अंकिता भंडारी हत्याकांड में अधूरा है फैसला, सबूत नष्ट करने वालों पर नहीं हुई कोई कार्यवाही – गरिमा मेहरा दसौनी

अंकिता भंडारी हत्याकांड में अधूरा है फैसला, सबूत नष्ट करने वालों पर नहीं हुई कोई कार्यवाही – गरिमा मेहरा दसौनी

नई दिल्ली के एआईसीसी हैडक्वाटर इंदिरा भवन से उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने अंकिता भंडारी हत्याकांड में कोटद्वार कोर्ट के आए फैसले को अधूरा न्याय बताया।

महिला अपराध पर आयोजित प्रेस वार्ता को महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष अलका लांबा और उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दशौनी ने संयुक्त रूप से संबोधित किया। अलका लांबा ने बिहार समेत पूरे देश के महिला अपराधों के एनसीआरबी की रिपोर्ट के आधार पर आंकड़े राष्ट्रीय मीडिया के साथ साझा किए, महिला अपराध के श्रेत्र में नंबर एक के पायदान पर राजस्थान, दूसरे पर उत्तर प्रदेश और तीसरे पर मध्य प्रदेश है, तीनों ही राज्यों में डबल इंजन की सरकारें हैं।

प्रेस वार्ता में मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में कहा की कोटद्वार की कोर्ट के द्वारा सुनाया गया फैसले का स्वागत है, फैसले का पूरा सम्मान है क्योंकि न्यायालय के फैसले साक्ष्य और सबूतों के आधार पर होते हैं और जो तथ्य 2 साल 9 महीने में कोटद्वार कोर्ट के सामने प्रस्तुत किए गए उन तथ्यों के आधार पर कोर्ट का फैसला संतोषजनक है। परंतु उन सबूतों और साक्ष्यों का क्या जो हत्याकांड होते ही शुरुआत में ही नष्ट कर दिए गए।

गरिमा ने प्रेस वार्ता में बताया की पौड़ी जिले के छोटे से गांव डोभ श्रीकोट की रहने वाली 19 वर्षीय अंकिता भंडारी आंखों में सपने सजाए उत्तराखंड के शहर ऋषिकेश पहुंचती है जहां उसे वनांतरा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी मिलती है। वनांतरा रिसॉर्ट का मालिक भाजपा का दिग्गज नेता और पूर्व में राज्यमंत्री रहा विनोद आर्य है, जिसने आयुर्वेदिक दवा खाने की फैक्ट्री खोलने के नाम पर निशंक सरकार में भूमि लीज पर ली और दवा खाना खोलने के बजाय उसमें अवैध रूप से रिसोर्ट का निर्माण कर दिया। रिसोर्ट का काम उसका छोटा बेटा पुलकित आर्य देखा करता था।

17 सितंबर 2022 को अंकिता ने अपने दोस्त को व्हाट्सएप पर लिखा कि यह रिजॉर्ट बहुत ही गंदी जगह है और यहां देह व्यापार कराया जाता है। उसने लिखा कि मुझ पर भी किसी तथा कथित वीआईपी को एक्स्ट्रा सर्विस देने के लिए दबाव बनाया जा रहा है और ₹10,000 की पेशकश भी की जा रही है परंतु मैं इन लोगों के आगे झुकूंगी नहीं और 18 सितंबर 2022 को रहस्यमय तरीके से अंकिता भंडारी लापता हो जाती है। 19 सितंबर को अंकिता के पिता पटवारी के पास गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने जाते हैं लेकिन पटवारी रिपोर्ट दर्ज नहीं करता।

20 सितंबर को मामला रेवेन्यू पुलिस के पास आता है, 22 सितंबर को रेवेन्यू पुलिस से मामला रेगुलर पुलिस को ट्रांसफर होता है। 23 सितंबर को मुख्य आरोपी पुलकित आर्य और उसके दोस्त सहआरोपी अंकित गुप्ता और सौरभ भास्कर को गिरफ्तार कर लिया जाता है। 24 सितंबर को चीला नहर से अंकिता का शव बरामद होता है, लेकिन 24 तारीख से पहले ही 23 की रात को यमकेश्वर की स्थानीय विधायक रेनू बिष्ट वनांतरा रिजॉर्ट का वह हिस्सा जिसमें अंकिता रह रही थी उसे ध्वस्त कर देती है और एक वीडियो जारी करके कहती है कि यह आदेश उसको उसके संवेदनशील मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिए हैं और उस वीडियो में वह धामी जी का धन्यवाद भी ज्ञापित करती दिखाई पड़ रही है।

दसौनी ने कहा कि एक आम आदमी के लिए क्राइम स्पॉट या क्राइम सीन के साथ छेड़छाड़ करना जघन्य अपराध है लेकिन क्या उत्तराखंड के मुख्यमंत्री जिन्होंने अगले दिन 24 सितंबर को सुबह 9:00 बजे स्वयं के अधिकृत हैंडल से ट्वीट करके राज्य वासियों को यह जानकारी दी कि उन्होंने वनांतरा रिसॉर्ट जो कि अवैध रूप से निर्मित था उसका ध्वस्तिकरण करवा दिया है।

गरिमा ने सवाल किया कि क्या सीएम धामी और उनकी विधायक कानून से ऊपर है? दसौनी ने यह भी कहा कि वीआईपी को बचाने के लिए भाजपा ने साम दाम दंड भेद सब इस्तेमाल किया।

