उत्तराखंड की पहाड़ियों पर रेल को दौड़ते देखने का सपना धरातल पर नजर आने लगा है। योग नगरी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन की दिलकश तस्वीरों ने पूरी दुनिया का ध्यान इस प्रोजेक्ट की ओर खींचा है। उत्तराखंड में कनेक्टीविटी के लिहाज से मील का पत्थर साबित होने जा रहे इस ड्रीम प्रोजेक्ट की क्या है रफ्तार? क्या निर्धारित समयसीमा में पूरा हो सकेगा काम? कितनी बड़ी चुनौती है पहाड़ों पर रेल पहुंचाना? भूकंप से कितनी सुरक्षित होगी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन? परियोजना में किस थीम पर बनेंगे स्टेशन और अर्थव्यवस्था पर क्या होगा इस प्रोजेक्ट का असर…क्यों इस परियोजना को कहा जा रहा भारत में इंजीनियरिंग का शाहकार…एक रिपोर्ट।
योग नगरी ऋषिकेश…। ये उस सपने का पहला पड़ाव है, जिसे दशकों पहले देखा गया था। ये सपना था उत्तराखंड की पहाड़ियों में रेल को गुजरते देखना। भले ही इस सपने को साकार करने की पहल 2010-11 में हुई हो लेकिन इसे जमीन पर उतारने के गंभीर प्रयास साल 2016 में शुरू हुए। उत्तराखंड से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगाव जगजाहिर है, यही वजह है कि उन्होंने ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना में दिलचस्पी दिखाई और यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट बन गई। देश में अपनी तरह के इस अनूठे प्रोजेक्ट की खासियत यह है कि उत्तराखंड में कनेक्टीविटी का मानक तो बनेगी ही, राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाई देने वाली साबित होगी।
ऋषिकेश से कर्णप्रयाग के बीच ब्राड गेज रेलवे लाइन उत्तराखंड का सबसे अहम डेवलपमेंट प्रोजेक्ट है। इसके कई कारण हैं, यह आर्थिक तौर पर क्रांतिकारी कदम तो है ही, उत्तराखंड की विकास यात्रा का पहला सबसे अहम पड़ाव भी है। इस योजना का उद्देश्य उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों तक सुलभ पहुंच उपलब्ध कराना, नए ट्रेड सेंटरों को जोड़ना, पिछड़े इलाकों का विकास और इस क्षेत्र में रहने वाली आबादी को यातायात का बड़ा साधन मुहैया कराना है। उत्तराखंड में यात्राकाल अमूमन लंबा होता है, ऐसे में यह प्रोजेक्ट सफर का समय और लागत दोनों घटाएगा। यह रेल लाइन पांच जिलों देहरादून, टिहरी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और चमोली के ऋषिकेश, देवप्रयाग, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, गौचर और कर्णप्रयाग जैसे अहम नगरों को जोड़ेगी। यह इन इलाकों में औद्योगिक विकास और लघु उद्योगों के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
रेल विकास निगम लिमिटेड यानी आरवीएनएल इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के साथ वर्ष 2011 मे जुड़ा। पूर्व के सर्वेक्षणों के आधार पर रेल मंत्रालय ने वर्ष 2010-11 में इसके लिए 4295.3 करोड़ रुपये का बजट स्वीकार किया। लेकिन इस परियोजना को रफ्तार साल 2016 में मिली जब इसके लिए 16216.31 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया। इसके बाद से इस सपने को जमीन देने पर तेजी से काम चल रहा है। प्रोजेक्ट के लिए जमीन के अधिग्रहण का काम 100 प्रतिशत हो चुका है।
आरवीएनएल के मुताबिक, फाइनल लोकेशन सर्वे का काम पूरा हो चुका है। पूरे प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिगृहीत की जा चुकी है। वन विभाग से भी मंजूरी मिल चुकी है। फाइनल एलाइनमेंट का काम कर लिया गया है। रेलवे की जमीन का सीमांकन धरातल पर नजर आने लगा है। खास बात यह है कि जियो-टेक्नीकल जांच, समूचे प्रोजेक्ट में अप्रोच रोड का काम पूरा हो चुका है। ऋषिकेश में चंद्रभागा नदी, लचमोली और श्रीनगर में अलकनंदा पर तीन महत्वपूर्ण या बड़े रेल पुलों का काम पूरी तेजी के साथ चल रहा है। छह प्रवेश मार्कों का काम लगभग पूरा हो चुका है, जिससे मुख्य सुरंग के कांट्रेक्टरों को मदद मिलेगी। वीरभद्र स्टेशन और योग नगरी ऋषिकेश स्टेशन (पीके-1ए) के बीच 5.7 किलोमीटर के पहले ब्लॉक सेक्शन को मार्च 2020 में शुरू किया जा चुका है। ऋषिकेश में नेशनल हाईवे अथवा स्टेट हाईवे पर एक रेल ओवर ब्रिज और एक रेल अंडर ब्रिज बन चुका है।
