अमरनाथ गुफा की तरह उत्तराखंड में भी प्रकट होते हैं ‘बाबा बर्फानी’, दर्शन का बना लीजिए प्लान

अमरनाथ गुफा की तरह उत्तराखंड में भी प्रकट होते हैं ‘बाबा बर्फानी’, दर्शन का बना लीजिए प्लान

बाबा बर्फानी की पवित्र अमरनाथ गुफा श्रीनगर से करीब 145 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। समुद्र तल से 3,978 मीटर की ऊंचाई पर यह गुफा 150 फीट ऊंची और करीब 90 फीट लंबी है। पर क्या आप उत्तराखंड में ऐसी ही गुफा के बारे में जानते हैं?

देवभूमि के कण-कण में शंकर और घर-घर में मां भगवती का वास माना जाता है। यहां पंच बद्री, पंच केदार, पंच प्रयाग दर्शन योग्य हैं। चार धामों की यात्रा तो विश्व प्रसिद्ध है लेकिन क्या आपको पता है कि अमरनाथ की पवित्र गुफा की तरह उत्तराखंड में भी ‘बाबा बर्फानी’ के दर्शन किए जा सकते हैं। जी हां, कम लोगों को ही इसके बारे में पता होगा। बाहर से देखने पर गुफा अमरनाथ की तरह ही दिखती है।

 

 

चमोली जिले में भारत-चीन सीमा के नजदीक अंतिम गांव नीति के पास यह जगह हैं, जहां भक्त दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। बबूक उडियार (गुफा) में शिवलिंग के साथ-साथ पार्वती और गणेश प्राकृतिक स्वरूप में विराजमान हैं। पहाड़ों से टपकने वाले जल से शिवलिंग का हमेशा जलाभिषेक होता है। शिव के दर्शन से पहले रास्ते में पहाड़ी से निकलने वाले जल से भक्तों का स्वतः स्नान हो जाता है।

हर साल शीत काल में बर्फ का 10 फीट ऊंचा शिवलिंग प्रकट होता है। जिस वर्ष बर्फबारी कम होती है, उस साल भी बर्फ का शिवलिंग पहाड़ से टपकने वाले पानी के जमा होने से प्रकट हो जाता है। बाबा के इस स्वरूप का दर्शन करने के लिए दूर से दूर शिवभक्त पहुंचते हैं।

शीत काल में आईटीबीपी के हिमवीर ही बाबा की पूजा-अर्चना करते हैं। दिसंबर से मार्च के मध्य बर्फ के शिवलिंग का दर्शन किया जा सकता है। सावन के माह में शिव जी का विशेष पूजाअर्चना किया जाता है। इस साल भी सावन के पवित्र माह मे भक्तों ने बाबा के दर्शन किए।

 

कैसे पहुंचे इस गुफा तक

टिम्मर सैण हरिद्वार से जोशीमठ 280 किमी और वहां से नीती 82 किमी सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। 700 मीटर की दूरी पैदल तय करनी होती है। बॉर्डर रोड होने के कारण यहां की सड़क बहुत अच्छी है। रास्ते में गरमपानी (तपोवन), भविष्य बद्री (सुभाई), चिपको नेता गौरा देवी का गांव रैणी भगवती, लाता नंदा देवी, द्रोणागिरी पर्वत, कोटबोन (कोषा), मलारी, बम्पा, गमसाली व नीती आदि रमणीय स्थानों को भी देख सकते हैं।

 

स्थानीय निवासी और स्वच्छताग्रही भवान सिंह रावत बताते हैं कि नीति व रास्ते में गढ़वाल मंडल विकास निगम, वन विभाग, लोक निर्माण विभाग का गेस्ट हाउस भी है। गांवों में मामूली पैसे देकर घरों में रहने की भी व्यवस्था है। इस यात्रा से अनेक लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की संभावना है। इसे और विस्तार देने पर काम हो रहा है। इस तरह से प्रकृति की गोद में रहकर उसका संरक्षण कर हम रोजगार हासिल कर सकते हैं। इससे सीमा के पास तक हमारे नागरिकों की आवाजाही बढे़गी।

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