकल गंगा विचार मंच व जिला गंगा समिति उत्तरकाशी ने जनजागरण व जागरूकता के लिए यमुनोत्री और गंगोत्री में इस तरह के बैनर जगह जगह यमुना और गंगा के किनारों पर लगाए हैं जिसमे ये सूचना चस्पा है कि मां गंगा के प्रवाह में किसी भी तरह के वस्त्र आदि न प्रवाहित करें।

गौरतलब है कि यमुनोत्री और गंगोत्री तीर्थ में श्रद्धालु बड़ी संख्या में मां यमुना और मां गंगा जी में नए वस्त्र भेंट करतें हैं, साथ ही पवित्र स्नान के बाद श्रद्धालु लोग पुराने वस्त्र भी नदी तट पर ही छोड़ जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि स्वछता को स्वभाव और संस्कार में अपनाने की जरूरत है। स्वछता से ही “स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मानसिकता का विकास होता है” इसलिए देश और नदियों को स्वस्थ और स्वच्छ रखने की आवश्यकता है।

लोकेंद्र सिंह बिष्ट, उत्तरकाशी

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