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मेला हमारी संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने के साथ ही हमारी संस्कृति का भी संवर्धन करता है। पुरानी परंपराओं को निभाने और आगे बढ़ाने की ऊर्जा आने वाली पीढ़ी को मिलती रहनी चाहिए। पीढ़ी दर पीढ़ी लोक संस्कृति को आगे बढ़ाना हम सभी का कर्तव्य होना चाहिए।
READ MOREउत्तराखंड की संस्कृति और विरासत अपने आप में कई ऐसे पर्वों को भी समेटे हुई है, देवीधूरा चम्पावत अटूट आस्था व श्रद्धा का प्रतीक देवीधुरा का आसाड़ी कौतिक मेला आज भी धूमधाम से मनाया जाता है पवित्र पहाड़ों की गोद में स्थित माता बाराही मंदिर का अपना विशेष चमत्कारिक महत्व होने से यह क्षेत्र विशेष श्रद्धा व भक्ति का केन्द्र माना जाता है श्रद्धा व भक्ति के इस केन्द्र के चारों ओर निहारने पर प्रकृति के विहंगम छटाओं के दर्शन व हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओं की मनोरम वादियां दिखलाई देती हैं।
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मेला हमारी संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने के साथ ही हमारी संस्कृति का भी संवर्धन करता है। पुरानी परंपराओं को निभाने और आगे बढ़ाने की ऊर्जा आने वाली पीढ़ी को मिलती रहनी चाहिए। पीढ़ी दर पीढ़ी लोक संस्कृति को आगे बढ़ाना हम सभी का कर्तव्य होना चाहिए।
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