इस पूरे रूट पर बनने वाली 17 सुरंगों को 10 पैकेज में बांटा गया है। सभी पैकेज के लिए डीडीएंडपीएमसी कांट्रेक्ट जारी कर दिए गए हैं। सभी पैकेज के डिजाइन का काम पूरा हो चुका है। सात टनल पैकेज के निर्माण का काम दिया जा चुका है, वहीं शेष बचे तीन टनल पैकेज का काम दिसंबर, 2020 तक आवंटित कर दिया जाएगा। योजना के अनुसार, पूरे सेक्शन में लगभग एक साथ ही काम शुरू किया जाएगा और इसे दिसंबर, 2024 तक पूरा कर लिया जाएगा।
जहां तक कोरोना महामारी से काम पर पड़े असर की बात है तो आरवीएनएल के अनुसार, 24 मार्च 2020 से तीन मई, 2020 तक पूर्ण कालिक लॉकडाउन के दौरान काम प्रभावित जरूर हुआ। लेकिन लॉकडाउन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद साइटों पर तेजी से काम शुरू हो गया है। राज्य सरकार की मदद से आरवीएनएल सभी साइटों पर 90 प्रतिशत की दक्षता स्तर के साथ काम कर रहा है।
उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाएं आना आम बात है। यह प्रोजेक्ट जिस क्षेत्र में आकार ले रहा है, वह भूकंप के खतरे के लिहाज से सेसमिक जोन चार में आता है। ऐसे में सबसे बड़ी चिंता इस रेल लाइन की सुरक्षा को लेकर है, यह कितनी सुरक्षित है और भूकंप के खतरे को देखते हुए इसमें क्या ऐहतियात बरती गई है, इस पर आरवीएनएल ने खासा काम किया है। यह रेल लाइन जितने एरिया में बिछाई जा रही है, उसका 85 फीसदी हिस्सा सुरंगों में है। लैंड स्लाइड यानी भूस्खलन होने की स्थिति में रेल नेटवर्क पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
आरवीएनएल के इंजीनियर बताते हैं, जहां तक भूकंप के असर की बात है तो भूमिगत होने के चलते इसका असर भी तुलनात्मक रूप से काफी कम होगा। यहां तैयार की जा रही सभी सुरंगों पर प्राथमिक तौर पर एक सुरक्षा परत होगी। साथ ही इनमें वाटरप्रूफिंग की व्यवस्था होगी। दूसरे स्तर की प्रणाली इन्हें हर मौसम में बाधामुक्त बनाएगी। सुरंगों के मुहानों को खास तरीके से डिजाइन किया जाएगा। ये ट्रेन के सुरंग में प्रवेश करते समय पूरी तरह स्थिर होंगे ताकि सुरंग में हर समय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
यह परियोजना उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव डालने वाली साबित होगी। इससे उत्तराखंड में यात्रा करना सुगम और तेज हो जाएगा। नए टूरिस्ट और ट्रेड सेंटर खुलेंगे। पर्यटकों एवं यात्रियों की आवभगत के साथ-साथ यह उत्तराखंड के उत्पादों के लिए बेहतर बाजार तैयार करेगा। इस प्रोजेक्ट का शुरुआती असर नजर आने लगा है और इस रेललाइन के आसपास के इलाकों में रिवर्स माइग्रेशन की रफ्तार बढ़ी है। यही नहीं इस रेल लाइन को बिछाने के दौरान स्थानीय लोगों को काफी संख्या में रोजगार मिल रहा है। निर्माण साइटों पर बड़ी संख्या में दुकानें खुली हैं।
इस प्रोजेक्ट को क्लीन और ग्रीन परियोजना के तौर पर विकसित किया जा रहा है। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में सतत विकास की प्रक्रिया को शुरू करने की दिशा में यह प्रोजेक्ट एक बहुत बड़ा कदम है। प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान इस बात पर विशेष ध्यान रखा जा रहा है कि उत्तराखंड के संवेदनशील पर्यावरण पर इसका बहुत कम प्रतिकूल असर पड़े। यही नहीं प्रोजेक्ट के आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों और यातायात की असुविधा भी कम से कम हो।
