हुनर ऐसा, आप भी कहेंगे वाह! शहर से गांव आकर किस्मत बदलने वाले आज के अर्जुन की कहानी

हुनर ऐसा, आप भी कहेंगे वाह! शहर से गांव आकर किस्मत बदलने वाले आज के अर्जुन की कहानी

शहरों में दिन-रात एक कर कंपनियों में काम करने वाले बहुत से युवा ऐसे हैं, जो जितनी मेहनत करते हैं, उस हिसाब से उन्हें मेहनताना नहीं मिलता। फिर भी गांवों में कोई रुकना नहीं चाहता है। पढ़िए उत्तराखंड के एक युवा की कहानी जो शहर से गांव लौट आया और आगे जो किया वो पूरा प्रदेश देख रहा है…

हाथों का हुनर ऐसा कि देखने वाला देखता रह जाए। उत्तराखंड के नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर क्षेत्र के धारी तहसील स्थित चहोटा गांव के अर्जुन सिंह बिष्ट स्वरोजगार के साथ ही एक नेक काम कर रहे हैं। हस्तशिल्प क्षेत्र में वह स्वरोजगार करते हैं। उन्होंने 5-6 साल बाहर नौकरी की। वहां उन्होंने पाया कि प्राइवेट क्षेत्र में काम ज्यादा करना पड़ता था और उस हिसाब से पैसा नहीं मिलता है। ऐसे में उन्होंने वापस उत्तराखंड लौटने का प्लान बनाया।

गांव आकर उन्होंने कुछ अलग करने के बारे में सोचा। हिल-मेल से बातचीत में अर्जुन ने कहा कि यहां मेरी नजर पड़ी कि चिड़िया तेजी से विलुप्त हो रही हैं। पहले घर ऐसे बनते थे कि चिड़िया अपने घर बना लेती थीं पर अब लिंटर पड़ रहे हैं तो चिड़िया के घोसला लगाने की जगह नहीं मिल रही है। ऐसे में मैंने बर्ड हाउस बनाना शुरू किया। चिड़िया भी हमारे बर्ड हाउस में अपना ठिकाना बनाने लगीं।

कुछ गौरेया संगठन और पर्यटन विभाग ने मदद की। अब हम डेकोरेटिव आइटम भी बना रहे हैं। इससे स्वरोजगार तो हो ही रहा है। इससे कुछ और युवाओं को रोजगार मिल जाता है। अभी कोरोना संकट है लेकिन जून के महीने में पर्यटक घूमने के लिए आते हैं तो 6-7 युवाओं को काम मिल जाता है।

3 साल से अर्जुन हुनर का यह काम कर रहे हैं। अर्जुन को बचपन से ही पेंटिंग का शौक था और उन्होंने कुछ काम सीखा भी। स्प्रे पेंट से उनके सामान की खूबसूरती बढ़ जाती है। हैंडीक्राफ्ट की चीजें वह अपने दिमाग से बनाते हैं।

अर्जुन को पहले एक आइटम बनाने में हफ्ते लग जाते थे पर अब रोज 8-10 पीस बना लेते हैं। वह कहते हैं कि हमारे पास 24 घंटे होते हैं, तो यह हम पर होता है कि उसका इस्तेमाल कैसे करते हैं। जितना हाथ सेट होगा, हम उतना ही कमाएंगे। मैं रात में 11 बजे तक काम करता हूं।

वह बताते हैं कि पुरानी आलमारियां जैसी चीजें भी ठीक करते हैं। इस तरह से पेंटिंग से वह करीब 25 हजार रुपये हर महीने कमा लेते हैं। अब हैंडीक्राफ्ट के सामानों को ऑनलाइन बेचने की भी तैयारी है। उन्होंने बताया कि पंजीकरण हो गया है, जल्द ही देशभर के लोगों को मेरे सामान मिलने लगेंगे।

अभी उत्तराखंड में 4-5 स्टॉल लगा रहे हैं। उनके पास मौजूद बर्ड हाउस की कीमत 150 रुपये से शुरू होकर 800 तक है। ट्री हाउस ज्यादा समय लेते हैं और उसकी कीमत 250 से लेकर 2500 रुपये तक होती है। इसमें वह पहले प्लाई लगाए थे लेकिन वह जल्दी खराब होते थे तो बाद में लकड़ी इस्तेमाल की जो अब 8-10 साल तक चल सकते हैं। इससे ग्राहक भी खुश हैं और वह भी।

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