उत्तराखंड की इस जड़ी के लिए चीन बैचैन

उत्तराखंड की इस जड़ी के लिए चीन बैचैन

देवभूमि उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में बेशुमार बेशकीमती जड़ी बूटियां का भंडार है. जिसका दोहन अब तेजी से होने लगा है. वहीं हिमालयन वियाग्रा के नाम से मशहूर कीड़ा जड़ी  की काफी मांग है. इसे कई बीमारियों में रामबाण माना जाता है. इस कीड़ा जड़ी पर ड्रैगन की नजर बनी हुई है. ड्रैगन इस जड़ी बूटी को हासिल करने के लिए भारतीय सीमाओं में घुसपैठ तक करने लगा है. दरअसल, कीड़ा जड़ी की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत बेहद ज्यादा है और चीन में ही इसकी सबसे ज्यादा डिमांड भी है.

चीन अपनी विस्तारवादी नीति और प्राकृतिक संपदाओं के दोहन को लेकर दुनिया भर में आलोचना झेलता रहा है. लेकिन इस बार बात एक ऐसी बहुमूल्य जड़ी की है, जिसके लिए उसने भारत में घुसपैठ करने तक की हिमाकत कर दी है. इंडो-पेसिफिक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशन यानी IPCSC की एक रिपोर्ट (IPCSC report on Chinese intrusion) के अनुसार चीन के सैनिकों का हाल ही में अरुणाचल के तवांग में घुसपैठ करने का कारण हिमालयन गोल्ड को चुराना भी था. इस रिपोर्ट ने उत्तराखंड के उन पहाड़ी क्षेत्रों के लिए चिंताएं बढ़ा दी हैं, जहां ये जड़ी बहुतायत मात्रा में मौजूद है.

चीनी घुसपैठ का खुलासा:चीन के सैनिकों की भारत में घुसपैठ की कोशिशें करना कोई नई बात नहीं है. माना जाता है कि चीन अपनी विस्तारवादी नीति और भारत को उकसाने के इरादे से ऐसी हिमाकत करता है. लेकिन इस बार एक रिपोर्ट ने सभी को चौंका कर रख दिया है. इंडो-पेसिफिक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक कम्युनिकेशन की रिपोर्ट ने अरुणाचल में चीनी घुसपैठ के पीछे का कारण कीड़ा जड़ी को बताया है. एक ऐसी जड़ी जो बेशकीमती है, और चीन में इसकी भारी डिमांड है. हैरानी की बात यह है कि हिमालयन गोल्ड के नाम से जानी जाने वाली ये जड़ी दक्षिण और पश्चिमी चीन के साथ उत्तराखंड में भी पाई जाती है. सभी जानते हैं कि उत्तराखंड का एक बड़ा भूभाग नेपाल और चीन से लगा हुआ है और ऐसे ही कुछ हिमालयी क्षेत्रों में कीड़ा जड़ी का भंडार भी है.

उत्तराखंड के सीमांत जिलों में पाई जाती है कीड़ा जड़ी

कीड़ा जड़ी उत्तराखंड में उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत और चमोली जनपदों में उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाई जाती है. चिंता की बात यह है कि पिथौरागढ़ और चमोली दोनों ही जिले चीन से अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं. लिहाजा इन दोनों जिलों में चीनी सैनिकों की घुसपैठ की संभावनाएं बनी रहती हैं. चमोली के बाड़ाहोती में तो चीन के सैनिक कई बार घुसपैठ करने की कोशिश कर चुके हैं. उत्तराखंड का करीब 625 किलोमीटर का हिस्सा अंतरराष्ट्रीय सीमा से जुड़ा है. जिसमें करीब 350 किलोमीटर का हिस्सा अकेले चीन की सीमा से लगा हुआ है. 275 किलोमीटर क्षेत्र नेपाल की सीमा से जुड़ा है.

नेपाल से होती है तस्करी

खास बात यह है कि न केवल चीन से लगे हुए हिस्से पर चीनी सेना की घुसपैठ कीड़ा जड़ी को लेकर हो सकती है, बल्कि नेपाल से भी भारी मात्रा में इसकी तस्करी की खबरें सामने आती रहती हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो उत्तराखंड के उच्च हिमालय में मौजूद यह बेशकीमती संपदा चीन के निशाने पर हो सकती है और उत्तराखंड के इन पहाड़ी क्षेत्रों से चीन कीड़ा जड़ी को चुराने की कोशिश कर सकता है. कीड़ा जड़ी को कई नामों से जाना जाता है, अंग्रेजी में इसे कैटरपिलर फंगस (Caterpillar fungus) कहते हैं तो नेपाल और चीन में इसे यार्सागुंबा के नाम से जाना जाता है. यही नहीं इसे भारत में कीड़ा जड़ी के साथ-साथ हिमालयन गोल्ड और हिमालयन वियाग्रा के नाम से भी पुकारा जाता है.

कीड़ा जड़ी की लंबाई

कीड़ा जड़ी उच्च हिमालय क्षेत्र में करीब 3500 मीटर से लेकर 5000 मीटर की ऊंचाई तक पर मिलती है. इसकी लंबाई करीब 2 इंच तक होती है और यह स्वाद में मीठी होती है. पश्चिमी और दक्षिणी चीन के साथ उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली बागेश्वर, चंपावत और पिथौरागढ़ के उच्च हिमालयी क्षेत्र में इसकी मौजूदगी मिलती है. यह आधा कीड़ा और आधा जड़ी के रूप में होता है. इसलिए इसे कीड़ा जड़ी कहते हैं. इस कीड़े की उम्र करीब 6 महीने की होती है जिस पर फंगस लगने के बाद जमीन के नीचे दम तोड़ देता है. उधर फंगस कीड़े के मुंह से निकलकर जमीन के बाहर बढ़ती है. इसी हिस्से को देखकर लोग इसे बाहर निकालते हैं. कीड़ा जड़ी में मौजूद प्रचुर मात्रा में प्रोटीन और कॉपर जैसे खनिज इसे कई बीमारियों के लिए मेडिसिनल रूप में उपयोगी बनाते हैं. इसके अलावा यौन शक्ति बढ़ाने और रोग वर्धक क्षमता बढ़ाने के लिए भी इसका महत्व माना जाता है. इन्हीं सभी खूबियों के कारण चीन को इसकी तलाश होती है और चीन में इसकी भारी डिमांड भी है.

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