पंतनगर विश्वविद्यालय में 115वें कृषि कुम्भ का पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी एवं कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने किया शुभारम्भ

पंतनगर विश्वविद्यालय में 115वें कृषि कुम्भ का पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी एवं कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने किया शुभारम्भ

विश्वविद्यालय के 115वें अखिल भारतीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन मुख्य अतिथि के रूप में महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी द्वारा फीता काटकर किया गया।

इसके पश्चात कुलपति, डॉ. मनमोहन सिंह चौहान द्वारा भगत सिंह कोश्यारी को मेले में लगी उद्यान प्रदर्शनी तथा विश्वविद्यालय के महाविद्यालयों द्वारा लगायी गयी विभिन्न प्रदर्शनियों के स्टालों का अवलोकन कराया गया। मुख्य उद्घाटन समारोह गांधी हाल सभागार में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के साथ कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान; निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. जितेन्द्र क्वात्रा एवं निदेशक शोध डॉ. ए.एस. नैन मंचासीन थे।

भगत सिंह कोश्यारी ने बताया कि उनका संबंध पंतनगर विश्वविद्यालय की स्थापना से ही रहा है। देश की आजादी के बाद आधी से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा से नीचे थी और मध्यकाल में ऐसा समय भी आया था जिसमें खाने के लिए अमेरिका का पीएल 480 का सड़ा गेहूं उपयोग में लाया जाता था। विश्वविद्यालय की स्थापना के तीन-चार वर्षों बाद वैज्ञानिकों एवं किसान के अथक प्रयासों से विश्वविद्यालय में एक नई हरित क्रांति का जन्म हुआ जिसने भुखमरी को समाप्त किया। किसान एवं विज्ञान इन दोनों के सहयोग से आज हमारा देश खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर ही नहीं अपितु आज के समय में विभिन्न देशों में भी खाद्यान्न का निर्यात कर रहा है।

उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2047 तक हमारा देश विश्व का सबसे बड़ा खाद्यान्न भंडारण गृह होगा जो खाद्यान्न का इतना भंडारण कर लेगा कि किसान का एक भी दाना बर्बाद न होकर विश्व में खाद्यान्न की आवश्यकता की पूर्ति करेगा। प्रधानमंत्री ने वैज्ञानिक एवं किसानों के बल पर ही यह संकल्प लिया है। उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकां से आशा की कि अपनी सोच को दूरगामी रखकर नई-नई तकनीकों को विकसित करें, जिससे किसानों का पलायन रोका जा सके।

जीआई टैगिंग के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है जिससे किसानों को उचित मूल्य प्राप्त हो सके। उन्होंने वैज्ञानिकों को ऋषि की संज्ञा देते हुए कहा कि ऋषि अर्थात् वैज्ञानिक के बिना कृषि संभव नहीं है। विश्वविद्यालय ने कृषि के साथ-साथ पशुधन, मत्स्य एवं कुक्कुट आदि के क्षेत्रों में संयुक्त रूप से महारत हासिल की है।

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय का बीज, पंतनगर बीज का नाम देश में विख्यात है, जिसको किसान अधिक संख्या में खरीदने हेतु इस मेले में आते है। उन्होंने कहा कि किसान केवल मेहनत कर सकता है परन्तु वैज्ञानिक नई-नई तकनीकों का विकास कर किसानों के मध्य पहुंचाकर उनकी आय में बढ़ोत्तरी करा सकते है। उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती की दिशा में कार्य करने पर जोर दिया। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को शिक्षण कार्य से ऊपर भी सोच रखनी पड़ेगी जिससे विश्वविद्यालय को विश्वविख्यात बनाया जा सके।

कार्यक्रम में कुलपति डॉ. मनमोहन सिंह चौहान ने स्वागत करते हुए उनकी उपस्थिति को सौभाग्यशाली बताया। उन्होंने कहा कि आप जमीन से जुड़े हुए और किसानों के प्रति बहुत लगाव रखते है तथा सदैव ही अच्छी सलाह देते है साथ ही विश्वविद्यालय के प्रति सकारात्मक सोच रखते है एवं वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित भी करते है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय अपनी स्थापना के बाद से ही किसानों को नई-नई प्रजातियों के बीज उपलब्ध करा रहा, जिससे किसान लाभांवित हो रहें है।

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों को 540 से ज्यादा उन्नत प्रजातियों के बीज उपलब्ध करा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा दलहन की सात प्रजातियां एवं दो अन्य प्रजातियां विकसित की है, जो किसानों तक पहुंचाई जा रही है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा नई-नई तकनीकों की जानकारी गोष्ठी एवं प्रशिक्षण के माध्यम से पहाड़ के दूर-दराज के किसानों तक पहुंचाया जा रहा है जिससे किसान उन तकनीकों को अपनाकर अपनी आय में वृद्धि कर रहे है। आज के समय में किसानां की ज्यादातर मांग विश्वविद्यालय का पंतनगर बीज है, जिसका किसान उपयोग कर अधिक उत्पादन प्राप्त कर रहा है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय के 114वें किसान मेले में लगभग एक करोड़ के बीज का विक्रय किया गया था।

उद्घाटन सत्र के प्रारम्भ में निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. जितेन्द्र क्वात्रा ने सभी आगन्तुकों का स्वागत किया एवं मेले के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि किसान मेले में लगभग 375 बड़े एवं छोटे स्टाल लगाये गये है। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डॉ. ए.एस. नैन ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों द्वारा विभिन्न कृषि साहित्यों का विमोचन किया गया तथा उत्तराखंड के विभिन्न जिलों के कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से चयनित 9 कृषकों को सम्मानित किया गया। गांधी हाल में कुलसचिव, निदेशक गण, अधिष्ठाता गण, संकाय सदस्य, किसान, विद्यार्थी, वैज्ञानिक, शिक्षक, अधिकारी, विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधि एवं अन्य आगंतुक उपस्थित थे। मेले में उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों के साथ-साथ अन्य प्रदेशों तथा नेपाल के किसान भी उपस्थित थे।

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