खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा ग्रामोद्योग विकास योजना के अन्तर्गत भारतीय परम्परागत उद्योगों के कामगारों को समृद्ध बनाया जा रहा है जिससे उनकी आय में वृद्धि हो और उनके जीवन स्तर में व्यापक सुधार हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस आत्मनिर्भर भारत के विजन पर काम कर रहे हैं उसका मंत्र है – हर हाथ को काम, और काम का उचित दाम। इसी मंत्र के साथ आयोग देश के गांव-कस्बों में योजनाओं को लागू कर रहा है।
खादी और ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार के अध्यक्ष मनोज कुमार ने ग्राम लब्बरहेडी, मंगलौर, लजला हरिद्वार में ग्रामोद्योग विकास योजना के अर्न्तगत उत्तराखंड राज्य में परम्परागत उद्योगों के कामगार और लाभार्थियों को मशीनरी एवं टूलकिट का वितरण किया। इस कार्यक्रम में मौनपालन उद्योग के 30 मधुमक्खी पालाकों को 300 मधुमक्खी बी-बॉक्स एवं टूलकिट, 62 कुम्हारों को विद्युत चलित चाक, 50 चर्मशिल्पियों को फुटवियर रिपेयरिंग टूलकिट एवं 20 प्लम्बरों को प्लम्बिरिंग उपकरण दिये गये।
इस अवसर पर खादी और ग्रामोद्योग के अध्यक्ष मनोज कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से गांव-गांव तक रोजगार पहुंचाने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग लगातार प्रयत्नशील है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा ग्रामोद्योग विकास योजना के अन्तर्गत भारतीय परम्परागत उद्योगों के कामगारों को टूल एवं मशीनरी का वितरण किया जा रहा है जिससे परम्परागत उद्योगों के कामगारों की आया में वृद्धि से उनके जीवन स्तर में व्यापक सुधार के साथ-साथ भारतीय परम्परागत उद्योगों के संरक्षण एवं संवर्धन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान की जा रही है।
सभा को संबोधित करते हुए मनोज कुमार ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस आत्मनिर्भर भारत के विजन पर काम कर रहे हैं उसका मंत्र है – हर हाथ को काम, और काम का उचित दाम। इसी मंत्र के साथ आयोग देश के गांव-कस्बों में योजनाओं को लागू कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वार स्वीट क्रांति के आह्वान को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा राष्टीय स्तर पर हनी मिशन योजना का संचालन किया जा रहा है।
इस योजना के अन्तर्गत अभी तक उत्तराखंड राज्य में 742 किसान मौनपालकों को 7,420 बी-बॉक्सों एवं टूल किट का वितरण किया गया है, जिसमें 499 अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लाभार्थियों को 4,990 बी-बॉक्सों एवं टूल किट का वितरण किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि मधुमक्खी पालन से खेती की पैदावार बढ़ने के साथ-साथ किसानों की आया में भी वृद्धि हो रही है। इसके अतिरिक्त वन क्षेत्र से लगे गांवों में मधुमक्खियों के बॉक्सों के जरिये हाथियों को मानव बस्तियों एवं किसानों के खेतों में आने से रोका जा रहा है, जिससे हाथियों द्वारा मानव हमलों एवं किसानों की खेती को नुकसान की घटनाओं में कमी देखी गई। उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट रे-हब के अंतर्गत ऐसा ही एक प्रयास खादी और ग्रामोद्योग आयोग द्वारा उत्तराखंड राज्य के ग्राम चौसला, फॉरेस्ट रेंज फतेहपुर, हल्द्वानी में संचालित किया जा रहा है।
मनोज कुमार ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में ग्रामोद्योग विकास योजनाओं के अन्तर्गत अभी तक कुम्हार बन्धुओं को 262 विद्युत चलित चाको का वितरण किया गया है। इसके अतिरिक्त जूता-चप्पलों की मरम्मत के लिए 80 चर्मशिल्पियों को फुटवियर रिपेरिंग किट तथा 20 प्लम्बरों को प्लाम्बिरिंग किट वितरित किये गये हैं। इस अवसर पर उनके द्वारा यह भी बताया गया कि खादी और ग्रामोद्योग द्वारा बेरोजगार युवा एवं युवतियों के स्वरोजगार के लिए राष्टीय स्तर पर प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। जिसमें छोटे उद्योग की स्थापना के लिए 50 लाख तक की परियोजना लागत पर अधिकतम 35 प्रतिशत तक का अनुदान भारत सरकार द्वारा दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री के संकल्पित इरादों ने 2014 के बाद खादी सेक्टर में नई जान फूंकने का काम किया है। खादी अब लोकल से ग्लोबल हो चुकी है। इसी का परिणाम है कि वित्त वर्ष 2021-22 में खादी ग्रामोद्योग की बिक्री का आंकड़ा 1,15,000 करोड़ को पार कर गया। आजादी के बाद यह पहली बार हुआ।
मनोज कुमार ने कहा कि खादी की बिक्री में सुधार के साथ-साथ प्रधानमंत्री की खादी आर्टिज़न की आर्थिक स्थिति में सुधार के समर्पित विजन को पूरा करने के लिए आयोग ने खादी का काम करने वाले सभी कारीगरों की पारिश्रमिक में 1 अप्रैल 2023 से करीब एक साथ 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है, जो कि अपने आप में ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 के बाद से अब तक खादी कारीगरों के पारिश्रमिक में 150 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि की जा चुकी है। इस कार्यक्रम में खादी और ग्रामोद्योग आयोग, भारत सरकार के अधिकारी और कर्मचारीगण मौजूद थे।
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