जिस बात को कहने में सब हिचकिचाते है उस बात को जो आसानी से कह जाए वो है लेखक। लेखक न सिर्फ अपनी बात कहने का सामर्थ्य रखते है बल्कि कई लेखक अपनी रचनाओं से देश विदेशों में अपना नाम भी रोशन करते है। भारतीय मूल के अंग्रेजी भाषा के एक ऐसे लेखक भी हुए है जिन्होंने न सिर्फ भारत का मान बढाया बल्कि पद्म भूषण व पद्म श्री जैसे सम्मान भी अपने नाम किये। नाम है रस्किन बॉण्ड।
जिस बात को कहने में सब हिचकिचाते है उस बात को जो आसानी से कह जाए वो है लेखक। लेखक न सिर्फ अपनी बात कहने का सामर्थ्य रखते है बल्कि कई लेखक अपनी रचनाओं से देश विदेशों में अपना नाम भी रोशन करते है। भारतीय मूल के अंग्रेजी भाषा के एक ऐसे लेखक भी हुए है जिन्होंने न सिर्फ भारत का मान बढाया बल्कि पद्म भूषण व पद्म श्री जैसे सम्मान भी अपने नाम किये। नाम है रस्किन बॉण्ड।
रस्किन बॉण्ड का जन्म 19 मई 1934 में हुआ। उनके पिता, ऑब्रे अलेक्जेंडर बॉन्ड भारत में तैनात रॉयल एयर फ़ोर्स के एक अधिकारी थे। उन्होंने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल में पढ़ाई की। वे भारत के विश्वप्रसिद्ध अंग्रेजी लेखक है। उनका पहला उपन्यास द रूम ऑन द रूफ को 1957 में जॉन लेवेलिन राइस पुरस्कार मिला। उन्हें 1992 में हमारे पेड़ स्टिल ग्रो इन द डेहरा, अंग्रेजी में उनके उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। बॉन्ड ने बच्चों के लिए सैकड़ों लघु कथाएँ, निबंध, उपन्यास और किताबें लिखी हैं। उन्हें 1999 में पद्म श्री और 2014 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। वह अपन परिवार के साथ मसूरी के लंढौर में रहते हैं।
रस्किन बॉण्ड ने कई प्रसिद्ध रचनाएं लिखी है जिनमे ‘फ्लाइट ऑफ़ पिजन्स’ (कबूतरों की उडान) और ‘एंग्री रिवर’ (अप्रसन्न नदी) नामक कई उपन्यास शामिल है। जिन्होंने बाद में फ़िल्म का रूप ले लिया। फिल्म अभिनेता/निर्माता शशि कपूर और निर्देशक श्याम बेनेगल ने 80 के दशक में ‘फ्लाइन ऑफ़ पिजन्स’ पर ही ‘जुनून’ नाम से एतिहासिक-प्रेम आधारित फिल्म बनाई गई।
भारतीय फिल्म निर्देशक/निर्माता विशाल भारद्वाज ने उनकी रचना ‘सुज़ैन सेवेन हसबैंड’ पर ‘ सात खून माफ़’ जैसी रोमांटिक-थ्रिलर के साथ बाल-कथा ‘द ब्लू अंब्रेला’ नाम से भी हास्य-ड्रामा आधारित फिल्म बनाई।
साहित्य के क्षेत्र मे उन्हें कई सम्मानों से भी नवाजा गया है।1999 में भारत सरकार ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए “पद्म श्री” से सम्मानित किया।उसके बाद 2014 में उन्हें “पद्म भूषण” से सम्मानित किया गया।साथ हु ‘आवर ट्रीज स्टील ग्रो इन देहरा’के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिला।
रस्किन बॉण्ड ने अपने लेखों से लोगो के दिलो में अलग छाप छोड़ी। उनके लेख बड़ो से लेकर बच्चे तक पढ़ते है। उन्होंने न सिर्फ अंग्रेजी भाषा मे नाम कमाया बल्कि उन्होंने पूरे विश्व मे भारत का नाम रोशन किया।
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