आरवीएनएल के मुताबिक, यह पहाड़ों के लिहाज से एक बड़ा रेल प्रोजेक्ट है। यह भारत की बड़े इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट को बेहतरीन तरीके से धरातल पर उतारने की छवि को प्रतिस्थापित करने वाला साबित होगा, क्योंकि इस प्रोजेक्ट का एक बड़ा हिस्सा सुरंगों का है, इस लिहाज से यह प्रोजेक्ट और भी खास हो जाता है। इस परियोजना को क्रियान्वित करने के दौरान आईआईटी जैसे अकादमिक संस्थानों और इंडस्ट्री के बीच की दूरी को भी कम करने में मदद मिली है। राष्ट्र निर्माण के लिए युवा इंजीनियरों की एक पूरी फौज तैयार है, इनमें से कुछ भविष्य में इस क्षेत्र के बड़े नाम बनेंगे।
ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल लाइन
कुल लंबाई 125.20 किमी
स्टेशन 12
सुरंग 17
सुरंगों की कुल लंबाई 105.47 किमी
बचाव टनल 98.54 किमी
सबसे लंबी सुरंग 15.10 किमी
अहम पुलों की संख्या 16
पुलों की कुल लंबाई 2835 मीटर
सबसे ऊंचा पुल 50 मीटर
सबसे लंबा पुल 460 मीटर
परियोजना की लागत 16,216 करोड़ रुपये
1. क्लीन और ग्रीन स्टेशन की थीम पर काम
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन से सबसे बड़े स्टेशन योग नगरी ऋषिकेश को क्लीन और ग्रीन स्टेशन की धारणा के साथ तैयार किया गया है। यहां यात्रियों के लिए सभी तरह की सुविधाओं के साथ-साथ एक बड़ा हराभरा एरिया भी है। ब्लॉक सेक्शन में स्लोप का डिजाइन दिया गया है, जो इसे धूल से मुक्त परिसर बनाते हैं। इस क्षेत्र में पर्यावरण की संवेदनशीलता को देखते हुए सभी स्टेशनों को क्लीन और ग्रीन स्टेशन की तर्ज पर भी विकसित किया जाएगा। इस प्रोजेक्ट के लिए इनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट (ईआईए) प्लान तैयार किया गया और यह सुनिश्चित किया गया कि इसे पूरी तरह लागू किया जाए। डंप एरिया की बाकायदा पहचान की गई और इन्हें भी ग्रीन एरिया के तौर पर विकसित किया जाएगा।
2. एक और ड्रीम प्रोजेक्ट, चारधाम रेल मार्ग
उत्तराखंड में चारधाम और चारधाम यात्रा (गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ) को ब्राडगेज लाइन से जोड़ने की महत्वकांक्षी परियोजना की शुरुआत हो गई है। 327 किलोमीटर लंबे इस ड्रीम प्रोजेक्ट के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे किया जा चुका है। यह प्रोजेक्ट दो पैकेज में तैयार होगा। दोनों पैकेज की एलाइनमेंट सर्वे रिपोर्ट स्टेज-2 को कॉर्पोरेट कार्यालय को आगे की कार्रवाई के लिए भेजा जा चुका है। डोईवाला से गंगोत्री और देहरादून से उत्तरकाशी को रेल लाइन से जोड़ने की इस परियोजना पर 43 हजार करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है। इसमें 21 नए स्टेशन, 61 सुरंग, 59 पुल प्रस्तावित हैं। रेल लाइन का 279 किमी हिस्सा सुरंगों में होगा।
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सितंबर में घूमने का बना लीजिए प्लान, उत्तराखंड में खुल रहे ये दो मशहूर टूरिस्ट स्पॉट - Hill-Mail | हिल-मेल
August 31, 2020, 12:15 pm[…] पढ़ें, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन: देव… […]
REPLYमुख्य सचिव ओम प्रकाश का अधिकारियों को निर्देश, समय पर पूरे करें ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेललाइन के काम
September 3, 2020, 7:55 pm[…] […]
REPLYसाक्षरता में देश के अग्रणी राज्यों में अपना उत्तराखंड, देखिए किस राज्य में कितने पढ़े-लिखे - Hill-Mail |
September 8, 2020, 11:31 am[…] […]
REPLYManmeet Singh
September 16, 2020, 6:34 pmWaiting for this route to open so that passengers cold travel and if train from Leh Ladaakh to Chardham travelling through scenic routes just imagine hence waiting for dream to turn into reality soon.
REPLYPradeep Dimri
November 18, 2020, 1:41 amGreat
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