कोई शिकायत है…तत्काल समाधान चाहिए…सीएम हेल्पलाइन है ना

पानी नहीं आ रहा, बिजली का मीटर नहीं लगा, खेत में लगे बिजली के पोल तिरछे हो गए और आपकी सुनवाई नहीं हो रही तो उत्तराखंड के लोग अब परेशान नहीं होते। जी हां, चार नंबर की सीएम हेल्पलाइन अब घर बैठे समस्याओं से निजात

पानी नहीं आ रहा, बिजली का मीटर नहीं लगा, खेत में लगे बिजली के पोल तिरछे हो गए और आपकी सुनवाई नहीं हो रही तो उत्तराखंड के लोग अब परेशान नहीं होते। जी हां, चार नंबर की सीएम हेल्पलाइन अब घर बैठे समस्याओं से निजात दिला रही है। 1905, यही वो नंबर है जिस पर पिछले कुछ महीनों में हजारों की संख्या में लोगों ने शिकायतें दर्ज कराईं और निश्चित समयसीमा में टेंशन मुक्त हो गए। दफ्तरों के चक्कर लगाकर ऊब चुके लोगों का कहना है कि इस हेल्पलाइन के आने से उन्हें ऐसा लगने लगा है कि सरकार तक अब उनकी सीधी पहुंच है। इससे उनका समय और पैसा दोनों बचा है।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि सरकार के कार्यों से जनता संतुष्ट हो, इसी उद्देश्य से सीएम हेल्पलाइन की सुविधा शुरू की गई। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत खुद बताते हैं कि कुछ ही महीनों में हजारों शिकायतों का संतुष्टिपूर्वक समाधान किया गया है। इसे सुशासन की दिशा में बढ़ते कदम के तौर पर देखा जा रहा है। सीएम हेल्पलाइन 1905 से अब सरकार और राज्य के निवासियों के बीच बस एक कॉल की दूरी रह गई है। नागरिकों को अब त्वरित जानकारी मिल रही है और समस्याओं का निराकरण हो रहा है। इतना ही नहीं, समस्याओं के समुचित समाधान के लिए शासन द्वारा स्तर-1 से स्तर-4 तक के अधिकारियों को उत्तरदायी भी बनाया है।

अगर आपकी कोई समस्या है और आप चाहते हैं कि दफ्तरों के चक्कर काटने के बजाय जल्दी से उसका निपटारा हो जाए तो हम आपको चार चरणों में समझाते हैं कि सीएम हेल्पलाइन का कैसे फायदा उठा सकते हैं।

पोर्टल की होती है नियमित समीक्षा

समय-समय पर सीएम हेल्पलाइन पोर्टल की समीक्षा भी होती रहती है। हाल में 11 फरवरी 2020 को मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह की अध्यक्षता में सीएम हेल्पलाइन पोर्टल 1905 के निदेशक/विभागाध्यक्ष स्तर (लेवल 03) एवं सचिव स्तर (लेवल 04) के अधिकारियों की बैठक हुई। इस दौरान मुख्य सचिव ने सभी अधिकारियों से पोर्टल के अंतर्गत आने वाली शिकायतों को संवेदनशीलता से समाधान करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने सिस्टम को गुणवत्तापरक बनाने के निर्देश दिए ताकि शिकायतकर्ता को अनावश्यक रूप से परेशान न होना पड़े।

अपर मुख्य सचिव को सचिव स्तर (लेवल 04) की बैठक हर महीने बुलाने के साथ-साथ स्तरवार शिकायतों का विवरण तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। यही नहीं, ज्यादा शिकायत वाले विभागों की समूहवार शीघ्र बैठक निर्धारित की जाएगी। मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार रविंद्र दत्त ने हिल-मेल से बातचीत में कहा कि सीएम हेल्पलाइन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा जनता को दिया गया एक नायाब तोहफा है। सीएम का इस बात पर काफी जोर है कि जनता की शिकायतों का समाधान समय पर किया जाए। इससे उनका शासन के प्रति भरोसा बढ़ता है।

