मुख्यमंत्री आवास में उच्चाधिकारियों के साथ जिलाधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक कर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अहम निर्देश दिए हैं। किसानों, ट्रक ड्राइवरों और कोरोना से प्रभावित अन्य लोगों के हित में कई फैसले लिए गए हैं। सीएम ने कोविड-19 के बचाव एवं राहत कार्यों की समीक्षा भी की।
लॉकडाउन के चलते रिश्तेदारी या किसी अन्य वजहों से उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में फंसे लोगों के लिए अच्छी खबर है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निर्देश दिए हैं कि अलग-अलग कारणों की वजह से फंसे लोगों के स्वास्थ्य की जांच के बाद ग्रीन कैटेगिरी के जिलों में जाने की इजाजत दी जाए। कोरोना संकट की समीक्षा के लिए सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस से हुई बैठक के दौरान सीएम ने कई अहम निर्देश दिए।
राज्य के बाहर से आए 14 दिन पूरे तो जा सकते हैं घर
सीएम ने यह भी कहा कि राज्य के बाहर से आए ऐसे लोग जो क्वारंटीन में 14 दिन रह लिए हैं, स्वास्थ्य की जांच करने के बाद उन्हें भी घर भेज दिया जाए। सीएम ने किसानों, आम आदमी की समस्याओं, विवाह के आयोजन, उद्योगों समेत तमाम विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि अपने-अपने जिले की परिस्थिति के हिसाब से सभी जिलाधिकारी आम आदमी की समस्याएं दूर करने में मानवीय और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाएं।
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किसानों के हित में फैसला
उन्होंने कहा कि आम और लीची के मौसम को देखते हुए किसानों के हित में फैसले लिए जाएं और इसे खरीदने वाले ठेकेदारों को जरूरी चिकित्सा जांच के बाद आने-जाने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि मटर की खेती करने वाले किसानों के हित में फ्रोजन मटर की प्रोसेसिंग करने वाले उद्योगों को भी प्रोत्साहित किया जाए। इसके साथ ही सीएम ने जिलाधिकारियों से कहा कि मुख्यमंत्री राहत कोष में योगदान के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रोत्साहित करें।
सीएम रावत ने आगे कहा कि शादी विवाह में दूल्हा और दुलहन दोनों के पक्षों की व्यावहारिकता देखें। उन्होंने कहा कि विवाह के लिए केंद्र सरकार के सामाजिक दूरी व अन्य निर्देशों का अनुपालन करते हुए अनुमति प्रदान की जाए।
रिवर्स माइग्रेशन पर विशेष फोकस
मुख्यमंत्री ने गर्मी और सर्दी के मौसम में प्रदेश के सीमांत जनपदों उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़ में माइग्रेट होने वाले लोगों के आवागमन, पशुओं को चारा-पानी, गर्मी के दृष्टिगत पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि लॉकडाउन के कारण प्रदेश में हजारों लोगों ने रिवर्स माइग्रेशन किया है, लॉकडाउन के बाद भी इनकी संख्या और बढ़ सकती है, इसके लिए एक प्रोफॉर्मा तैयार किया गया है जिसमें उनकी दक्षता आदि का पूरा विवरण तैयार किया जाना है। इसके लिए 30 हजार आवेदन भेजे जा चुके हैं। यह प्रक्रिया भविष्य की योजना तैयार करने में मददगार हो सकेगी। जिलाधिकारी अपने जनपदों में इसका भी ध्यान रखें।
मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों से जनपद में मेडिकल स्टाफ की तैनाती के साथ ही उनके प्रशिक्षण पर ध्यान देने को कहा ताकि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के निर्देशों के अनुरूप कृषि और उससे संबंधित कार्यों को सुचारू रूप से संचालन की व्यवस्था की जाए। माइग्रेट लेबरों के हित में उद्योगों से समन्वय कर उनकी आवश्यकता के दृष्टिगत उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाए।
उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि माइग्रेट कैम्पों में नियमित रूप से हेल्थ चेकिंग व उनके मनोबल को बढ़ाने के भी प्रयास किए जाएं। उन्होंने सभी जिलाधिकारियों से कहा कि कोविड-19 के खतरे को देखते हुए वन विभाग के जिन कर्मचारियों की तैनाती की गई है, उन्हें वनों में आग से बचाव आदि कार्यों के लिए कार्यमुक्त करें। उनके स्थान पर पीआरडी स्वयंसेवकों की तैनाती की जाए।
उन्होंने निर्देश दिए कि आवश्यक सामान लेकर जाने वाले ट्रक ड्राइवरों को 14 दिन के लिए क्वारंटीन नहीं किया जाएगा। इस दौरान प्रमुख सचिव उद्योग मनीषा पंवार, सचिव स्वास्थ्य नितेश झा, सचिव वित्त अमित नेगी, सचिव शहरी विकास शैलेश बगोली, सचिव पेयजल अरविंद ह्यांकी, सचिव कृषि आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव खाद्य सुशील कुमार एवं पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी ने व्यवस्थाओं पर जिलाधिकारियों से चर्चा की।
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