17 दिन के भीतर पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में वहां दो बार आगज़नी हो गई, अंकिता भंडारी का बिस्तर जिसे वह सोने के लिए इस्तेमाल करती थी वह स्विमिंग पूल में पड़ा हुआ मिला, अंकिता भंडारी के पोस्टमार्टम के दौरान एक भी महिला डॉक्टर को पांच डॉक्टरों की टीम में शामिल नहीं किया गया, गरिमा ने कहा कि पहले दिन से लगातार अंकिता भंडारी हत्याकांड को कमजोर करने का प्रयास किया गया। जनता के भारी दबाव और अंकिता के माता-पिता के आत्मदाह की धमकी के बावजूद राज्य सरकार ने सीबीआई जांच की कोशिश तक नहीं की और ना ही मामले को फास्ट ट्रैक में चलने का आवेदन किया।

गरिमा ने बताया कि इस दौरान अंकिता के पिता ने मुख्यमंत्री को कई पत्र लिखे। किसी पत्र में सरकारी वकील पर केस को कमजोर करने का आरोप लगाते हुए दूसरा वकील देने का निवेदन था, तो किसी पत्र में सीबीआई जांच न करने की सूरत में आत्महत्या करने की धमकी, तो किसी पत्र में अंकिता के पिता ने तथाकथित वीआईपी के सत्तारूढ़ दल से तार जुड़े होने की आशंका व्यक्त की। और तो और अंकिता के पिता ने तो उत्तराखंड भाजपा के बड़े नेता का नाम लिखकर यह कहा कि पूरी आशंका है कि वीआईपी आपके ही दल का सफेद पोष है।

गरिमा ने प्रेस वार्ता के दौरान भाजपा के झूठ की पोल खोली की कोटद्वार कोर्ट में अभी हत्याकांड मामले में फैसला आया भी नहीं था की प्रचार की भूखी भाजपा ने पुष्कर सिंह धामी को फैसले का श्रेय देते हुए पोस्टर रिलीज करने शुरू कर दिए। उन्होंने प्रेस वार्ता के दौरान धाकड़ धामी पेज से जारी पोस्टर दिखाते हुए कहा कि इस पोस्टर को उत्तराखंड भाजपा के तमाम पदाधिकारी सोशल मीडिया पर प्रचारित प्रसारित कर रहे हैं और इस फैसले का श्रेय धामी को दे रहे हैं। परंतु इस पोस्ट में लिखी हुई बातें निखालीस कोरा झूठ हैं। पोस्ट का पहला बिंदु कहता है कि 24 घंटे के अंदर आरोपियों को हिरासत में लिया गया जबकि यह सत्य नहीं है। अंकिता भंडारी हत्याकांड में 6 दिन बाद आरोपियों को हिरासत में लिया गया उसके अलावा पोस्ट में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने अंकिता भंडारी के माता-पिता को तीन बार सरकारी वकील बदल कर दिए जो की पूर्णतया असत्य है। मात्र एक बार वकील बदला गया जिसमें जितेंद्र रावत की जगह पर अवनीश नेगी सरकारी वकील के रूप में दिए गए।

वहीं एक और बिंदु कहता है कि राज्य के मुखिया ने अंकिता भंडारी के पिता और भाई की सरकारी नौकरी लगाई। गरिमा दसौनी ने प्रेस वार्ता के दौरान अंकिता के पिता का वह वीडियो दिखाया और सुनाया जिसमें पोस्टर रिलीज होने के मात्र 6 घंटे के भीतर पिता ने ही इन खबरों को खारिज कर दिया और उल्टा प्रदेश के मुख्यमंत्री से पूछा कि आपने मेरी नौकरी किस विभाग में लगाई है बताइए? गरिमा ने कहा कि दोषी पाए जाने के बाद जिस तरह से अभियुक्त हवा में हाथ लहराकर और मुस्कुरा कर मीडिया और जनता को मुंह चिढ़ा रहे हैं वह बेशर्मी की पराकाष्ठा है।

दसोनी ने कहा कि मामले का हाईकोर्ट में जाना लाजमी है क्योंकि अंकिता के माता-पिता इस फैसले से संतुष्ट नहीं है और ना ही उत्तराखंड की जनता इस फैसले से संतुष्ट है। सभी को अभियुक्तों के लिए फांसी की अपेक्षा थी और जिस तरह से सबूतों को मिटाया गया है उन आरोपियों के ऊपर भी कोई कार्यवाही नहीं सुनिश्चित हो पाई है। इसलिए भी एक बार पुनः कांग्रेस पार्टी अपनी मांग दोहराती है कि इस मामले की सीबीआई जांच होनी बहुत जरूरी है तभी जांच का दायरा व्यापक हो पाएगा और दूध का दूध और पानी का पानी हो पाएगा।

दसौनी ने प्रेस वार्ता के दौरान हाल फिलहाल में उत्तराखंड में हुए महिला अपराधों की जानकारी देते हुए बताया कि भाजपा के बड़े-बड़े पदाधिकारी महिला एवं नाबालिकों के साथ दुष्कर्म में संलिप्त पाए जा रहे हैं, इसलिए भाजपा का बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा झूठा और कोरी बकवास है। आज यदि जरूरत है तो भाजपा से बेटियां बचाने की जरूरत है।

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