• टपकेश्वर…जहां अश्वत्थामा के लिए खुद महादेव ने दूध की धारा बहाई

    टपकेश्वर…जहां अश्वत्थामा के लिए खुद महादेव ने दूध की धारा बहाई0

    हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। यह पुण्य भूमि कई देवी-देवताओं का निवास स्थान है। चार धामों वाला यह दिव्य क्षेत्र मनमोहक प्राकृतिक आकर्षणों, घने जगंलों और हिम पर्वतों से घिरा है। उत्तराखंड विश्व पटल पर भारत के प्रमुख धार्मिक केंद्रों का प्रतिनिधित्व करता है। उत्तराखंड को भगवान महादेव की तपस्थली कहा जाता है। यहां कई ऐसे शिवालय हैं जिनका इतिहास कई युगों पुराना है। कई का इतिहास रामायण, महाभारत काल से सीधा जुड़ा है। उत्तराखंड के देहरादून में एक ऐसा ही मंदिर है टपकेश्वर महादेव।

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  • ‘अजय’ पथ पर बढ़ रहे पहाड़ के योगी बने सुशासन, विकास, सांस्कृतिक-धार्मिक चेतना और राष्ट्रवाद के प्रतीक

    ‘अजय’ पथ पर बढ़ रहे पहाड़ के योगी बने सुशासन, विकास, सांस्कृतिक-धार्मिक चेतना और राष्ट्रवाद के प्रतीक1

    उत्तराखंड के पौड़ी जिले के यमकेश्वर के पंचूर गांव का एक युवा भारतीय राजनीति में इतना बड़ा मुकाम हासिल कर लेगा, इसकी कल्पना शायद ही कभी किसी ने की होगी। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ राष्ट्रीय फलक पर चमक रहे उस सितारे की तरह हैं, जिसका प्रकाश आने वाले दिनों में और व्यापक होने वाला है। भाजपा की नई पीढ़ी के नेताओं के योगी आदित्यनाथ सबसे बड़े नायक है। योगी को पंसद करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। उनके मामले में यह चाहत महज किसी राज्य तक सीमित नहीं है। उनके प्रति आकर्षण का स्वरूप राष्ट्रव्यापी है।

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  • योगी आदित्यनाथ 25 मार्च को लेंगे सीएम पद की शपथ, पीएम मोदी सहित कई राज्यों के सीएम भी होंगे शामिल

    योगी आदित्यनाथ 25 मार्च को लेंगे सीएम पद की शपथ, पीएम मोदी सहित कई राज्यों के सीएम भी होंगे शामिल0

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा की नई सरकार 25 मार्च को इकाना स्टेडियम में शाम चार बजे शपथ ग्रहण लेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ उप मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और राज्यमंत्री शपथ लेंगे। योगी आदित्यनाथ ने इस जीत के साथ ही अपने नाम कई रिकॉर्ड दर्ज कर लिये थे। सत्ता वापसी के बाद योगी आदित्यनाथ ने 37 साल से चले आ रहे मिथक को तोड़ दिया था। यूपी में पिछले 37 साल से कोई भी सरकार लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज होने में कामयाब नहीं हुई थी लेकिन योगी सरकार ने यह काम करके दिखा दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दूसरी बार सीएम की शपथ लेंगे।

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  • उत्तराखंड में बिखरे फूलदेई के रंग, प्रकृति से प्रेम की व्याख्या है पहाड़ों का ये लोकपर्व

    उत्तराखंड में बिखरे फूलदेई के रंग, प्रकृति से प्रेम की व्याख्या है पहाड़ों का ये लोकपर्व0

    फूलदेई के दिन सुबह-सुबह छोटे-छोटे बच्चे अपनी रिंगाल की टोकरियों में बुरांश और फ्योंलि के फूल रख कर घर-घर जाते हैं। सबके दरवाजे पर फूल चढ़ाकर फूलदेई के गीत गाते हैं। फूलदेई छम्मा देई और लोग उन्हें बदले में चावल, गुड़ और पैसे देते हैं। देवताओं का स्वरूप बच्चे सभी की देहरी में फूल डाल कर समृद्धि की कामना करते हैं।

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  • 14 साल के अंतराल पर एवरेस्ट अभियान के दौरान एक ही जगह गई दोनों भाईयों की जान

    14 साल के अंतराल पर एवरेस्ट अभियान के दौरान एक ही जगह गई दोनों भाईयों की जान0

    माउंट एवरेस्ट… दुनिया का सबसे ऊंचा शिखर। इस चोटी को छूने की आस लेकर सैकड़ों पर्वतारोही हर साल इस जोखिम भरे अभियान पर निकलते हैं। इनमें से कुछ ही सफलता हासिल कर पाते हैं। लेकिन दो नाम ऐसे भी हैं, जिन्होंने भले ही एवरेस्ट के शिखर को न छुआ हो लेकिन दोनों ही पर्वतारोहण की दुनिया के शिखर पुरुषों से कम नहीं हैं। ये कहानी है बहुगुणा ब्रदर्स की। एक को पर्वतारोहण के लिए अर्जुन पुरूस्कार और पद्मश्री मिला और दूसरे को कीर्ति चक्र, सेना मेडल और दो बार विशिष्ट सेवा मेडल। दोनों पहली बार में एवरेस्ट के बेहद करीब पहुंचे और दूसरी बार के अभियान में जान गंवा दी। वो भी एक ही जगह…लेकिन 14 साल के अंतराल पर। ये कहानी है मेजर हर्षवर्धन बहुगुणा और मेजर जयवर्धन बहुगुणा की।

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  • उत्तराखंडी टोपी की इंटरनेशनल ब्रांडिंग, एक दिन में निकल रहा एक महीने का स्टॉक

    उत्तराखंडी टोपी की इंटरनेशनल ब्रांडिंग, एक दिन में निकल रहा एक महीने का स्टॉक0

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाव-भाव, पहनावे से जुड़ी हर बात उन्हें दूसरों से अलग करती है। साल 2014 में देश की कमान संभालने के बाद से गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर उनका पहनावा और सिर पर बांधी जाने वाली पगड़ी चर्चा का विषय रही है। लेकिन इस गणतंत्र दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी पगड़ी की जगह एक खास तरह की टोपी पहने नजर आए। यह उत्तराखंड की पारंपरिक टोपी थी, जिस पर चार रंगों की एक तिरछी पट्टी और उत्तराखंड का राज्य पुष्प ब्रह्मकमल लगा हुआ था। बस पीएम मोदी की ‘ब्रांडिंग’ ने उत्तराखंड की इस पारंपरिक टोपी को वैश्विक पहचान दिला दी है। आज यह टोपी इतनी डिमांड में है कि इसे तैयार करने वाले कारीगर मांग पूरी नहीं कर पा रहे हैं।

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