जनता का समय और पैसा दोनों की बचत

सीएम हेल्पलाइन 1905 में प्रदेश के किसी भी कोने से जनता अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है, जिसके लिए उन्हें सचिवालय एवं मुख्यमंत्री कार्यालय आने की जरूरत नहीं पड़ती। इससे जनता का समय और धन दोनों की बचत होती है। राज्य में सुराज एवं सुशासन की व्यवस्था के लिए तथा शासकीय तंत्र में पारदर्शिता के साथ कार्यशैली में गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इस पोर्टल के रूप में जवाबदेही व्यवस्था के मुख्यमंत्री के संकल्प को साकार करने के लिए यह पोर्टल शुरू किया गया है।

रविंद्र दत्त ने कहा कि सीएम हेल्पलाइन जनता और सरकार के बीच में दूरियां कम करने और जनता की समस्याओं का शीघ्र निराकरण करने के लिए एक सेतु का काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि जन सामान्य की शिकायतों के निराकरण के लिए बनाए गए इस पोर्टल को और प्रभावी बनाने के लिए सभी स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस क्रम में लेवल 01 एवं लेवल 02 के अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है, जिसके सकारात्मक परिणाम भी आए हैं।

हजारों की शिकायतों का तय समय में समाधान आईटी सलाहकार ने बताया है कि पोर्टल के माध्यम से 16,292 शिकायतों का आवेदनकर्ता की संतुष्टि के साथ समाधान किया जा चुका है तथा 5,488 अन्य शिकायतों का भी समाधान किया जा चुका है जिसकी आवेदनकर्ताओं से संतुष्टि प्राप्ति की प्रतीक्षा है तथा 7256 शिकायतों में कार्यवाही चल रही है। उन्होंने कहा कि पोर्टल की विशेषता यह है कि इसमें दर्ज शिकायत का समाधान के पश्चात आवेदनकर्ता की संतुष्टि प्राप्त की जाती है।

ई-गवर्नेंस पर सरकार का जोर

उत्तराखंड ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होने की ओर अग्रसर है। इसके लिए 21 जनवरी को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिवालय में ई-ऑफिस कार्य प्रणाली का शुभारंभ किया। अब विभिन्न विभागों को इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राज्य सरकार को कोशिश है कि सचिवालय एवं सभी विभागों में प्रदेश और जिला स्तर पर फाइलों के मूवमेंट में तेजी आए। जानकारों के मुताबिक, ई-ऑफिस उत्तराखंड सरकार द्वारा शासकीय कार्यों में सुशासन व पारदर्शिता लाए जाने के लिए एक उत्कृष्ट कदम है।

ई-ऑफिस के क्रियान्वयन में गति लाने के लिए प्रदेश के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को ई-ऑफिस प्रणाली का गहन प्रशिक्षण दिया जा रहा है। शुरुआत में मुख्यमंत्री कार्यालय, आईटी, निर्वाचन, प्रोटोकॉल, सचिवालय प्रशासन, युवा कल्याण, नियोजन, महिला सशक्तिकरण, राज्य संपत्ति एवं श्रम विभाग को इसका प्रशिक्षण दिया गया है। पहले चरण में सचिवालय के इन विभागों में ई-ऑफिस के माध्यम से कार्य तुरंत प्रारंभ हो जाएगा।

खास बात यह है कि ई-ऑफिस प्रणाली के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी द्वारा नियमित मानीटरिंग की जा रही है। एनआईसी के वरिष्ठ तकनीकी निदेशक राजीव जोशी के मुताबिक, ई-ऑफिस प्रणाली के लागू हो जाने से जनता की समस्याओं से संबंन्धित विभिन्न फाइलों को देखना बेहद आसान हो जाएगा। इससे अधिकारियों एवं कार्मिकों की कार्यकुशलता में भी बढ़ोत्तरी होगी। इस प्रणाली के पूर्ण रूप से लागू हो जाने के पश्चात मेनुअल फाइलें इलेक्ट्रानिक फाइलों के रूप में चलेंगी तथा अधिकारी और मंत्री एक क्लिक पर ही फाइलों से संबंधित ब्योरा हासिल कर पाएंगे।

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