लेख़क- संजय शेफर्ड आजकल गर्मी का मौसम है, तो लोग ठंडे स्थानों की तरफ भाग रहे हैं। हर कोई पहाड़ पर जाने के लिए बेताब दिख रहा है, तो सोचा क्यों न अपने लिए भी एक ऐसी जगह तलाश की जाए, जो पर्यटन के साथ-साथ
लेख़क- संजय शेफर्ड
आजकल गर्मी का मौसम है, तो लोग ठंडे स्थानों की तरफ भाग रहे हैं। हर कोई पहाड़ पर जाने के लिए बेताब दिख रहा है, तो सोचा क्यों न अपने लिए भी एक ऐसी जगह तलाश की जाए, जो पर्यटन के साथ-साथ प्राकृतिक वातावरण के लिहाज से भी अच्छी हो। यह सोचकर हम निकल पड़े खिरसू। खिरसू उत्तराखंड का एक गांव है, जहां से बर्फ से लदे पहाड़ और केन्द्रीय हिमालय की तमाम ऊंची-ऊंची चोटियां दिखाई देती हैं।
ज्यादातर लोग यहां के मौसम और प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद लेने के लिए आते हैं। यहां से हिमालय का सुंदर और मनमोहक नजारा देखा जा सकता है। एक तरह से देखा जाए, तो पूरा खिरसू देवदार और ओक के पेड़ों के बीच समाया हुआ है। साथ ही साथ यहां पर बहुत सारे सेब के बगीचे भी हैं। आप जब इनके बीच से होकर गुजरते हैं, तो असीम शांति के बीच चिडिय़ों की चहचहाहट सुनाई देती है।
यह जगह कभी लैंसडाउन की याद दिलाती है, पर यह उसके मुकाबले काफी ठंडी और शांत है। खिरसू में विभिन्न प्रकार के पक्षियों को देखने के साथ-साथ जैव विविधता का मजा भी ले सकते हैं। बताया जाता है कि खिरसू को आजादी के बाद ही पर्यटन स्थल घोषित कर दिया गया था, पर यह जगह पर्यटकों के बीच ज्यादा लोकप्रिय नहीं रही।
हां, शांत, सुरम्य और प्रदूषण मुक्त वातावरण के कारण हाल के कुछ वर्षों से यहां सैलानियों की संख्या बढ़ी है। वर्तमान में यह पौड़ी गढ़वाल का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। घंडियाल देवता का प्राचीन मंदिर यहां का एक लोकप्रिय स्थल है। जहां हर साल बैसाखी के बाद तीसरे सोमवार को घंडियाल मेले का आयोजन होता है। घंडियाल देवता भगवान बद्रीनाथ के क्षेत्रपाल हैं और उत्तराखंड में इनकी काफी मान्यता है। घंडियाल देवता की कहानियां गढ़वाल क्षेत्र की लोक-कथाओं में काफी प्रसिद्ध हैं तथा इन्हें एक शक्तिशाली देवता माना जाता है। गढ़वाल क्षेत्र में इनके कई मंदिर हैं। खिरसू में रहते हुए कंडोलिया मंदिर भी जा सकते हैं, जो कि भगवान शिव को समर्पित है।
यह धार्मिक स्थान महान हिमालय की चोटियों और गंगवारस्यून घाटी का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। मान्यता है कि कंडोलिया देवता गांव के ही एक व्यक्ति के स्वप्न में आए और आदेशित किया कि मेरा स्थान किसी उच्च स्थान पर बनाया जाए। इसके बाद कंडोलिया देवता को पौड़ी शहर से ऊपर स्थित पहाड़ी पर स्थापित किया गया। स्थापना के बाद से ही कंडोलिया मंदिर न्याय देवता के रूप में प्रसिद्ध हो गए । बद्रीनाथ रोड पर श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच अलकनंदा नदी के तट पर उत्तराखंड की संरक्षक व पालक धारी देवी का मंदिर स्थित है।
ऐसा बताया जाता है कि धारी देवी की मूर्ति का ऊपरी आधा भाग अलकनंदा नदी में बहकर यहां आ गया था, तब से यहां पर उनकी मूर्ति की पूजा की जाती है। मूर्ति का निचला आधा हिस्सा कालीमठ में स्थित है, जहां माता काली के रूप में उनकी आराधना की जाती है। माता धारी देवी को दक्षिणी काली भी कहा जाता है। इस जगह पर पर्यटक विश्रामगृह और वन विश्रामगृह में ठहरने की व्यवस्था उपलब्ध है। आप चाहें, तो गांव में भी ठहर सकते हैं। खिरसू ग्रामीण पर्यटन का एक अनोखा उदाहरण है।
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