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गैरसैंण क्षेत्र में काश्तकारों की ओर से फसलों को वन्य जीवों द्वारा नुकसान पहुंचाने की शिकायत को देखते हुए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। जिसके लिए गैरसैंण ब्लॉक के आदिबदरी, खेती और थापली गांवों को मशरूम उत्पादन के मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
READ MOREगैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग साठ के दशक में पहली बार उठी थी। इस मांग को उठाने वाले कोई और नहीं, बल्कि पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली थे। यही वजह रही कि उत्तराखंड क्रांति दल ने उस दौर में गैरसैंण को गढ़वाली के नाम पर चंद्रनगर रखा था।
READ MOREआजकल गैरसैंण में विधान सभा का तीन दिन का सत्र चल रहा है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से गैरसैंण (भराड़ीसैंण) स्थित मुख्यमंत्री आवास में जनपद चमोली के विभिन्न पत्रकार संगठनों के प्रतिनिधियों, वरिष्ठ पत्रकारों के शिष्टमंडल ने शिष्टाचार भेंट की।
READ MOREउत्तराखंड की सियासी आबोहवा पिछले 48 घंटों में कई दिशाओं से बह चुकी है। कल उत्तराखंड बीजेपी अध्यक्ष के अटकलों पर विराम लगाने के बाद भी खींचतान में लगे नेता अटकलों को हवा दे रहे हैं। इस बीच, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत आज गैरसैंण पहुंचे हैं।
READ MOREउत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया के माध्यम से आज प्रदेश की जनता के समक्ष अपनी सरकार की प्राथमिकताओं को दोहराया। इसके साथ ही महिलाओं और गरीबों के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इसी दौरान वह अपने परिवार की एक घटना का जिक्र कर भावुक भी हो उठे।
READ MOREअलग राज्य बनाने की मांग तो पूरी हो गई पर पहाड़ की राजधानी पहाड़ में होने की वर्षों से लंबित मांग अधूरी थी। 20 साल हो रहे थे पर सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जनभावनाओं के अनुरूप गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की घोषणा की। इसके बाद यहां जश्न हुआ था। अब एक साल पूरे हो गए हैं।
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गैरसैंण क्षेत्र में काश्तकारों की ओर से फसलों को वन्य जीवों द्वारा नुकसान पहुंचाने की शिकायत को देखते हुए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। जिसके लिए गैरसैंण ब्लॉक के आदिबदरी, खेती और थापली गांवों को मशरूम उत्पादन के मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
READ MOREगैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की मांग साठ के दशक में पहली बार उठी थी। इस मांग को उठाने वाले कोई और नहीं, बल्कि पेशावर कांड के महानायक वीर चंद्र सिंह गढ़वाली थे। यही वजह रही कि उत्तराखंड क्रांति दल ने उस दौर में गैरसैंण को गढ़वाली के नाम पर चंद्रनगर रखा था।
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