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सुरकंडा मंदिर में टेक्निकल फॉल्ट के चलते रोपवे बीच रास्ते हवा में ही लटक गई। ट्रोली में टिहरी के विधायक किशोर उपाध्याय सहित 60 से 70 यात्री मौजूद थे। किसी नुकसान की खबर नही।
READ MOREजिस बात को कहने में सब हिचकिचाते है उस बात को जो आसानी से कह जाए वो है लेखक। लेखक न सिर्फ अपनी बात कहने का सामर्थ्य रखते है बल्कि कई लेखक अपनी रचनाओं से देश विदेशों में अपना नाम भी रोशन करते है। भारतीय मूल के अंग्रेजी भाषा के एक ऐसे लेखक भी हुए है जिन्होंने न सिर्फ भारत का मान बढाया बल्कि पद्म भूषण व पद्म श्री जैसे सम्मान भी अपने नाम किये। नाम है रस्किन बॉण्ड।
READ MOREऋषिकेश में बस्ता पैक एडवेंचर की पहल उत्तराखंड की पहली स्ट्रीट लाइब्रेरी को लोग खूब पसंद कर रहे हैं। ऋषिकेश में लक्ष्मण चौक के करीब साई घाट पर स्थित बस्ता पैक स्ट्रीट लाइब्रेरी के पास शहर के स्थानीय लोगों समेत बाहरी पर्यटक भी आकर किताबें
READ MOREएक बेहतर समाज बनाने के लिए समाज के हर व्यक्ति को पढा लिखा होना जरूरी है। इसी सोच को साकार करने का काम कर रहे है अल्मोड़ा में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत भाष्कर जोशी। भास्कर जोशी राजकीय प्राथमिक विद्यालय बजेला विकासखंड धौलादेवी जिला
READ MOREकुछ ही समय में उनकी कला को इतना पसंद किया जाने लगा की अलग अलग जगहों से उनकी बयाने प्रॉडक्ट की डिमांड आने लगी। उन्होंने न सिर्फ लुप्त होती संस्कृति को बचाया बल्कि बाजार में ऐपण की विक्रेता की सम्भावना को भी बढ़ाया।
READ MOREहिल-मेल और ओहो रेडियो उत्तराखंड ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में हो रहे विकास कार्यों की पड़ताल के लिए नए कार्यक्रम ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ की शुरुआत की है। इस सीरीज के पहले एपिसोड में ऋषिकेश की मेयर अनिता ममगाईं से उनके नगर निगम का हाल जाना गया। अर्जुन रावत और आरजे काव्य ने ग्राउंड पर जाकर मेयर के काम को देखा और उन प्रोजेक्टों की जानकारी ली, जो वह आने वाले दिनों में शुरू करना चाहती हैं।
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लोकसभा ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के प्रावधानों में संशोधन के लिए वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत संशोधनों को स्वीकार करते हुए वित्त विधेयक 2025 मंगलवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसके साथ ही 2025-26 के बजट को पारित करने की प्रक्रिया पर सदन की मोहर लग गई है। वित्त विधेयक को अब चर्चा तथा वापसी के लिए राज्यसभा में भेजा जाएगा जहां उस पर मात्र औपचारिक चर्चा की जाएगी।
READ MOREदिहुली गांव के पीड़ित कहते हैं कि 44 साल में तो उनके आंसू भी सूख गए हैं। देश को झकझोर देने वाले दिहुली हत्याकांड को अंजाम देने वाले राधे-संतोषा गिरोह ने 24 दलितों की हत्या सिर्फ इसलिए की थी क्योंकि इस गिरोह से पुलिस से हुई एक मुठभेड़ में इस गांव के लोगों को पुलिस ने गवाह बनाया था।
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