चमोली आपदा को एक महीने पूरे हो रहे हैं। अब वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगा लिया है कि उस दिन सब कुछ सही था तो अचानक इतना पानी कहां से आ गया था। इसमें 100 से ज्यादा लोग जिंदा दफन हो गए और उनका कोई पता नहीं चला। 70 लोगों के मौत की पुष्टि हो चुकी है। आइए जानते हैं कि वैज्ञानिकों ने क्या बताया।
उत्तराखंड के चमोली जिले में 7 फरवरी 2021 को आई भीषण आपदा में सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए। 200 से ज्यादा परिवारों ने अपनों को खो दिया और सैकड़ों परिवारों को ऐसा दर्द मिला जिसे वे कभी भूल नहीं पाएंगे। अब वैज्ञानिकों ने यह पता कर लिया है कि उस दिन अचानक बाढ़ कहां से आ गई थी। जी हां, वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि बड़े पत्थरों के खिसकने से ऋषि गंगा, धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों में अचानक बाढ़ आ गई थी।
अब तक आपने लैंडस्लाइड के बारे में सुना होगा, पर उस दिन ‘रॉकस्लाइड’ हुआ था यानी विशालकाय पत्थर का मूवमेंट हुआ था। इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटिग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट के विशेषज्ञों का कहना है कि रोंती पर्वत की चोटी के ठीक नीचे उस दिन पत्थर खिसक गए थे जिससे बर्फ पिघलने शुरू हो गए।
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आपको बता दें कि ग्लेशियर फटने से आई भीषण तबाही में 70 से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। 130 से ज्यादा लोगों की कोई खबर नहीं मिली। सरकार ने उन्हें मृत मानकर आगे की कार्रवाई भी शुरू कर दी है।
अब वैज्ञानिकों ने हादसे का कारण ढूंढने में सफलता पाई है। उनका कहना है कि करीब 22 मिलियन क्यूबिक मीटर भारी पत्थर ग्लेशियर पर गिर गए थे, जिसके कारण अचानक पानी का भारी बहाव आगे की तरफ निचले की इलाकों की तरफ आ गया।
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ICIMOD के शोधकर्ताओं ने पिछले हफ्तों में यह अध्ययन कर निष्कर्ष निकाला है कि इस पत्थर की चौड़ाई करीब 550 मीटर थी। यह समुद्र की सतह से करीब 5500 मीटर ऊपर मौजूद था। आकार में बड़े और ऊंचाई पर होने के चलते इससे काफी ज्यादा मात्रा में ऊर्जा पैदा हुई, जो ग्लेशियर पर गिरकर विनाश का कारण बनी। ICIMOD में भारत, नेपाल और चीन सहित 8 देशों के सदस्य शामिल हैं।
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