• भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर विशेष

    भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर विशेष0

    भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में अहम किरदार निभाने के कारण पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को “भारत का मिसाइल मैन“ भी कहा जाता है। परमाणु हथियार कार्यक्रमों में सम्मिलित होने कारण डॉ अब्दुल कलाम को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न भी प्रदान किया गया था। यह पहले ऐसे गैर-राजनीतिज्ञ राष्ट्रपति रहे जिनका राजनीति में आगमन विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में दिए गए उत्कृष्ट योगदान के कारण हुआ है। उन्होंने 1954 में ‘स्चार्ट्ज हायर सेकेंडरी स्कूल’ से शिक्षा ग्रहण की और फिर ‘सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली’ से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे एक लड़ाकू पायलट बनना चाहते थे, लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका क्योंकि यहां केवल आठ पद उपलब्ध थे उन्होंने नौवां स्थान हासिल किया था।

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  • एक ऐसा मंदिर जहां दो महीने तक चलते हैं जागर

    एक ऐसा मंदिर जहां दो महीने तक चलते हैं जागर0

    मदमहेश्वर घाटी के रासी गांव में विराजमान भगवती राकेश्वरी के मंदिर में सावन महीने में गाने जाने वाले पौराणिक जागरों की तैयारियां जोरों पर है। गांव के युवा भी धीरे-धीरे पौराणिक जागरों का गायन सीख रहें है। दो माह तक चलने वाले पौराणिक जागरों के माध्यम से तैतीस कोटि देवी देवताओं के आवाहन के साथ देवभूमि उत्तराखंड के समृद्धि की कामना की जाती है तथा उत्तराखंड के प्रवेश द्वार हरिद्वार से लेकर चौखम्बा हिमालय तक के प्रत्येक क्षेत्र की धार्मिक महिमा का गुणगान जागरों के माध्यम से किया जाता है।

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  • प्राकृतिक आपदाओं से आखिर कब क्या सबक लेंगे हम

    प्राकृतिक आपदाओं से आखिर कब क्या सबक लेंगे हम0

    प्रकृति जब अपना सौम्य रूप त्याग कर रौद्र रूप धारण करती है तो वो ऐसा विनाश फैलाती है जिससे बचना लगभग नामुमकिन होता है। ऐसे विनाश को प्राकृतिक आपदा कहते है। ऐसी आपदा में मनुष्य के हाथ में कुछ नही होता वह सिर्फ विवश होकर अपने विनाश को देखता रहता है। उत्तराखंड का अधिकांश क्षेत्र पर्वतीय है जिस कारण यहां भूकंप, बाढ़ जैसी अन्य कई सारी प्राकृतिक घटनाएं होती रहती है। इन घटनाओं का मुख्य कारण वृक्षों और भूमि का कटान है। जाहिर सी बात है पर्वतीय क्षेत्रों में विकास के लिए वृक्षों, जंगलों और भूमि का कटान हो रहा है लेकिन मनुष्य को वनों और भूमि को नष्ट करने से क्या हानि हो रही है इसके बारे में पता नहीं है और इसका खामियाजा हमें प्राकृतिक आपदा के रूप में भुगतना पड़ता है।

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