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उत्तराखंड के रजत जयंती वर्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीतकालीन यात्रा का सबसे बड़ा प्रमोशन कर दिया है। इस यात्रा के प्रमोशन के लिए इससे पहले कभी इतने गंभीर प्रयास नहीं हुए। उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा के साथ प्रधानमंत्री के जुड़ाव के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जो प्रयास किए थे, उसका सार्थक परिणाम सामने आया है। बहुत कम समय में उत्तराखंड की शीतकालीन यात्रा और पर्यटन देश-दुनिया की नजरों में आ गए हैं।
READ MOREप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मां गंगा के शीतकालीन गद्दी स्थल मुखबा में गंगा पूजन किया। इस दौरान ढोल रणसिंगे के साथ पूजा-अर्चना की गई। मंदिर समिति के अध्यक्ष धर्मानंद सेमवाल व सचिव सुरेश सेमवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पूजा करवाई।
READ MOREमुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संकल्प को सिद्वी तक ले जाने में जुटा जिला प्रशासन, मानसून सीजन में शहर का एंट्री द्वार आईएसबीटी चौक अब नहीं होगा जलमग्न
READ MOREसीमावर्ती नेलांग-जादुंग-पीडीए क्षेत्र का मनमोहक शीत मरूस्थली पठार का क्षेत्र अभी तक पर्यटन की गतिविधियों से अछूता रहा है। प्रधानमंत्री के हाथों इन क्षेत्रों के लिए साहसिक पर्यटन अभियानों के शुभारंभ से इस क्षेत्र में पर्यटन विकास के नए द्वार खुल जाएंगे।
READ MOREसपा नेताओं को पटना की लाइब्रेरी में शाहजहां की जीवनी पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि शाहजहां ने औरंगजेब को कहा था कि तुम से अच्छा तो हिन्दू है जो जीते जी तो अपने बुजुर्ग मां-बाप की सेवा करता है और मृत्युपरांत वर्ष में एक बार श्राद्ध करते हुए मां-बाप को जल अर्पित करता है। उन्होने कहा कि जिन लोगों का आचरण औरंगजेब जैसा है वो उसपर गर्व कर सकते हैं।
READ MOREउत्तराखंड में सोनप्रयाग से केदारनाथ 12.9 किलोमीटर लम्बी रोपवे परियोजना के निर्माण पर 4081.28 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा। रोपवे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी में विकसित करने की योजना है और यह परियोजना सबसे उन्नत ट्राई-केबल डिटेचेबल गोंडोला-3एस तकनीक पर आधारित होगा जिसकी डिजाइन क्षमता 1800 यात्री प्रति घंटे प्रति दिशा होगी, जो प्रति दिन 18 हजार यात्रियों को लाने ले जाने में सक्षम होगी। एक गोंडोला मिनी बस के समान होगा जिसमें एक बार में 36 यात्री सवारी कर सकेंगे।
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उत्तराखंड को दो नामों से जाना जाता है, देवभूमि और वीरभूमि। इस मिट्टी में ऐसे अनेक वीरों ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और वीरता से कई पीढ़ियों को प्रेरित किया है। 21 अप्रैल को इस वीरभूमि के एक ऐसे ही सपूत की 130वीं जयंती है।
READ MOREउत्तराखंड के सीमांत जिलों में स्थित आईटीबीपी की बटालियनें अक्तूबर, 2024 तक मटन, चिकन, फिश सप्लाई के लिए बड़े शहरों पर निर्भर थीं। लेकिन अब उत्तराखंड पशुपालन विभाग ने आईटीबीपी का अनुबंध सीधे स्थानीय पशु पालकों से करा दिया है। इसके बाद शुरुआती पांच महीने में ही, चार सीमांत जिलों के 253 किसान आईटीबीपी के साथ 2.6 करोड़ का कारोबार कर चुके हैं।
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